“स्वतंत्र भारत के सपने में कभी विश्वास मत खोना। दुनिया में कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो भारत को हिला सके।”- नेताजी सुभाष चंद्र बोस
नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारत में अंग्रेजी शासन का विरोध करने के लिए उनके अद्वितीय समर्पण के लिए जाना जाता है। एक दूरदर्शी नेता के रूप में, बोस ने जनता को सक्रिय करने और उन्हें ब्रिटिश औपनिवेशिक प्रभुत्व से स्वतंत्रता के उद्देश्य की ओर जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस उद्देश्य के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता ने प्रेरणा के गहन स्रोत के रूप में कार्य किया, जिसने करोड़ों भारतीयों को स्वतंत्रता के संघर्ष में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए प्रेरित किया। उनके उल्लेखनीय कद और कई सराहनीय गुणों के बावजूद, नेताजी के योगदान को अक्सर पिछली सरकारों द्वारा मान्यता नहीं दी जाती थी। हालांकि, पिछले दशक में, स्वतंत्रता सेनानियों के महत्वपूर्ण योगदान का सम्मान करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप, सरकार, कई प्रयासों के माध्यम से, उनकी वीरता को श्रद्धांजलि दे रही है। उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाने से लेकर अंडमान और निकोबार द्वीप का नाम बदलकर उनके नाम पर रखने तक, सरकार ‘अमृत पीढ़ी’ को प्रेरित करने के लिए नेताजी के विचारों का प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रतिबद्ध है।
नेताजी के योगदान को याद करने के प्रयास
भारत के युवा, नेताजी के जीवन और कार्यों में प्रेरणा की तलाश में रहते हैं। पिछले दस वर्षों में, सरकार ने यह सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित किया है कि यह प्रेरणा हमारे सामूहिक मानस में गहराई से अंतर्निहित रहे। इस दिशा में उनकी विरासत को श्रद्धांजलि देने के लिए कई प्रयास किए गए हैं।
23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जाती है, जिसे अब "पराक्रम दिवस" के रूप में जाना जाता है, जिसका अर्थ है "वीरता का दिन"। यह वार्षिक आयोजन पूरे देश में मोदी सरकार द्वारा मनाया जाता है। इसका उद्देश्य देश के नागरिकों, विशेषकर युवा पीढ़ी को, नेताजी की तरह कठिन परिस्थितियों में साहस दिखाने और उनमें देशभक्ति की भावना जगाने के लिए प्रेरित करना है।
लाल किले में स्थापित संग्रहालय, जो नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनकी इंडियन नेशनल आर्मी (INA) की विरासत को संरक्षित और सम्मानित करने के लिए समर्पित है, उनके विजन को साकार करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। लाल किला स्वयं ही INA के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह संग्रहालय, जिसकी शुरुआत प्रधानमंत्री मोदी ने 2019 में नेताजी के जन्मदिन पर की थी, सुभाष चंद्र बोस और INA का गहन ब्यौरा प्रस्तुत करता है। यह गर्व से नेताजी और INA से जुड़ी विविध वस्तुओं को प्रदर्शित करता है, जैसे उनकी प्रसिद्ध लकड़ी की कुर्सी और तलवार, वर्दी, बैज, पदक इत्यादि। जब आजाद हिंद फौज की विरासत को सम्मान देने की बात आती है, तो लाल किले में समर्पित संग्रहालय जैसे उपरोक्त प्रयास पीएम मोदी की सरकार को विशिष्ट बनाते हैं। स्वतंत्र भारत के इतिहास में किसी अन्य सरकार ने इस प्रकार की खास पहलकदमी नहीं की थी।
30 दिसंबर, 2018 को, प्रधानमंत्री मोदी ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का दौरा किया और INA तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के कालातीत मूल्यों को फिर से रेखांकित किया। भारतीय धरती पर नेताजी के प्रसिद्ध तिरंगे की 75 वीं वर्षगांठ के सम्मान में, प्रधानमंत्री मोदी ने एक स्मारक फर्स्ट डे कवर, सिक्का और डाक टिकट जारी किया। उन्होंने उन अनेक अंडमानी युवाओं की यादों को संजोया, जिन्होंने नेताजी के आह्वान का जवाब देते हुए भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अपने जीवन को समर्पित किया। यह 1943 के ऐतिहासिक दिन की एक मार्मिक याद दिलाता है, जब नेताजी ने तिरंगा झंडा फहराया था, वह विशाल 150 फुट ऊंचा मस्तूल है जिस पर आज भी तिरंगा लहराता है। 2023 में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में, प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को सम्मानित करने के लिए प्रस्तावित स्मारक की योजना का वर्चुअल रूप से अनावरण किया। यह स्मारक नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप में बनाया जाएगा।
पीएम मोदी ने नेताजी की प्रेरणादायक विरासत को श्रद्धांजलि देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अक्टूबर 2015 में प्रधानमंत्री के साथ एक बैठक में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के परिवार ने नेताजी के बारे में सरकारी दस्तावेजों को सार्वजनिक करने का आग्रह किया। इस अनुरोध के संबंध में, प्रधानमंत्री मोदी ने जनवरी 2018 में भारत के राष्ट्रीय अभिलेखागार में जनता के लिए 100 "नेताजी फाइल्स" के डिजिटल संस्करणों को जनता के लिए सुलभ बनाने के लिए तेजी से कदम उठाया। इस कदम ने एक तरह से आम जनता के लिए नेताजी के जीवन और विजन के बारे में जानना आसान बना दिया है। इसके अलावा, 21 अक्टूबर, 2018 को, पूरे भारत में व्यक्तियों और संगठनों द्वारा आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान और सेवाओं को सम्मानित करने के लिए "सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार" की घोषणा की गई।
2022 में, "पंच प्राण" के उद्देश्यों के अनुरूप, सरकार ने कर्तव्य पथ पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक भव्य प्रतिमा स्थापित की। यह शानदार स्मारक, जो 28 फीट ऊंचा है और जेट-ब्लैक ग्रेनाइट से निर्मित है, इंडिया गेट के बगल में छतरी के नीचे स्थित है। यह वही स्थान है जहां प्रधानमंत्री मोदी ने नेताजी की 125वीं जयंती पर पराक्रम दिवस के अवसर पर 2022 में नेताजी की एक होलोग्राम प्रतिमा का अनावरण किया था। सरकार ने राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करके और ऐतिहासिक इंडिया गेट पर नेताजी की प्रतिमा स्थापित करके दूसरे पंच प्राण (गुलामी की हर सोच से मुक्ति पाना) के लिए अपनी स्पष्ट प्रतिबद्धता प्रदर्शित की।
इस प्रकार, नेताजी के गहन विचार, भारत को प्रबुद्ध करते रहेंगे क्योंकि यह अमृत काल की शुरुआत है। उनकी मुक्ति का स्वप्न आज भी हर भारतीय को प्रेरित करता है। नेताजी की शानदार विरासत को पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की पहल द्वारा सतत सम्मानित किया जा रहा है, जो यह सुनिश्चित करता है कि उनके मूल्य प्रासंगिक बने रहेंगे और हमारी अमृत पीढ़ी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करेंगे।