श्री मोदी ने की भावनगर जिले में सूखे के हालात की सर्वांगीण समीक्षा
अकाल प्रबंधन का बेहतरीन मॉडल पेश करें: मुख्यमंत्री
च्पहले के अकाल एवं मौजूदा अकाल में जमीन-आसमान का अंतरज्
अकाल राहत के घिसे-पिटे कदम उठाने की मानसिकता से बाहर आएं
जिला अकाल राहत कन्टीन्जेंसी प्लान के अमल की समीक्षा
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को भावनगर जिले में सूखे के हालात और उससे निपटने के लिए जिला प्रशासन के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में स्पष्ट तौर पर कहा कि भूतकाल के अकाल और मौजूदा वर्ष के अकाल में जमीन-आसमान का फर्क है। इस वर्ष नर्मदा का जल उपलब्ध है, जिसका व्यवस्थापन करते हुए सूखे का सामना करने के लिए प्रशासन को पूर्व तैयारी के साथ कन्टीन्जेंसी प्लान अमलीकृत करने के लिए कार्यरत किया है। इससे भी एक कदम आगे बढ़ते हुए अकाल की आपत्ति को अवसर में तब्दील करते हुए अकाल प्रबंधन का बेहतरीन मॉडल देश के समक्ष रखने की चुनौती को स्वीकारने का प्रेरक मार्गदर्शन भी उन्होंने दिया।जिला अकाल राहत के कन्टीन्जेंसी प्लान के अमल की समीक्षा के दौरान श्री मोदी ने सूखे के संकट का मुकाबला करने के लिए राहत कार्यों के वर्षों पुराने तौर-तरीकों और घिसे-पिटे कदम उठाने की मानसिकता से बाहर निकलने का प्रेरक चिंतन करने और नर्मदा के पानी की उपलब्धता को देखते हुए में नरेगा द्वारा स्थायी जलसंग्रह के लिए संसाधनों के निर्माण की पहल करने का अनुरोध किया।
श्री मोदी ने कहा कि अकालग्रस्त इलाकों की जनता के साथ खड़े रहने में जिला प्रशासन और सरकार पीछे नहीं हटेगी, परन्तु इस मुश्किल दौर में कुपोषण से मुक्ति के लिए जनभागीदारी से सुखड़ी वितरण का सामाजिक आंदोलन छेडऩे पर उन्होंने बल दिया।
उन्होंने कहा कि नरेगा-रोजगारी के तहत जिले के समुद्री तट पर समुद्री शैवाल की खेती का काम बड़े पैमाने पर हो सकता है।
श्री मोदी ने कहा कि सूखे के हालात को देखते हुए राज्य में रेलवे लाइन के दोनों तरफ उपलब्ध विशाल अनुपयोगी जमीन का उत्पादकीय उपयोग जनभागीदारी से घासचारे की बुआई करने के लिए जमीन को लीज पर देने की भारत सरकार के समक्ष मांग की है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अकालग्रस्त गुजरात में मुक पशुधन के लिए भारत सरकार रेल लाइनों के आसपास की जमीनें हरे घासचारे की बुआई के लिए प्रारंभ में एक वर्ष के लिए आवंटित करने का सकारात्मक रवैया अपनाएगी।
जलसंचय के लिए तालाबों को गहरा करने और जलाशयों-बांधों के डिसील्टिंग का काम बड़े स्तर पर करने का प्रेरक सुझाव मुख्यमंत्री ने दिया। इस बार अकाल की स्थिति में नर्मदा आधारित स्रोत उपलब्ध है, ऐसे में चेकडैम को डिसील्टिंग करने के लिए नरेगा का अधिकतम लाभ लेने पर भी उन्होंने बल दिया।
मुख्यमंत्री ने भावनगर जिले के शहरी और ग्रामीण इलाकों में पेयजल के लिए नर्मदा आधारित पाइपलाइनों और भूगर्भ तथा रिचार्ज जलस्रोतों के आयोजन की जानकारी ली। श्री मोदी ने मार्गदर्शन देते हुए कहा कि पुराने अकाल राहत के मैन्यूअल की परंपरा से बाहर निकलकर नवीनतम पहल के रूप में नवसर्जन के साथ स्थायी संसाधनों का निर्माण करने के लिए जिला प्रशासन टीम सामूहिक मंथन करेगी तो गुजरात अकाल की आपदा को अवसर में पलटने का चिंतन दे सकता है।
शहर के आसपास के खेतों में सब्जी-भाजी की बुआई के लिए शहर के ही वेस्ट वाटर ट्रीटमेंट मैनेजमेंट का मॉडल अपनाने के लिए उन्होंने मार्गदर्शन दिया। शेत्रुंजी और बोरतालाब-जलाशयों के पानी की अधिकतम उपलब्धता के अलावा पेयजल के लिए नर्मदा आधारित पाइपलाइन जलापूर्ति की व्यवस्था की जानकारी लेने के दौरान मुख्यमंत्री ने कई नये सुझाव भी दिये। उन्होंने कहा कि राज्य के उन जलाशयों में जहां जलस्तर पर्याप्त मात्रा में है, वहां डिसील्टिंग का आंदोलन तत्काल शुरू किया जाएगा।
पहाड़ी इलाकों में नरेगा द्वारा टैरेस तलावड़ी और वृक्षारोपण के गड्ढों का काम फौरन शुरू करने के लिए उन्होंने वन विभाग को निर्देश दिया।
जिला कन्टीन्जेंसी प्लान के अंतर्गत पेयजल, सिंचाई, खेतीबाड़ी वैकल्पिक आयोजन और सहायता, घासचारा, ग्रामीण रोजगार सहित उठाए गए कई कदमों की मुख्यमंत्री ने समीक्षा की।
समीक्षा बैठक में वित्त राज्य मंत्री सौरभभाई पटेल, सांसद, विधायकगण, प्रभारी सचिव, राहत आयुक्त, जिला कलक्टर, मनपा आयुक्त, जिला विकास अधिकारी समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।


