गृह राज्य मंत्री अमितभाई शाह ने गुजकोक कानून को मंजूरी देने की बजाए कुछ सुधारों के लिए एक बार फिर से गुजरात सरकार को वापस भेज देने के केन्द्र सरकार के फैसले को वोटबैंक की राजनीति बताया है तथा कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के व्यापक हित में, गुजकोक के संबंध में कांग्रेस को उसका राजनीतिक पूर्वाग्रह छोड़ देना चाहिए. विधानसभा में विपक्ष के नेता श्री शक्तिसिंह गोहिल के इस बयान - जिसमें उन्होने कहा था कि एनडीए के शासन काल में तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण अडवाणी ने भी इस कानून का विरोध किया था – को गृह राज्य मंत्री ने सरासर झूठ बताया और कहा कि वोटबैंक की राजनीति को उग्रवाद तथा आतंकवाद जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के गम्भीर विषयों से एकदम दूर रखना चाहिए.

गुजरात विधानसभा के विपक्ष के नेता के राजनीतिक आरोपों का जवाब देते हुए श्री अमितभाई शाह ने कहा कि श्री लालकृष्ण अडवाणी ने इस कानून का विरोध किया था ऐसा आधारहीन आरोप लगाकर कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही है परंतु पाँच पाँच वर्षों तक इस “गुजकोक” कानून को अनिर्णित स्थिति में रखकर तथा यह जानकर कि अब इस कानून को किसी भी तरह से नहीं अटकाया जा सकता इस कानून का जानबूझ कर भ्रामक अर्थघटन कर गुजरात सरकार को वापस लौटाने से उनका राजकीय अभिगम स्पष्ट हो जाता है. सच्चाई तो यह है कि जब अप्रैल 2008 में गुजकोक कानून को मंजूरी देने का आग्रह करने गुजरात के संसद सदस्यों का जो प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह से मिला था उसका नैतृत्व श्री लालकृष्ण अडवाणी ने किया था. गृह राज्यमंत्री ने सच्चाई जाहिर करते हुए कहा कि विधानसभा ने गुजरात संगठीत अपराध नियंत्रक विधेयक 2003 में पारित किया था तथा इसे 1 अप्रैल 2003 को राष्ट्रपति के पास भेजा था.

केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने इस कानून को अधिक प्रभावी बनाने के लिए इसकी धारा 14 से लेकर 16 तक रद्द करने की सूचना दी थी, उस हिसाब से सुधार कर इसे 2 जून 2004 को विधानसभा में फिर से पारित किया गया और 19 जून 2004 को राष्ट्रपति के पास भेज दिया गया. गुजकोक कानून महाराष्ट्र सरकार ने अपने संवैधानिक अधिकारों का उपयोग कर जो मकोका कानून बनाया था उसके आधार पर ही तैयार किया गया है.

राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से “पोटा” कानून आतंकवाद के सामने कानूनी लड़ाई लडने के लिए पहले से ही अस्तित्व में था ही परंतु यूपीए सरकार ने 2004 में सत्ता में आते ही इस पोटा कानून को ही रद्द कर दिया था. इससे महाराष्ट्र की तरह गुजरात सरकार ने भी गुजकोक कानून बनाया था. इन भूमिकाओं को देखने के बाद यह वास्तविकता स्पष्ट होती है कि गुजकोक कानून संगठित अपराध नियंत्रण के लिए बना है तथा उसकी सभी धाराएँ आतंकवाद को सुमूल नाश करने में सक्षम है. जब पोटा को रद्द किया गया तो महाराष्ट्र ने मकोका बनाया, उसी का अनुसरण कर गुजरात ने गुजकोक कानून तैयार किया जो आतंकवाद के सामने लडने के लिए योग्य कानूनी शष्त्र है. विपक्ष के नेता इस हकीकत को जानते हुए भी राजकीय बयानबाजी कर रहे हैं जो दुर्भाग्यपूर्ण है.

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