मित्रों,
जापान में भीषण भूकंप और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदा से सारे संसार में संवेदना और आघात की लहर फैल गई है.
मैं व्यक्तिगत रूप से अत्यंत पीड़ा का अनुभव कर रहा हूँ. जापानी जनता पर आई इस भयावह आपत्ति तथा व्यथा की बेला में गुजरात की जनता एवं सरकार भी उनके प्रति संपूर्ण सहानुभूति रखते हुए दुःख में सहभागी हैं.
प्रकृति की शक्ति कितनी अथाह है और उसके सामने मनुष्य कितना क्षुद्र है उसकी प्रतीति हमें हो चुकी है, परंतु ऐसे भीषण अवसर पर मानवता की समग्र शक्ति परस्पर के दुःख में सहभागी होकर सहाय रूप हो यही हमारे लिए श्रेष्ठ मार्ग और मनुष्य धर्म होगा.
मैंने आज जापान की भूकंप पीडित जनता और दुर्घटना से होनेवाले विनाश के संदर्भ में जापान के दिल्ली स्थित राजदूतावास के राजदूत श्रीयुत अकिताकी सइकी से त्वरित दूरभाष पर संपर्क स्थापित कर बात की और गुजरात की ओर से सहानुभूति की भावनाएं व्यक्त की. इसके अतिरिक्त मैंने आज गुजरात की सरकार और जनता की ओर से हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करते हुए जापान के प्रधानमंत्री श्रीयुत नाओटो कान को पत्र भी भेजा है. समग्र गुजरात जापान की इस अभूतपूर्व आपत्ति की बेला में आपत्तिग्रस्तों को तमाम संभव सहायता देने के लिए तत्पर है और इस मानवतापूर्ण कार्य में गुजरात की समाज-शक्ति भी सहायभुत होगी ऐसे मनोभाव भी प्रदर्शित किये हैं.
पिछले कुछ वर्षों में जापान और गुजरात ने आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को संगीन पैमाने पर विकसित किया है. तथा ये संबंध उत्तरोत्तर अधिक सुदृढ़ एवं व्यापक हो रहें हैं. वाइब्रन्ट गुजरात ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में जापान दो-दो बार सहयोगी-राष्ट्र बना है.
आज से दस साल पहले, 26 जनवरी 2001 को गुजरात भी भूकंप की भीषण प्रकृतिक आपत्ति झेल चुका है और आज वैसी ही भीषण भूकंप की त्रासदी में जापान की जनता कैसी दर्दनाक वेदना महसूस कर रही होगी, उसकी संवेदनापूर्ण अनुभूति गुजरात कर रहा है.
इस प्रकृतिक आपत्ति के क्षणों में हम सब पूर्ण सहानुभूति के साथ जापान के भूकंप-ग्रस्त लोगों के साथ खड़े हैं. ईश्वर जापानी प्रजा को विपदा झेलने व आत्मशक्ति के साथ इससे उबरने की शक्ति प्रदान करे यही प्रभू-प्रार्थना है...


