भारत माता की जय..! भारत माता की जय..!

भारतीय जनता पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष और इस धरती के सपूत आदरणीय श्री राजनाथ सिंह जी, हम सबके मार्गदर्शक हमारे वरिष्‍ठ नेता आदरणीय डॉ. मुरली मनोहर जोशी जी, उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अध्‍यक्ष श्रीमान लक्ष्‍मीकांत वाजपेयी जी, श्रीमान कलराज जी, आदरणीय श्री कल्‍याण सिंह जी, श्रीमान ओम प्रकाश सिंह जी, श्रीमान अमित भाई शाह, श्री रामेश्‍वर चौरसिया, श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, श्रीमान लाल जी टंडन जी, श्री केसरी नाथ त्रिपाठी जी, श्रीमान रमापति जी, श्रीमान सूर्यप्रताप जी, मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्‍ठ महानुभाव और काशी क्षेत्र के कोने-कोने से आए हुए इस विशाल जनसागर को मैं नमन करता हूं और आप सभी का अभिवादन करता हूं..!

मैं सोमनाथ की धरती से बाबा विश्‍वनाथ का आर्शीवाद लेने आया हूं। भाईयों-बहनों, हमारे देश में चुनाव आने से पहले चुनाव का ऐसा माहौल बना हो, यह शायद हिंदुस्‍तान के लोकतांत्रिक जीवन की पहली घटना है। राजनीतिक दल चुनाव आते समय सक्रिय हों, ज्‍यादा सक्रिय हों, आरोप-प्रत्‍यारोप हों, जनाधार बढ़ाने के प्रयास हों, ये तो होता ही है, लेकिन पहली बार हिंदुस्‍तान के कोने-कोने से जनता जनार्दन दिल्‍ली की सरकार को उखाड़ फेकनें के लिए उतावली हो रही है, एग्रेसिव हो रही है..! मैं देख रहा हूं कि 2014 का चुनाव कोई दल लड़ने वाला नहीं है, 2014 के चुनाव का नेतृत्‍व कोई व्‍यक्ति करने वाला नहीं है, 2014 का चुनाव इस देश की जनता लड़ने वाली है, इस देश का हर एक मतदाता लड़ने वाला है..!

भाईयों-बहनों, जब-जब हिंदुस्‍तान की चर्चा होगी या भूतकाल में हुई होगी, गंगा मईया की चर्चा के बिना हिंदुस्‍तान की चर्चा अधूरी है। औरों के लिए गंगा एक नदी हो सकती है, हमारे लिए गंगा सिर्फ एक नदी नहीं, हमारी मां है..! गंगा सिर्फ एक पानी की धारा नहीं है, ये हमारी संस्‍कृति की धारा है..! भाईयों-बहनों, इस गंगा की सफाई के लिए न जाने कितनी योजनाएं बनी, न जाने कितने बजट खर्च किए गए, न जाने कितनी कमेटियां बनाई गई, लेकिन पता नहीं चल रहा है कि क्‍या गंगा के अंदर ये रूपए भी बह जा रहे हैं..? गंगा का शुद्धिकरण छोडिए, कम से कम इस धन से, इन योजनाओं से, गंगा में निरंतर जो गिरावट आ रही है, उसको तो रोक पाते..! लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूपीए सरकार ने बड़े उत्‍साह और उमंग के साथ गंगा शुद्धिकरण के लिए एक योजना बनाई, बहुत प्रचार किया, लोगों को भी लगने लगा कि अब कुछ होगा, भरोसा हुआ और उन लोगों को सत्ता पर भी बैठा दिया, लेकिन मेरे उत्तर प्रदेश के भाईयों-बहनों, इस गंगा मईया की पवित्र धरती से मैं आप देशवासियों को भी कहना चाहता हूं कि ये दिल्‍ली में बैठी सरकार ने पांच साल में तीन मीटिंग करने के सिवाय कोई काम नहीं किया है..! मैं दिल्‍ली की सरकार को आग्रह करता हूं, प्रधानमंत्री जी को आग्रह करता हूं कि जरा देश के सामने बारीकियों के साथ आप जनता को हिसाब दें, देश की जनता को जबाव दें कि गंगा शुद्धिकरण के लिए आपने क्‍या किया..? राजीव गांधी के ज़माने से गंगा के नाम पर वोट मांगे गए हैं, गंगा शुद्धिकरण के नाम पर देश के सामने आपने अपनी एक नई पहचान बनाने का प्रयास किया है, गंगा के नाम पर हजारों करोड़ रूपए देश की तिजोरी से निकाले गए हैं, देश की जनता हिसाब मांगती है, जबाव मांगती है कि गंगा शुद्धिकरण के लिए आपने क्‍या-क्‍या किया, कब किया, कैसे किया और देश यह भी जानना चाहता है कि किस-किस के लिए किया..!

भाईयों-बहनों, मैं आप सभी लोगों, सारे देशवासियों, खासकर यूपी के भाईयों से जानना चाहता हूं कि गंगा के नाम पर जिस प्रकार देश के नागरिकों को मूर्ख बनाया गया है, उन्‍हे अंधेरे में रखा गया है, उनके साथ चीटिंग हुई है, क्‍या ऐसे लोगों को फिर से सरकार बनाने देनी चाहिए या नहीं, जिन्‍होने गंगा जैसे पवित्र काम में भी इस प्रकार का पाप किया है..! मुझे पूरी ताकत से बताइए, जिन्‍होने गंगा के साथ खिलवाड़ किया, क्‍या उन्‍हे सरकार देनी चाहिए..? जिन्‍होने गंगा को अधिक बर्बाद किया, क्‍या उन्‍हे सरकार देनी चाहिए..? क्‍या ये देश उनको दे सकते हैं..? अरे जो गंगा नहीं संभाल सकते, वो देश क्‍या संभाल सकते हैं..! भाईयों-बहनों, आप ये समजने की गलती मत करना कि उत्तर प्रदेश जहां से गंगा बह रही है उस इलाके के लोग गंगा की अशुद्धि का कारण हैं। मित्रों, गंगा के शुद्धिकरण के लिए पहले दिल्‍ली को शुद्ध करना पड़ेगा, लखनऊ को शुद्ध करना पड़ेगा, तब जाकर गंगा शुद्ध होगी..! इन लोगों के रहते हुए, बैठते हुए गंगा के शुद्धिकरण की कोई संभावना नहीं है..!

आजकल लोग मुझे सवाल पूछते हैं, विशेषकर वह लोग जो कांग्रेस को बचाने में लगे हुए है कि किसी भी हालत में कांग्रेस बची रहे, ताकि उनकी दुकान चलती रहे, ऐसे कांग्रेस के रक्षक सवाल करते है कि मोदी जी ये तो बताओ, आप क्‍या करेंगे..? कांग्रेस ने तो तबाह कर दिया, बर्बाद कर दिया, लेकिन आप क्‍या करेंगे..? मैं सिर्फ कहता नहीं हूं, करके दिखाता हूं..! जिनके मन में यह सवाल है और जो मुझे ऐसा पूछते है कि आप क्‍या कर सकते हैं, उन सभी से मेरी प्रार्थना है कि एक दिन निकालिए, सिर्फ एक दिन, गुजरात आइए, अहमदाबाद की धरती पर आइए, साबरमती के किनारे पर जाकर खड़े रहिए। आज से दस साल पहले साबरमती एक गंदी नाली का रूप बन गई थी, महात्‍मा गांधी जी के नाम के साथ जिस साबरमती नदी का नाम जुड़ा था, कि साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल, हर गली-मोहल्‍ले में साबरमती की बात होती थी, आजादी के आंदोलन के साथ साबरमती जुड़ी हुई थी, लेकिन वह साबरमती नदी, गंदी नाली के सिवाय कुछ नहीं बची थी..! आज जाकर देखिए, शहर के बीचों-बीच शुद्ध नर्मदा के जल से साबरमती लबालब़ भरी है और बह रही है। भाईयों-बहनों, क्‍या आपको भरोसा है कि अगर साबरमती शुद्ध हो सकती है तो गंगा भी शुद्ध हो सकती है..? साबरमती का कल्‍याण हो सकता है तो गंगा का भी कल्‍याण हो सकता है..? अगर साबरमती गुजरात का जीवन बदल सकती है तो क्‍या गंगा हिंदुस्‍तान का जीवन बदल सकती है..?

भाईयों-बहनों, हम खोखले वादे करने वालों में से नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के भाईयों-बहनों, मैं आपको विश्‍वास दिलाने आया हूं कि हम वादे नहीं इरादे लेकर आएं हैं..! देश वादों से ऊब चुका है, देश ने बातें बहुत सुनी हैं, उपदेश भी बहुत सुने हैं, अब देश का धरती पर सच्‍चाई उतारने का इरादा है, इसलिए आज मैं कहता हूं हम वादे नहीं इरादे लेकर आएं है और इरादों को पूरा करने की क्षमता रखते हैं..! भाईयों-बहनों, कुछ लोग सोचते हैं कि हिंदुस्‍तान की राजनीति में उत्तर प्रदेश का महत्‍व इसलिए है क्‍योंकि उत्तर प्रदेश के बिना किसी दल की सरकार नहीं बन सकती। भाईयों-बहनों, ये सोच उत्तर प्रदेश का अपमान है..! क्‍या उत्तर प्रदेश का उपयोग सिर्फ सांसदों का नम्‍बर बढ़ाने के लिए है..? क्‍या उत्तर प्रदेश का उपयोग सरकारें बनाने के लिए है..? भाईयों-बहनों, मेरी सोच इतनी सीमित नहीं है..! सवाल सरकार का नहीं है, अगर हिंदुस्‍तान को स्थिरता चाहिए तो उत्तर प्रदेश के बिना नहीं आ सकती है। अगर हिंदुस्‍तान का विकास करना है तो उत्तर प्रदेश का विकास किए बिना हिंदुस्‍तान का विकास असंभव है। अगर हिंदुस्‍तान से बेरोजगारी मिटानी है तो उत्तर प्रदेश की बेराजगारी मिटाएं बिना हिंदुस्‍तान की बेरोजगारी मिट नहीं सकती है। अगर हिंदुस्‍तान भूखा है और उत्तर प्रदेश के गंगा-यमुना के पट्ट जब तक पेट नहीं भरते, तब तक हिंदुस्‍तान की भूख मिट नहीं सकती..! उत्तर प्रदेश को सिर्फ सांसदों की संख्‍या के साथ न जोड़ा जाए। उत्तर प्रदेश भारत का भाग्‍य विधाता बन सकता है, समृद्ध भारत की धरोहर बन सकता है, देश को नई ऊंचाईयों तक ले जाने के लिए एक ताकतवर इंजन के रूप में उभर सकता है..! इसीलिए, भारतीय जनता पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश राजनीतिक खेल का मैदान नहीं है, हमारे लिए उत्तर प्रदेश हिंदुस्तान की भलाई के लिए सबसे बड़ी उर्वरक भूमि है, ऐसी हमारी सोच है..!

भाईयों-बहनों, मुझे यहां के नागरिकों की शक्ति पर भरोसा है। इसी उत्तर प्रदेश के लोग, आप के ही पूर्वज-पुरखों ने इसी भूमि पर राम राज्‍य बनाने का कार्य किया था..! अगर जनता ठीक न होती, लोग बराबर न होते, लोग सामर्थ्‍यवान न होते तो इस धरती पर कभी रामराज्‍य नहीं होता। भाईयों-बहनों, रामराज्‍य बनने के लिए जिस प्रकार की जनसामान्‍य की शक्ति चाहिए, जनसामान्‍य के संस्कार चाहिए, जनसामान्‍य की परम्‍परा चाहिए, ये सब कुछ उत्तर प्रदेश के जन-जन में है। आप उस विरासत के धनी है फिर भी मुसीबत क्‍यों है..? मुसीबत इसलिए है क्‍योंकि आपने सही सरकारें नहीं चुनी, आपको सही नेता नहीं मिलें, जिस दिन आप सही सरकार चुनेगें, आप सही नेता चुनेगें, तो जनता की ये शक्ति राष्‍ट्र को ऊपर ले जाने का बहुत बड़ा कारण बन सकती है और मुझे इस बात का पूरा भरोसा है..!

भाईयों-बहनों, लाल बहादुर शास्‍त्री के नेतृत्‍व में इस देश के किसान ने ठान लिया था, जब लाल बहादुर शास्‍त्री जी ने मंत्र दिया था - ‘जय जवान, जय किसान’, तो इसी देश के किसान ने हिंदुस्‍तान के अन्‍न के भंडार भर दिए थे। यही धरती, यही किसान, यही परम्‍परा, लेकिन सही नेतृत्‍व के आह्वान में इन्‍ही किसानों ने हिंदुस्‍तान के भंडार भर दिए थे। मित्रों, अकेला उत्तर प्रदेश पूरे यूरोप का पेट भर सकता है, इतनी ताकत है इसमें..! लेकिन सरकारें ऐसी बनी हैं, देश ऐसे चल रहा है कि आज यूरोप का पेट भरने का सामर्थ्‍य रखने वाला किसान, दुर्भाग्‍य से खुद का ही पेट नहीं भर पा रहा है, इससे बड़ी दुखद बात क्‍या हो सकती है..! जब किसान धान की पैदावार करता है, खेती करता है, दिन-रात मेहनत करता है तो उसके मन में भाव होता है कि इस मेहनत से पका हुआ धान किसी गरीब के पेट में जाएगा, किसी गरीब की जिन्‍दगी को बदलेगा, उसके आर्शीवाद मिलेंगे। सिर्फ पैसों की बात नहीं, उसके दिल में रहता है कि इंसान ही नहीं कोई पशु-पक्षी भी भूखा न रहें और इसीलिए किसान पसीना बहाता है, मेहनत करता है। लेकिन भाईयों-बहनों, इतनी मेहनत करके धान की खेती करने वाला किसान जब टीवी पर देखता है, अखबार में पढ़ता है कि रेलवे प्‍लेटफॉर्म पर पका-पकाया धान पानी में भीग रहा है, सड़ रहा है तो सिर्फ आर्थिक नुकसान नहीं होता बल्कि किसान के दिल को चोट पहुंचती है। भाईयों-बहनों, किसान जब धान पैदा करता है तो उसको संतोष सिर्फ जेब भरने से नहीं मिलता। उसकी जेब में कितने रूपए आएंगे, इससे भी किसान को संतोष नहीं होता है, उसको संतोष तब मिलता है जब उसे पता चलता है कि उसकी मेहनत से पैदा धान किसी गरीब के काम आया..! किसान के मन की ये भावना, ये किसान के दिल की बात दिल्‍ली में बैठी सरकार समझ नहीं पाती है, कागज पर हिसाब-किताब करने वाले लोग किसान के मन की भावना समझ नहीं पा रहें और इसी कारण, धान के भंडार पानी में भीग रहे हैं, सड़ रहे हैं। भारत की सुप्रीम कोर्ट हुकुम करती है कि ये धान गरीबों में बांट दिया जाएं। दिल्‍ली की सरकार धान को सड़ने देती है लेकिन गरीबों को बांटने से इंकार कर देती है, सुप्रीम कोर्ट के कहने के बाद भी इंकार कर देती है और बाद में मेहनत से पैदा किए जाने वाले धान को 80 पैसे की दर से शराब बनाने वालों को बेच देती है..! क्‍या मेरे देश के किसान को ऐसे काम से पीड़ा होती होगी या नहीं, उसके दिल को चोट पहुंचती होगी या नहीं..? मैं हैरान हूं कि क्‍या किसी देश के शासक ऐसे हो सकते हैं जो किसानों की मेहनत को शराब बनाने के लिए बेच दें..! ये किसानों का अपमान है, धरती पुत्रों का अपमान है और साथ ही साथ हमारे देश के गरीबों का मज़ाक है..!

भाईयों-बहनों, चुनाव आते हैं तो ये लोग माला जपने लग जाते हैं। कुछ विद्यार्थी होते हैं जो एक्‍जाम आने पर चार बार भगवान को याद करते हैं, पूजा-पाठ करते हैं कि आज पेपर है तो भगवान का आर्शीवाद मिल जाएं। एक्‍जामिनेशन हॉल में बैठते हैं तो वहां भी दस बार भगवान का स्‍मरण करते हैं और उसके बाद पेपर देखते हैं। इसी तरह, कांग्रेस पार्टी भी चुनाव आने पर माला फेरने लग जाती है - गरीब, गरीब, गरीब, गरीब... और मन में सोचती है कि एक बार इन लोगों का आर्शीवाद मिल जाएं तो नैय्या पार हो जाएगी..! भाईयों-बहनों, अगर इनके दिल में गरीबों के प्रति थोड़ा सा भी प्रेम या आदर होता, सीने में थोड़ा दर्द होता, तो आजादी के इतने सालों बाद, एक ही परिवार के पास 45 साल सरकार रहने के बाद गरीबों की ये हालत न होती। अगर गरीबी के लिए कोई एक दोषी है तो सिर्फ यह एक परिवार दोषी है। एक परिवार ने देश के गरीबों को तबाह करके रखा हुआ है और ये उनकी मानसिकता में झलकता है..!

भाईयों-बहनों, गरीबी क्‍या होती है ये देखने के लिए हमें कहीं जाना नहीं पड़ता है क्‍योंकि हमने बचपन गरीबी में बिताया है। मैं तो यह देखकर हैरान हूं कि गरीबों के प्रति इनके दिल में कितनी नफरत है..! यूपीए के एक नेता कहते हैं, मैं तो चाय बेचने वाला हूं..! आप लोग ही बताइए, क्‍या चाय बेचकर, मेहनत करके गुजारा करना गुनाह है..? पाप है..? क्‍या ईमानदारी से मेहनत करके खड़े होना कंलक है..? मुझे हैरानी होती है कि गरीबों की बात करने वाले ये लोग खुलेआम कह रहे है कि क्‍या चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री बन सकता है..? अगर देश की जनता आर्शीवाद दें तो खेत में काम करने वाला मजदूर भी प्रधानमंत्री बन सकता है, फुटपाथ पर बैठकर जूतों की पॉलिश करने वाला भी प्रधानमंत्री बन सकता है। लेकिन मैं आपको अपने संस्‍कारों के आधार पर कहना चाहता हूं कि हमें चाय बेचना मंजूर है, देश बेचना मंजूर नहीं है..! वह लोग गरीबों का इस प्रकार मज़ाक उड़ाते हैं, और तो और उनके एक नेता बोलते हैं कि गरीबी कुछ नहीं होती, ये तो सिर्फ स्‍टेट ऑफ माइंड होता है, एक मन की अवस्‍था होती है..! शाम को जब घर में चूल्‍हा न जले, बच्‍चे रात-रात भर रोते रहें, तब पता चलता है कि गरीबी क्‍या होती है..! उन्‍हे क्‍या मालूम गरीबी क्‍या होती है। छोटे-छोटे बच्‍चे मां-बाप का पेट भरने के लिए मेहनत करते हैं, लेकिन ये गरीबों का मज़ाक उड़ा रहे हैं..!

भाईयों-बहनों, ये जो अंहकार है और जो लोग गरीबों को अपनी जेब में मानते हैं, ऐसे लोगों से गरीबों का भला नहीं हो सकता है। इसलिए, मैं गरीबों से कहना चाहता हूं कि जिन लोगों ने आज तक आपका शोषण किया है उन्‍हे उखाड़ फेंकने का काम सबसे पहले करना होगा..! अभी हमारे राजनाथ सिंह जी ने बड़ी पीड़ा व्‍यक्‍त करते थे कि कांग्रेस के नेता ने कहा कि भाजपा वाले चोर हैं..! ये लोग पता नहीं क्‍या-क्‍या बोलते हैं, अगर इन लोगों के द्वारा बोले गए सभी शब्दों को एक जगह इक्‍ट्ठा करके कहीं छाप दिया जाएं तो हम हैरान हो जाएंगे कि इन लोगों के ऐसे संस्‍कार हैं, इनकी ऐसी भाषा है..? कांग्रेस के नेताओं को मैं कहना चाहता हूं कि आप लोग कहते हैं हम चोर हैं, आपका आरोप हमें मंजूर है। हां, हम चोर हैं, हां, हमने चोरी की है, हमने कांग्रेस की नींद चुराई है, हमने कांग्रेस का चैन चुरा लिया है..! अब हम लोग आजादी के बाद से देश को लूटने वाली कांग्रेस को चैन से बैठने नहीं देगें, ऐसा फैसला करके हम मैदान में आएं हैं..!

भाईयों-बहनों, मैं यहां उपस्थित सभी बड़ी आयु के लोगों से पूछना चाहता हूं कि आप जिन मुसीबतों से गुजारा करते रहे हैं, क्‍या आप अपने बच्‍चों को ऐसा हिंदुस्‍तान देना चाहते हैं..? क्‍या आप अपने बच्‍चों को गरीबी में जीने के लिए मजबूर करना चाहते हैं..? क्‍या आप अपने बच्‍चों को बेरोजगार रहने के लिए मजबूर करना चाहते हैं..? क्‍या आप अपने बच्‍चों को गांव का घर छोड़कर शहरों की झुग्‍गी-झोपडि़यों में रहने के लिए मजबूर करना चाहते हैं..? नहीं..!

भाईयों-बहनों, यहां से दो दिन पहले मुझे किसी मुस्लिम सज्‍ज़न ने चिट्ठी भेजी है, उसमें उन्‍होने लिखा है कि मोदी जी, आप बनारस आ रहे हैं, उसमें हमारी एक मुश्किल का जिक्र कर दीजिए कि हम लोग एक मुस्लिम बस्‍ती में रहते हैं, वहां छोटे-मोटे पावरलूम के साड़ी के कारखाने लगे हुए हैं जो रात-रात भर चलते हैं, नींद नहीं आती है और परेशान हो जाते हैं, उसका कोई रास्‍ता निकालिए, उस व्‍यक्ति ने अपनी वेदना प्रकट की है..! मित्रों, बनारस की साड़ी सिर्फ महिलाओं की इज्‍ज़त नहीं बचाती बल्कि हिंदुस्‍तान की आर्थिक लाज बचाने की ताकत भी रखती है..! इतना बड़ा उद्योग, लाखों लोगों को रोजगार देने वाला उद्योग बर्बाद करके रख दिया गया। जिस मित्र ने चिठ्ठी लिखकर यह परेशानी बताई है उन्‍हे मैं बताना चाहता हूं कि इसका उपाय है। देखिए, हमारे सूरत और काशी का नाता बहुत जुड़ा हुआ है। एक कहावत है कि ‘काशी का मरण और सूरत का जमण’, यानि काशी में मरना और सूरत के भोजन का अलग महत्‍व होता है। सूरत में भी पावरलूम का बहुत बड़ा काम है और काशी में भी पावरलूम का काम है। एक ज़माना था कि सूरत में आप सुबह जल्‍दी या शाम को निकलें तो पावरलूम का आवाज बहुत होती थी, आपके स्‍कूटर से भी ज्‍यादा तेज आवाज पावरलूम की सुनाई देती थी। लेकिन भाईयों-बहनों, दस साल के भीतर-भीतर हमने एक अभियान चलाया, सरकार और बैंकों की तरफ से आर्थिक मदद की व्‍यवस्‍था की और पूरे पावरलूम सेक्‍टर को टेक्‍नोलॉजिकली अपग्रेड किया, शहर के बाहर बहुत बड़े-बड़े इंडस्‍ट्रियल कॉम्‍पलेक्‍स खड़े किए। भाईयों-बहनों, मार्केट में बिल्‍कुल आवाज न करने वाली मशीनें आ चुकी हैं जिसके लिए सरकार ने मदद की और बैंकों से सहायता दिलाई, आज टेक्‍नोलॉजी अपग्रेडशन के कारण कपड़े की क्‍वालिटी, क्‍वांटिटी और शांति का जीवन हम सूरत में मुहैया करवा पाएं है और यह काम बनारस में भी हो सकता है। जो लोग मुझे पूछते हैं कि मोदी, विजन क्‍या है..? ये है हक़ीकत, जाइए और देखकर आइए..!

भाईयों-बहनों, अगर नेक इरादा होता और बनारस के साडियों के उद्योग को अपग्रेड किया गया होता, आधुनिक रूप से उसका महत्‍व बढ़ाया गया होता तो आज हिंदुस्‍तान में अकेले बनारस की साड़ी के उद्योग में लाखों नौजवानों को रोजगार मिलता, उनको कहीं बाहर जाने की नौबत नहीं आती..! लेकिन भारत सरकार की नीतियां ऐसी हैं कि वो चाइना से यान इम्‍पोर्ट कर लेते हैं लेकिन बनारस में साड़ी बनाने वाले की आजीविका की उन्‍हे परवाह नहीं होती है और ऐसी नीतियों के कारण ऐसी मुसीबत आती है..!

भाईयों-बहनों, इस पूर्वांचल का कोई गांव ऐसा नहीं होगा जिसका कोई न कोई नौजवान मेरे गुजरात में न रहता हो। आप ही बताइए, अपना गांव छोड़कर, अपने बूढ़े मां-बाप छोड़कर उसको गुजरात जाने की नौबत क्‍यूं आई..? अगर उत्तर प्रदेश का विकास हुआ होता, तो उसे अपना घर न छोड़ना पड़ता, अपना गांव न छोड़ना पड़ता, खेत-खलिहान न छोड़ने पड़ते, यार दोस्‍त न छोड़ने पड़ते, बूढ़े मां-बाप न छोड़ने पड़ते..! भाईयों-बहनों, आज बेराजगारी के कारण देश के नौजवान को अपने जीवन में अंधकार सा महसूस हो रहा है। वो परेशान है, जाएं तो जाएं कहां, किसका हाथ पकड़े, कौन उसे बचाएं..! मित्रों, आप लोग ही बताइए, जब भी किसी सरकारी नौकरी का विज्ञापन आता है तो सबसे पहले दिमाग में आता है कि किसी की सिफारिश की जरूरत पड़ेगी, ऐसा आपको लगता है ना..? नौकरी के लिए आप सबसे पहले सिफारिश खोजते हैं या नहीं..? क्‍या आपको लगता है कि बिना सिफारिश के नौकरी मिलने की कोई गांरटी है..? क्‍या बिना खर्चा किए नौकरी मिलने की गारंटी है..? क्‍या ये बेईमानी का धंधा चल रहा है कि नहीं..? क्‍या इसका कोई उपाय हो सकता है कि नहीं..? मेरे पास उपाय है। कांग्रेस के जो रक्षक मुझसे मेरा विजन पूछते है मैं उन्‍हे बताना चाहता हूं कि मेरा विजन क्या है..!

मित्रों, एक बार हमें गुजरात में 13,000 टीचरों को रिक्रुट करना था। अब टीचर्स के रिक्रुटमेंट में एक-दो लाख एप्‍लीकेशन आना सामान्‍य बात है, इसलिए हमने विज्ञापन दिया और सभी का रजिस्‍ट्रेशन ऑनलाइन करवा दिया। बाद में कम्‍प्‍यूटर से टॉप 13,000 लोगों को सेलेक्‍ट कर लिया, जिनके मार्क्‍स सबसे ज्‍यादा थे। हमने उन लोगों का कोई इंटरव्यू नहीं लिया, बुलाया नहीं और सीधे ऑर्डर देकर रिक्रुट कर लिया..! गरीब विधवा मां के घर बेटे का ऑर्डर आ गया की नौकरी लग गई..! सिफारिश इंटरव्‍यू में होती है, अगर मेरिट के आधार पर निर्णय हो और इंटरव्यू का झमेला खत्‍म कर दिया जाए तो ये भ्रष्‍टाचार, ये सिफारिश का सारा खेल बंद हो जाएगा और जो नौकरी का वास्तविक हकदार होगा उसे नौकरी मिल जाएगी..! मैनें गुजरात में पॉयलट प्रोजेक्‍ट करके देखा है और हमें इसमें सफलता मिली है, किसी ने उस पर उंगली नहीं उठाई, सभी कहते हैं कि हां ये सही रास्‍ता है। मैं मानता हूं कि कोई नौजवान कितना भी पढ़ा लिखा हो, सर्टिफिकेट के भरोसे वह जी नहीं सकता और इसलिए वह सिफारिश खोजता रहता है..!

भाईयों-बहनों, मेरे नौजवानों को डिग्‍निटी चाहिए, उनको हाथ फैलाकर जिन्‍दगी जीने से मुक्ति चाहिए। मेरे देश का नौजवान हिंदुस्‍तान का भाग्‍य बदल सकता है, देश की सरकार को नौजवान में भरोसा चाहिए और इसी भरोसे को लेकर हम आएं हैं। मैं देश के नौजवानों से कहना चाहता हूं कि आज भी देश में अवसरों की कमी नहीं है, आज भी देश में मैन पॉवर की आवश्‍यकता है। कृषि का क्षेत्र हो, सेवा का क्षेत्र हो, मैनुफैक्‍चरिंग का क्षेत्र हो, देश के नौजवानों की ताकत से आर्थिक महासत्ता बनने का सामर्थ्‍य ये देश रखता है। नौजवानों, इसलिए मैं आपके भविष्‍य की गारंटी लेकर आया हूं..! अगर हिंदुस्‍तान के नौजवान के भविष्‍य की कोई गारंटी नहीं, तो हिंदुस्‍तान के भविष्‍य की भी कोई गारंटी नहीं है। भारत का भाग्‍य भारत के नौजवान के हाथ में है। आज नौजवान को अवसर चाहिए और भारतीय जनता पार्टी नौजवानों को अवसर देने का संकल्‍प लेकर आई है..

भाईयों-बहनों, लोग कांग्रेस की सरकारों को हटाने में लगे हैं और भाजपा की सरकार को दुबारा बिठाने में लगे हुए हैं, ये इस बात का सबूत है कि हम जनता की कसौटी पर खरे उतरे हैं। मित्रों, मैं उत्तर प्रदेश के भिन्‍न-भिन्‍न क्षेत्रों में जा रहा हूं, हर जगह के जनसैलाब को देखकर मैं विश्‍वास से कहता हूं कि देश की जनता दिल्‍ली की सरकार उखाड़ फेंकने के लिए बहुत उतावली है। देश की जनता अब एक पल के लिए भी दिल्‍ली की सरकार को सहने के लिए तैयार नहीं है। भाईयों-बहनों, भारत का भाग्‍य बदलने के लिए कांग्रेस मुक्‍त भारत का निर्माण करना होगा..! कांग्रेस मुक्‍त भारत का निर्माण ही गरीबी मुक्‍त भारत की गांरटी है, कांग्रेस मुक्‍त भारत का निर्माण ही बेराजगारी मुक्‍त भारत के निर्माण की गांरटी है। गरीबी से मुक्ति के लिए, बेराजेगारी से मुक्ति के लिए, भुखमरी से मुक्ति के लिए, भ्रष्‍ट्राचार से मुक्ति के लिए कांग्रेस की मुट्ठी से भारत को मुक्‍त कराना होगा, इसी सपने को लेकर आगे बढ़ना होगा, इन सारी शुभकामनाओं के साथ आप सभी का बहुत-बहुत आभारी हूं..!

दोनों हाथों की मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलिए, पूरी ताकत से बोलिए कि आवाज दिल्‍ली तक पहुंच जाएं...

भारत माता की जय..!  भारत माता की जय..!

वंदे मातरम्..!  वंदे मातरम्..!  वंदे मातरम्..!

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मानसून सत्र, भारत के बढ़ते कद और लोकतांत्रिक ताकत का प्रतीक: पीएम मोदी
July 21, 2025
Quoteमानसून सत्र राष्ट्र के लिए गौरव का पल है, यह हमारी सामूहिक उपलब्धियों का सच्चा उत्सव है: प्रधानमंत्री
Quoteदुनिया ने भारत की सैन्य-शक्ति का लोहा माना है; ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सैनिकों ने अपना लक्ष्य शत-प्रतिशत सफलता के साथ हासिल किया: पीएम
Quoteभारत ने कई हिंसक चुनौतियों का सामना किया है, चाहे वह आतंकवाद हो या नक्सलवाद, लेकिन आज नक्सलवाद और माओवाद का प्रभाव तेजी से कम हो रहा है: पीएम
Quoteबम और बंदूकों के सामने संविधान जीत रहा है। अतीत के ‘रेड कॉरिडोर’ अब ग्रोथ के ‘ग्रीन जोन’ में बदल रहे हैं: पीएम
Quoteडिजिटल इंडिया विश्व स्तर पर धूम मचा रहा है, यूपीआई कई देशों में लोकप्रियता हासिल कर रहा है, यह फिनटेक की दुनिया में एक स्थापित नाम है: प्रधानमंत्री
Quoteपहलगाम में हुए क्रूर नरसंहार ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। दलगत भावना से ऊपर उठकर, भारत के प्रतिनिधि पाकिस्तान की भूमिका को उजागर करने के लिए एकजुट हुए: पीएम

नमस्कार दोस्तों,

मानसून सत्र में आप सभी मीडिया जगत के लोगों का स्वागत है।

साथियों,

मानसून नवीनता और नवसृजन का प्रतीक है, और अब तक जो खबरें मिली हैं, देश में मौसम बहुत ही अच्छे ढंग से आगे बढ़ रहा है, कृषि को लाभदायक मौसम की खबरें हैं। और बारिश किसानों की अर्थव्यवस्था, देश की अर्थव्यवस्था, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और इतना ही नहीं हर परिवार की अर्थव्यवस्था में एक बहुत महत्वपूर्ण होती है। अब तक जो मुझे जानकारी दी गई है, उस हिसाब से पिछले 10 वर्ष में जो पानी का भंडार हुआ है इस बार वो करीब-करीब तीन गुना हुआ है, जिसका आने वाले दिनों में भी देश के अर्थतंत्र को बहुत लाभ होगा।

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साथियों,

ये मानसून सत्र राष्ट्र के लिए ये बहुत ही गौरवपूर्ण सत्र है। ये मानसून सत्र राष्ट्र के लिए एक अपने आप में विजयोत्सव का रूप है। और जब मैं कहता हूं कि ये सत्र राष्ट्र गौरव और विजयोत्सव का सत्र है, तो सबसे पहले तो मैं पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर भारत का तिरंगा झंडा वहां लहराना ये हर देशवासी के लिए गौरव के पल हैं। देश में साइंस टेक्नोलॉजी के प्रति, इनोवेशन के प्रति, नया उमंग और उत्साह भरने वाली ये सफल यात्रा रही है। अब पूरा संसद, लोकसभा राज्यसभा दोनों सदन, देशवासी जिस गौरव का अनुभव कर रहे हैं, उसमें एक स्वर से जुड़ेंगे, एक स्वर से इसका यशगान होगा, जो भारत को अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों पर पहुंचने वाले जो भावी कार्यक्रम हैं, उनके लिए भी प्रेरक बनेगा, प्रोत्साहक बनेगा।

साथियों,

ये मानसून सत्र एक विजयोत्सव है। पूरी दुनिया ने भारत की सैन्य शक्ति का, भारत के सैन्य के सामर्थ्य का रूप देखा है। ऑपरेशन सिंदूर में भारत की सेना ने जो लक्ष्य निर्धारित किया था, 100 परसेंट अचीव किया। आतंकियों के आकाओं के घर में जाकर के 22 मिनट के भीतर- भीतर ऑपरेशन सिंदूर के तहत उसको जमींदोज कर दिया गया। और मैंने बिहार के एक कार्यक्रम में इसकी घोषणा की थी, जो हमारी सैन्यशक्ति ने बहुत ही कम समय में सिद्ध करके दिखा दिया। और इसमें मेड इन इंडिया सैन्यशक्ति का ये नया स्वरूप इस पर भी दुनिया बहुत आकर्षित हुई है। इन दिनों विश्व के जिन-जिन लोगों से मिलना होता है तो, तो भारत के इस मेड इन इंडिया जो औजार तैयार हो रहे हैं, उसके प्रति दुनिया का आकर्षण बढ़ रहा है। मुझे विश्वास है कि जब सदन इस विजयोत्सव को एक स्वर में विजय के भाव से इस सत्र के दरमियान उन ओजस्वी-तेजस्वी भावनाओं को प्रकट करेगा, तो भारत की सैन्यशक्ति को बल मिलेगा, प्रोत्साहन मिलेगा, देशवासियों को प्रेरणा मिलेगी, और सैन्य क्षेत्र में जो रिसर्च, इनोवेशन और मैन्युफैक्चरिंग हो रहे हैं, मेड इन इंडिया डिफेंस इक्विपमेंट बन रहे हैं, उसको भी एक बल मिलेगा, और जो भारत के नौजवानों के लिए नए रोजगार के अवसर पैदा करेगा।

साथियों,

ये दशक हम एक प्रकार से देख सकते हैं कि शांति और प्रगति कंधे से कंधा मिलाकर के आगे बढ़ने के कदम-कदम पर प्रगति का एहसास हम करते रहें हैं। देश कई प्रकार की हिंसक वारदातों का शिकार रहा है, लंबे अरसे तक शिकार रहा है, देश आजाद हुआ तब से हम इस समस्या को झेल रहे हैं। चाहे आतंकवाद हो, नक्सलवाद हो, कोई प्रारंभ में शुरू हुआ होगा, कोई बाद में शुरू हुआ होगा। लेकिन आज नक्सलवाद का, माओवाद का दायरा बहुत तेजी से सिकुड़ रहा है। माओवाद को, नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने के संकल्प के साथ देश के सुरक्षा बल एक नए आत्मविश्वास से, तेज गति से सफलता की ओर कदम रख रहे हैं। और मैं गर्व से कह सकता हूं, देश में सैकड़ो जिलें नक्सल की चपेट में से निकलकर के आज मुक्ति का सांस ले रहे हैं। हमें गर्व है कि बम, बंदूक और पिस्तौल के सामने हमारे देश का संविधान जीत रहा है, हमारे देश का संविधान विजयी हो रहा है। देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए साफ दिख रहा है कि कल तक जो रेड कॉरिडोर थे, वो आज ग्रीन ग्रोथ जोन में परिवर्तित होते नजर आ रहे हैं।

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साथियों,

एक के बाद ऐसी घटनाएं देशभक्ति के लिए, देश की भलाई के लिए संसद में पहुंचे हुए हर माननीय सांसद के लिए गौरव का पल हैं। और संसद के इस सत्र में ये गौरवगान पूरा देश सुनेगा, हर सांसद से सुनेगा, हर दल से सुनेगा।

साथियों,

आर्थिक क्षेत्र में भी जब 2014 में आप सबने हमें जिम्मेदारी दी, देश फ्रेजाइल-5 की अवस्था से गुजर रहा था। 2014 के पहले वैश्विक अर्थव्यवस्था में हम 10वें नंबर पर थे, और आज भारत तेज गति से दुनिया की तीसरी नंबर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, दरवाजे पर दस्तक दे रहा है। इन दिनों 25 करोड़ गरीबों का गरीबी से बाहर निकलना, जिसकी विश्व की अनेक संस्थाएं सराहना कर रही हैं। देश में एक जमाना था 2014 के पहले, जब महंगाई का दर, इन्फ्लेशन रेट डबल डिजिट में हुआ करता था, आज 2 परसेंट के आसपास आकर के देश के सामान्य मानवी के जीवन में राहत बन गया है, सुविधा बन गया है। Low inflation के सामने हाई ग्रोथ एक अच्छे विकास यात्रा की दिशा है।

साथियों,

डिजिटल इंडिया, यूपीआई आज भारत के एक नए सामर्थ्य को दुनिया देख रही है, पहचान रही है, और ज्यादातर देश में उसके प्रति एक आकर्षण पैदा हो रहा है। यूपीआई ने Fintech की दुनिया में अपना एक नाम कमाया है। रियल टाइम डिजिटल ट्रांजेक्शन दुनिया में सबसे ज्यादा हो रहे हैं, दुनिया में जितने हो रहे हैं, अकेले भारत में उससे ज्यादा हो रहे हैं।

साथियों,

पिछले दिनों इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन का एक वैश्विक समागम था, और उसमें भारत ने बहुत बड़ी ऊंचाई प्राप्त की है। ILO का कहना है कि 90 करोड़ से ज्यादा लोग भारत में अब सोशल सिक्योरिटी के दायरे में है, ये अपने आप में एक बहुत बड़ा अचीवमेंट है। उसी प्रकार से वैश्विक संस्था WHO ने ये कहा है कि भारत अब आंख की जो बीमारी आमतौर पर बारिश के सीजन में ज्यादा देखी जाती थी, ट्रेकोमा, अब भारत को WHO ने ट्रेकोमा फ्री घोषित किया है, तो आरोग्य के क्षेत्र में भी ये अपने आप में एक महत्वपूर्ण भारत के लिए सिद्धि है।

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साथियों,

पहलगाम की क्रूर हत्या, अत्याचार, नरसंहार पूरी दुनिया चौंक उठी थी। आतंकवादियों और आतंकवादियों के आकाओं दुनिया का ध्यान उनकी तरफ केंद्रित हुआ था। और उस समय दल हित छोड़कर के देशहित में हमारे ज्यादातर दलों के प्रतिनिधि, ज्यादातर राज्यों के प्रतिनिधियों ने विश्वभ्रमण किया, दुनिया के अनेक देशों में गए, और एक स्वर से दुनिया के सामने आतंकवादियों का आका पाकिस्तान को बेनकाब करने का एक बहुत सफल अभियान चलाया। मैं आज राष्ट्रीय हित में किए गए इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए उन सभी सांसदों की सराहना करना चाहता हूं, सभी दलों की सराहना करना चाहता हूं, और इसने देश में एक सकारात्मक वातावरण पैदा किया। विश्व ने भारत की बात को स्वीकार करने की दिशा में अपने मन के द्वार खोले और इसके लिए ये हमारे सांसदगण, हमारे राजनीतिक दल सराहना करने के मेरे लिए सौभाग्य है।

साथियों,

हम जानते हैं कि ये स्पिरिट, एक स्वर, एक एकता का वातावरण देश को कितना उत्साह से भर देता है। विजयोत्सव का ये पर्व इस मानसून सत्र में भी उसी भाव से प्रकट होगा, देश की सैन्य शक्ति की सरहाना करेगा, देश के सामर्थ्य का गौरवगान करेगा, और देश के 140 करोड़ नागरिकों को नई प्रेरणा का कारण बनेगा। मुझे विश्वास है कि हम सब मिलकर के डिफेंस के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के इन प्रयासों को बल दें, सेना के सामर्थ्य की सराहना करें। और मैं आज देशवासियों के सामने जरूर कहूंगा, और देश के राजनीतिक दलों से भी कहूंगा कि देश ने एकता की ताकत देखी है, एक स्वर का सामर्थ्य क्या होता है देखा है, तो सदन में से भी सभी माननीय सांसद उसको बल दें, उसको आगे बढ़ाएं। और मैं ये जरूर कहूंगा राजनीतिक दल अलग-अलग है, हर एक का अपना एक एंजेडा है, अपनी एक भूमिका है, लेकिन मैं इस वास्तविकता को स्वीकार करता हूं कि दल हित में मत भले ना मिले, लेकिन देशहित में मन जरुर मिले। इसी एक भावना के साथ, इस मानसून सत्र से देश के विकास यात्रा को बल देने वाले, देश की प्रगति को बल देने वाले, देश के नागरिकों को सामर्थ्य देने वाले अनेक विधेयक प्रस्तावित हैं, सदन विस्तृत चर्चा करके उसको भी पारित करेगा। मेरी सभी माननीय सांसदों से उत्तम डिबेट चलाने के लिए शुभकामनाएं हैं।

बहुत-बहुत धन्यवाद।