मुख्यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी को स्वच्छ भारत पर रिपोर्ट सौंपी
स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करना मुश्किल जरुर है लेकिन असंभव नहीं: प्रधानमंत्री
नीति आयोग खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ़) एवं ओडीएफ़ प्लस का आकलन करने के लिए विषयनिष्ठ मूल्यांकन खाका तैयार करेगा
स्वच्छ भारत रिपोर्ट के अंतर्गत कचरा उठाने वाले व्यक्तियों को अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली में समायोजित करने का सुझाव दिया गया है

 

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री चंद्रबाबू नायडू की अध्‍यक्षता में स्वच्छ भारत पर नीति आयोग के मुख्यमंत्रियों वाले उप समूह ने आज अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी को पेश कर दी।



इस रिपोर्ट की खास बातें निम्‍नलिखि‍त हैं :

·    शौचालय निर्माण और व्यवहार में बदलाव संबंधी सूचना (बीसीसी) को समान प्राथमिकता दी जानी है, क्‍योंकि किसी भी ओडीएफ कार्यक्रम की सफलता को शौचालय के उपयोग में वृद्धि के आधार पर आदर्श रूप से आंका जाएगा।

·    रणनीति एवं कार्यान्वयन का तरीका तय करने और अभियान की प्रगति की निगरानी व मूल्यांकन करने के लिए केंद्र और राज्य दोनों ही स्तरों पर किसी पेशेवर एजेंसी को शामिल करने की जरूरत है।

·    शहरी एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में बीसीसी के लिए धन के अनुपात को समान रूप से बढ़ाकर कुल कोष के तकरीबन 25 फीसदी के स्‍तर पर पहुंचाया जा सकता है, जिसका वित्‍त पोषण पूरी तरह से केंद्र सरकार द्वारा किया जाए।

·    स्वच्छता का संदेश संप्रेषित करने में नि:स्वार्थ के आधार पर राजनीतिक एवं सामाजिक/विचारक नेताओं और मशहूर हस्तियों को शामिल किया जाए।

·    स्वच्छता के तौर-तरीकों पर एक अध्याय को पहली कक्षा से ही स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। प्रत्येक स्कूल और कॉलेज में, 'स्वच्छता सेनानी' नामक विद्यार्थि‍यों की एक टीम स्वच्छता और साफ-सफाई के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए गठित की जा सकती है।

·    राज्‍यों में स्‍थि‍त आईटीआई और पॉलिटेक्निक संस्‍थानों/कॉलेजों में कौशल विकास पाठ्यक्रम/डिप्‍लोमा पाठ्यक्रम शुरू किए जा सकते हैं। इन्‍हें कौशल विकास के मौजूदा कार्यक्रम से भी एकीकृत किया जा सकता है।

·    साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन के विशेष क्षेत्रों में शोध को बढ़ावा देने के लिए उच्‍च शि‍क्षा वाले संस्‍थानों में उत्‍कृष्‍टता केंद्र खोले जा सकते हैं, ताकि डॉक्टरेट और पोस्‍ट-डॉक्टरेट स्तर के बेहतर शोधकर्ता उभर कर सामने आ सकें।

·    इस कार्यक्रम के लिए कोष को केंद्र एवं राज्‍यों के बीच 75:25 के अनुपात में बांटा जा सकता है। वहीं, पहाड़ी क्षेत्रों के लिए इसे 90:10 के अनुपात में रखा जा सकता है। केन्द्र सरकार द्वारा पेट्रोल, डीजल एवं दूरसंचार सेवाओं और खनिज अपशिष्ट उत्पादन संयंत्रों द्वारा उत्पादित संग्रहित कचरे जैसे कोयला, अल्यूमीनियम और लौह अयस्क पर स्वच्छ भारत उपकर लगाया जा सकता है। केंद्र स्‍तर पर बनाए गए स्‍वच्‍छ भारत कोष की तर्ज पर एक राज्‍य स्‍तरीय स्‍वच्‍छ भारत कोष भी बनाया जा सकता है।

·    पीएसयू/कंपनियों के सीएसआर योगदान के एक खास हिस्‍से को उन राज्‍यों में व्‍यय किया जा सकता है, जहां वे अवस्‍थि‍त हैं।

·    स्‍थानीय निकायों को 14वें वित्‍त आयोग से मिलने वाले अनुदान पर व्‍यय का पहला हिस्‍सा स्‍वच्‍छ भारत मिशन के दायरे में आने वाली गतिविधियों के लिए दिया जा सकता है। यही नहीं, भारत सरकार 14वें वित्‍त आयोग की सिफारिशों के दायरे में न आने वाले कुछ पूर्वोत्‍तर राज्‍यों में अवस्थित ग्रामीण क्षेत्रों के लिए राज्‍यों को अनुदान जारी करने पर विचार कर सकती है।

·    केन्‍द्र सरकार और राज्‍य सरकार स्‍वच्‍छ भारत बांडजारी कर सकती हैं।

·    स्‍वच्‍छ भारत अभियान पर एक समर्पित मिशन की स्‍थापना राष्‍ट्रीय एवं राज्‍य दोनों ही स्‍तरों पर की जा सकती है, ताकि इस कार्यक्रम के लिए समन्‍वय, मार्गदर्शन, सहायता और निगरानी के कार्य बखूबी किये जा सकें।

·    प्रौद्योगिकी की पहचान से लेकर उसकी अंतिम खरीदारी तक की समूची प्रक्रिया में राज्‍य सरकारों और स्‍थानीय निकायों को समुचित जानकारी एवं सहायता मुहैया कराने के लिए एक राष्‍ट्रीय तकनीकी बोर्ड की स्‍थापना की जा सकती है।

·    किफायती कचरा प्रबंधन तकनीकों के विकास के लिए केन्‍द्र एवं राज्‍य दोनों ही स्‍तरों पर प्रतिष्ठित शोध संस्‍थानों को तकनीकी साझेदार बनाया जा सकता है।

·    कचरे से ऊर्जा का उत्‍पादन करने वाले संयंत्रों से उत्‍पादित बिजली के लिए शुल्‍क (टैरिफ) नीति विद्युत मंत्रालय द्वारा तैयार की जा सकती है और इन संयंत्रों से प्राप्‍त बिजली की शुल्‍क दरें विद्युत नियामक आयोग द्वारा कुछ इस तरह से तय की जा सकती हैं, जिससे कि ये परियोजनाएं लाभप्रद साबित हो सकें। इसके साथ ही कचरे से ऊर्जा का उत्‍पादन करने वाले संयंत्रों से प्राप्‍त बिजली को अनिवार्य तौर पर खरीदने की जिम्‍मेदारी राज्‍य विद्युत बोर्डों अथवा वितरण कंपनियों को सौंपी जा सकती है।

·    उप-उत्‍पादों जैसे खाद की बिक्री के लिए निजी क्षेत्र को उत्‍पादन आधारित सब्सिडी दी जा सकती है। रासायनिक उर्वरकों पर सब्सिडी घटाई जा सकती है और दूसरी ओर खाद पर दी जाने वाली सब्सिडी में बढ़ोतरी की जा सकती है, ताकि खाद के उपयोग को बढ़ावा दिया जा सके।

·    कचरा प्रसंस्‍करण इकाइयों की स्‍थापना के लिए निजी क्षेत्र को केन्‍द्र सरकार एवं राज्‍य सरकार द्वारा कर छूट देने का प्रावधान किया जा सकता है, ताकि कचरा प्रसंस्‍करण को लाभप्रद बनाया जा सके।

·    शहरी विकास मंत्रालय और पेयजल एवं स्‍वच्‍छता मंत्रालय ठोस और तरल अपशिष्‍ट प्रबंधन परियोजनाओं के लिए उपकरण खरीदने हेतु सांकेतिक लागत निकाल सकते है।

·    पीपीपी तरीके से तरल अपशिष्‍ट प्रबंधन परियोजनाएं लागू की जा सकती हैं। परिष्‍कृत जल जैसे उद्योगों के बड़ी संख्‍या में उपयोगकर्ताओं को तलाशने की आवश्‍यकता है।

·    पीपीपी तरीके से कचरे से ऊर्जा संयंत्र स्‍थापित किये जा सकते हैं और पीपीपी ढांचे में स्‍थानीय निकाय तथा पीपीपी साझेदार की जिम्‍मेदारी सुनिश्चित की जा सकती है।

·    झुग्‍गीबस्ती क्षेत्रों में निर्मित शौचालय जिन्‍हें सीवर लाइन से जोड़ा नहीं जा सकता है, वहां जैव शौचालय उपलब्‍ध कराए जा सकते हैं।

·    ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों के परिचालन तथा प्रबंधन के लिए अलग-अलग तरीके की आवश्‍यकता है; ग्रामीण क्षेत्रों में सार्व‍जनिक शौचालयों का परिचालन और प्रबंधन ग्राम पंचायतों द्वारा किया जा सकता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में भुगतान कर उपयोग करने की प्रणाली अधिक कारगर होगी।

·    स्‍थानीय निकायों और सरकारी अधिकारियों की सभी स्‍तरों पर क्षमता बढ़ाने के लिए नियमित प्रशिक्षण और कौशल उन्‍नयन की आवश्‍यकता है।

·    जो भी व्‍यक्ति स्‍थानीय निकायों के लिए चुनाव लड़ता है, उसके घर में निजी शौचालय होना आवश्‍यक है।    

·    नगरपालिका कानूनों आदि सहित जैव चिकित्‍सकीय और ई-अपशिष्‍ट जैसे अपशिष्‍ट प्रबंधन पर सभी कानूनों और नियमों को कड़ाई से लागू करने और दंड प्रावधानों की समीक्षा।

·    अपशिष्‍ट प्रबंधन गतिविधियों में कूड़ा उठाने वालों को व्‍यवस्थित करना।

·    सिर पर मैला ढोने के रूप में कार्य करने से रोकने और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 को कड़ाई से लागू कर सिर पर मैला ढोने के कार्य को समाप्‍त करना।

·    प्रति वर्ष सभी ग्राम पंचायतों, नगर निगमों, ब्‍लॉकों, जिलों और राज्‍यों में स्‍वच्‍छ भारत ग्रेडिंग/रेटिंग की जानी चाहिए, ताकि उनके बीच स्‍वच्‍छता के लिए प्रतिस्‍पर्धा बढ़े।

·    प्रत्‍येक महीने में एक दिन और प्रत्‍येक वर्ष में एक सप्‍ताह (02 अक्‍टूबर को समाप्‍त हो) एसबीए के कार्यों के लिए निर्धारित और रेटिंग के आधार पर बेहतर प्रदर्शन करने वाले ग्राम पंचायत, ब्‍लॉक, यूएलबी, जिले और राज्‍य को पुरस्‍कृत किया जाना चाहिए। इस कार्यक्रम में पुरस्‍कार देने के लिए प्रधानमंत्री और मुख्‍य मंत्रियों को शामिल किया जाना चाहिए।

·    पूरे स्‍वच्‍छता अभियान के तहत तैयार किये गये बेकार शौचालयों को बिना शौचालय के रूप में लें और इसके स्‍थान पर वित्‍तीय सहायता से नये शौचालय बनाए जाने चाहिए।

·    शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में आईएचएचएल की एक इकाई के निर्माण के लिए पारितोषित राशि समान होनी चाहिए और शहरी तथा ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में इसे बढ़ाकर 15,000 रुपये करनी चाहिए।

·    अंतर क्षेत्रीय और अंतर विभागीय मुद्दों के समाधान के लिए नीति आयोग एक मंच उपलब्‍ध करा सकता है। नीति आयोग को मंत्रालयों और राज्‍य सरकारों के साथ विचार-विमर्श कर स्‍वच्‍छता हेतु ओडीएफ और ओडीएफ प्‍लस के आकलन के लिए एक आकलन ढांचा तैयार करना चाहिए। राज्‍यों द्वारा ओडीएफ स्थिति के आकलन में एक जैसी प्रक्रिया अपनाई जा रही है, यह सुनिश्चित करने के लिए इसे प्रमाणन प्रोटोकॉल और राष्‍ट्रीय स्‍तर के दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए।   

Explore More
हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

हर भारतीय का खून खौल रहा है: ‘मन की बात’ में पीएम मोदी
Textile sector welcomes export mission for MSMEs

Media Coverage

Textile sector welcomes export mission for MSMEs
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री ने झारखंड के स्थापना दिवस पर राज्य के लोगों को शुभकामनाएं दीं
November 15, 2025
प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा को उनकी 150वीं जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने झारखंड के स्थापना दिवस के अवसर पर राज्य के सभी लोगों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं। उन्होंने कहा कि झारखंड एक गौरवशाली भूमि है जो जीवंत आदिवासी संस्कृति से समृद्ध है। भगवान बिरसा मुंडा की विरासत को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि इस पवित्र भूमि का इतिहास साहस, संघर्ष और गरिमा की प्रेरक कहानियों से भरा पड़ा है।

प्रधानमंत्री ने इस विशेष अवसर पर राज्य के सभी परिवारों की निरंतर प्रगति और समृद्धि के लिए अपनी शुभकामनाएं भी दीं।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने भी महान स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा को उनकी 150वीं जयंती पर भावभीनी श्रद्धांजलि भी अर्पित की है। उन्होंने कहा कि जनजातीय गौरव दिवस के पावन अवसर पर, पूरा राष्ट्र मातृभूमि के सम्मान और गरिमा की रक्षा में उनके अद्वितीय योगदान को कृतज्ञतापूर्वक याद करता है। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि विदेशी शासन के अन्याय के विरुद्ध भगवान बिरसा मुंडा का संघर्ष और बलिदान आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर पोस्ट किया;

“जनजातीय संस्कृति से समृद्ध गौरवशाली प्रदेश झारखंड के सभी निवासियों को राज्य के स्थापना दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। भगवान बिरसा मुंडा जी की इस धरती का इतिहास साहस, संघर्ष और स्वाभिमान की गाथाओं से भरा हुआ है। आज इस विशेष अवसर पर मैं राज्य के अपने सभी परिवारजनों के साथ ही यहां की प्रगति और समृद्धि की कामना करता हूं।”

“देश के महान स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा जी को उनकी 150वीं जयंती पर शत-शत नमन। जनजातीय गौरव दिवस के इस पावन अवसर पर पूरा देश मातृभूमि के स्वाभिमान की रक्षा के लिए उनके अतुलनीय योगदान को श्रद्धापूर्वक स्मरण कर रहा है। विदेशी हुकूमत के अन्याय के खिलाफ उनका संघर्ष और बलिदान हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा।”