"Gujarat’s battle against malnutrition CM launches ‘Doodh Sanjivani’ project in Surat"
"A novel initiative by Surat district panchayat for rooting out malnutrition"
"CM hands over order letters for allotting spare land under Land Ceiling Act to the landless tribals"
"“While the Prime Minister does nothing except describing malnutrition as a matter of national shame and keep shedding tears on it, Gujarat has already started taking concrete steps in this regard since 2004” ~ Narendra Modi"

सूरत जिला पंचायत की अनोखी पहल : दूध संजीवनी प्रोजेक्ट

प्रधानमंत्री कुपोषण की च्राष्ट्रीय शर्मज् का रोना रो रहे हैं जबकि गुजरात ने कुपोषण मुक्त गुजरात का जनअभियान शुरू किया : मुख्यमंत्री

आंगनबाड़ी सहित आदिवासी प्राथमिक स्कूल के

बच्चों को मिलेगी दूध की संजीवनी

 मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात को कुपोषण मुक्त बनाने का दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कुपोषण को राष्ट्रीय शर्म बताने का रोना रोते हैं जबकि गुजरात ने तो जनभागीदारी से कुपोषण के खिलाफ जंग 2004 से ही शुरू कर दी है और लाखों शिशुओं, बच्चों सहित गरीब माताओं को कुपोषण से बचा लिया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि चुनावी वर्ष में राजनीति और वोट बैंक की परवाह किए बगैर इस सरकार ने शिशुओं और बच्चों के पोषण को ही प्राथमिकता दी है। उन्होंने कहा कि गुजरात के समझदार नागरिकों ने राज्य को तबाह करने वाले और झूठी अफवाह फैलाने वालों को 20 वर्षों से किनारे लगा दिया है। सूरत जिला पंचायत द्वारा जनभागीदारी से जिले की 1640 आंगनबाडिय़ों के 40,000 हजार से अधिक शिशुओं को कुपोषण की पीड़ा से मुक्त करने के अभियान का शनिवार को मुख्यमंत्री ने प्रारंभ किया। दूध संजीवनी प्रोजेक्ट अभियान के तहत बच्चों को सप्ताह में दो दिन दूध का संपूर्ण आहार प्रदान किया जाएगा। योजना के क्रियान्वयन में वार्षिक दो करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

जिसमें 90 लाख रुपये का योगदान सहकारिता क्षेत्र तथा औद्योगिक समूहों की ओर से सामाजिक दायित्व के रूप में दिया गया है। इसके अलावा ओलपाड और चोर्यासी तहसील की करीबन 25 प्राथमिक स्कूलों, जहां मुख्यत: आदिवासी बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं, का भी दूध संजीवनी प्रोजेक्ट में समावेश किया गया है। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर लैंड सीलिंग एक्ट के तहत फाजल जमीन को 61 भूमिहीन आदिवासियों को स्थायी तौर पर आवंटित करने के आदेश पत्र भी इनायत किए। कुपोषण के खिलाफ 2004 से जारी गुजरात की जंग का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में कुपोषण को राष्ट्रीय शर्म करार देने वाले प्रधानमंत्री समस्या के निराकरण के बजाय महज समस्या का रोना रो रहे हैं, जबकि गुजरात ने समाजशक्ति को साथ लेते हुए कुपोषण निवारण का अभियान छेड़ा है। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात शाकाहारी है, उसकी अपनी परंपरागत आदतेें हैं लिहाजा कुपोषण की समस्या के खिलाफ योजनाबद्घ तरीके से सर्वग्राही कार्यक्रम शुरू किया है। केवल पांच महीनों में ही दूध संजीवनी योजना की मदद से बच्चों को कुपोषण से मुक्त कराने में सफलता मिली है।

श्री मोदी ने कहा कि कुपोषण की पीड़ा के लिए महज समाज की संवेदना ही नहीं जगाई बल्कि समग्र सरकारी तंत्र के  हजारों कर्मचारियों ने भी आंगनबाडिय़ां दत्तक ली हैं। अनेक अधिकारियों के परिजन भी इससे जुड़़े हैं। उन्होंने कहा कि गुजरात का बच्चा स्वस्थ्य होगा तो आने वाले कल का गुजरात का समाज भी समर्थ और शक्तिशाली होगा। मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया कि पूर्व की सरकारों ने उमरगाम से अंबाजी तक के आदिवासी पट्टे में विज्ञान संकाय की उच्चतर माध्यमिक स्कूलें ही शुरू नहीं की थी तो आदिवासी युवा डॉक्टर या इंजीनियर कैसे बनेगा। वहीं, उनकी सरकार ने प्रत्येक आदिवासी तहसील में विज्ञान संकाय की उच्चतर माध्यमिक स्कूलें शुरू की हैं।मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में ऐसा कोई गरीब नहीं होगा जिसके पास आवास के लिए जमीन नहीं हो, ऐसी स्थिति का निर्माण किया है। 0-16 वाले गरीबी रेखा से नीचे जीने वाले सभी आवासहीनों को भूखंड प्रदान कर दिए गए हैं। इलाज के अभाव में गरीब के बच्चे की मौत न हो इसके लिए डेढ़ करोड़ जितने स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण का अभियान छेड़ा है और लाखों बच्चों को नवजीवन प्रदान किया है।  

 मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि गुजरात ने प्रगति नहीं की होती तो पूरे देश के लोगों को सर्वाधिक रोजगार किस तरह मिलता? लाखों युवा सिर ऊंचा कर जी सकें इसके लिए रोजगार के सर्वाधिक अवसर गुजरात ने प्रदान किए हैं। भारत सरकार की रिपोर्ट ही इस बात की गवाही देती है कि गुजरात ने सबसे ज्यादा रोजगार प्रदान किए हैं। जनता को कब तक अंधेरे में रखोगे, ऐसा सवाल उठाते हुए श्री मोदी ने कहा कि भारत को यदि विकास करना है तो उसे गुजरात के विकास से सीख लेनी होगी। इस हकीकत को स्वीकार करने के अलावा वर्तमान केन्द्र सरकार के पास दूसरा कोई चारा नहीं हैश्री मोदी ने कहा कि विकास को लेकर केन्द्र सरकार की सभी रपटों में गुजरात अग्रिम पायदान पर है, लेकिन जनता को झूठ से बरगलाने वाले लोग विकास की दृष्टि से नजर आने वाले कार्यों को किस तरह छुपा सकेंगे। आज गुजरात में 25 किमी की त्रिज्या में विकास का कोई न कोई काम चलता नजर आता है, क्योंकि यह सरकार गांधीनगर की तिजोरी में रखे जनता के पैसे पर किसी का पंजा नहीं पडऩे देती, क्योंकि यह सरकार जनता के पैसों की पहरेदार बन कर बैठी है। उन्होंने कहा कि गुजरात में औद्योगिक विकास की छलांग के बावजूद खेती के रकबे में 37 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। दूध संजीवनी जैसे नवीन अभिगम के लिए उन्होंने सूरत जिले की टीम को अभिनंदन दिया

विधानसभा अध्यक्ष गणपतभाई वसावा ने दूध संजीवनी प्रोजेक्ट को महत्वपूर्ण कदम करार देते हुए कहा कि आदिवासी समाज सहित समाज के कमजोर, पिछड़े वर्गों के बच्चों के स्वास्थ्य सुधार के इस दिशादर्शक कार्य का समूचा श्रेय मुख्यमंत्री को जाता है। पंचायत मंत्री नरोत्त्मभाई पटेल ने कुपोषण के खिलाफ जंग में पूरे समाज को सहभागी बन तंदरुस्त गुजरात के निर्माण का आह्वान किया। जिला प्रभारी एवं वन पर्यावरण मंत्री मंगूभाई पटेल ने दूध संजीवनी प्रोजेक्ट की सफलता की शुभकामनाएं देते हुए सरकार की अन्य योजनाओं की सफलता की भूमिका पेश की। इस अवसर पर पूर्व मंत्री कानजीभाई पटेल, सूरत जिले के विधायक, जिला पंचायत अध्यक्ष अश्विनभाई तथा विविध समितियों के अध्यक्ष एवं पदाधिकारी तथा कामरेज तहसील पंचायत के पदाधिकारी और आमंत्रित, नागरिक सहित ग्रामजन उपस्थित थे।

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Gen Z और Gen Alpha भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी: पीएम मोदी
December 26, 2025
प्रधानमंत्री ने कहा - आज के दिन हम राष्ट्र के गौरव, अदम्य साहस और वीरता के सर्वोच्च आदर्शों के प्रतीक वीर साहिबजादों को याद करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा - माता गुजरी जी, श्री गुरु गोविंद सिंह जी और चारों साहिबजादों का साहस और आदर्श प्रत्येक भारतीय को शक्ति प्रदान करते हैं
प्रधानमंत्री ने कहा - भारत ने गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्त होने का संकल्प लिया है
प्रधानमंत्री ने कहा - जैसे-जैसे भारत गुलामी की मानसिकता से मुक्त हो रहा है, हमारी भाषाई विविधता शक्ति के स्रोत के रूप में उभर रही है
प्रधानमंत्री ने कहा - जेनरेशन जेड और जेनरेशन अल्फा देश के विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करेगी

केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी अन्नपूर्णा देवी, सावित्री ठाकुर, रवनीत सिंह, हर्ष मल्होत्रा, दिल्ली सरकार से आए हुए मंत्री महोदय, अन्य महानुभाव, देश के कोने-कोने से यहां उपस्थित सभी अतिथि और प्यारे बच्चों !

आज देश ‘वीर बाल दिवस’ मना रहा है। अभी वंदे मातरम की इतनी सुंदर प्रस्तुति हुई है, आपकी मेहनत नजर आ रही है।

साथियों,

आज हम उन वीर साहिबजादों को याद कर रहे हैं, जो हमारे भारत का गौरव है। जो भारत के अदम्य साहस, शौर्य, वीरता की पराकाष्ठा है। वो वीर साहिबजादे, जिन्होंने उम्र और अवस्था की सीमाओं को तोड़ दिया, जो क्रूर मुगल सल्तनत के सामने ऐसे चट्टान की तरह खड़े हुए कि मजहबी कट्टरता और आतंक का वजूद ही हिल गया। जिस राष्ट्र के पास ऐसा गौरवशाली अतीत हो, जिसकी युवा पीढ़ी को ऐसी प्रेरणाएं विरासत में मिली हों, वो राष्ट्र क्या कुछ नहीं कर सकता।

साथियों,

जब भी 26 दिसंबर का ये दिन आता है, तो मुझे ये तसल्ली होती है कि हमारी सरकार ने साहिबजादों की वीरता से प्रेरित वीर बाल दिवस मनाना शुरू किया। बीते 4 वर्षों में वीर बाल दिवस की नई परंपरा ने साहिबजादों की प्रेरणाओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाया है। वीर बाल दिवस ने साहसी और प्रतिभावान युवाओं के निर्माण के लिए एक मंच भी तैयार किया है। हर साल जो बच्चे अलग-अलग क्षेत्रों में देश के लिए कुछ कर दिखाते हैं, उन्हें प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है। इस बार भी, देश के अलग-अलग हिस्सों से आए 20 बच्चों को ये पुरस्कार दिए गए हैं। ये सब हमारे बीच में हैं, अभी मुझे उनसे काफी गप्पे-गोष्टि करने का मौका मिला। और इनमें से किसी ने असाधारण बहादुरी दिखाई है, किसी ने सामाजिक सेवा और पर्यावरण के क्षेत्र में सराहनीय काम किया है। इनमें से कुछ विज्ञान और टेक्नोलॉजी में कुछ इनोवेट किया है, तो कई युवा साथी खेल, कला और संस्कृति के क्षेत्र में योगदान दे रहे हैं। मैं इन पुरस्कार विजेताओं से कहूंगा, आपका ये सम्मान आपके लिए तो है ही, ये आपके माता-पिता का, आपके टीचर्स और मेंटर्स का, उनकी मेहनत का भी सम्मान है। मैं पुरस्कार विजेताओं को, और उनके परिवारजनों को उज्ज्वल भविष्य के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

वीर बाल दिवस का ये दिन भावना और श्रद्धा से भरा दिन है। साहिबजादा अजीत सिंह जी, साहिबजादा जुझार सिंह जी, साहिबजादा जोरावर सिंह जी, और साहिबजादा फतेह सिंह जी, छोटी सी उम्र में इन्हें उस समय की सबसे बड़ी सत्ता से टकराना पड़ा। वो लड़ाई भारत के मूल विचारों और मजहबी कट्टरता के बीच थी, वो लड़ाई सत्य बनाम असत्य की थी। उस लड़ाई के एक ओर दशम गुरु श्रीगुरु गोविंद सिंह जी थे, दूसरी ओर क्रूर औरंगजेब की हुकूमत थी। हमारे साहिबजादे उस समय उम्र में छोटे ही थे। लेकिन, औरंगजेब को, उसकी क्रूरता को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। वो जानता था, उसे अगर भारत के लोगों को डराकर उनका धर्मांतरण कराना है, तो इसके लिए उसे हिंदुस्तानियों का मनोबल तोड़ना होगा। और इसलिए उसने साहिबजादों को निशाना बनाया।

लेकिन साथियों,

औरंगजेब और उसके सिपाहसालार भूल गये थे, हमारे गुरु कोई साधारण मनुष्य नहीं थे, वो तप, त्याग का साक्षात अवतार थे। वीर साहिबजादों को वही विरासत उनसे मिली थी। इसीलिए, भले ही पूरी मुगलिया बादशाहत पीछे लग गई, लेकिन वो चारों में से एक भी साहिबजादे को डिगा नहीं पाये। साहिबजादा अजीत सिंह जी के शब्द आज भी उनके हौसले की कहानी कहते हैं- नाम का अजीत हूं, जीता ना जाऊंगा, जीता भी गया, तो जीता ना आउंगा !

साथियों,

कुछ दिन पूर्व ही हमने श्रीगुरू तेग बहादुर जी को, उनके तीन सौ पचासवें बलिदान दिवस पर याद किया। उस दिन कुरुक्षेत्र में एक विशेष कार्यक्रम भी हुआ था। जिन साहिबजादों के पास श्री गुरू तेग बहादुर जी के बलिदान की प्रेरणा हो, वो मुगल अत्याचारों से डर जाएंगे, ये सोचना ही गलत था।

साथियों,

माता गुजरी, श्री गुरु गोबिंद सिंह जी और चारों साहिबजादों की वीरता और आदर्श, आज भी हर भारतीय को ताकत देते हैं, हमारे लिए प्रेरणा है। साहिबजादों के बलिदान की गाथा देश में जन-जन की जुबान पर होनी चाहिए थी। लेकिन दुर्भाग्य से आजादी के बाद भी देश में गुलामी की मानसिकता हावी रही। जिस गुलामी की मानसिकता का बीज अंग्रेज राजनेता मैकाले ने 1835 में बोया था, उस मानसिकता से देश को आजादी के बाद भी मुक्त नहीं होने दिया गया। इसलिए आजादी के बाद भी देश में दशकों तक ऐसी सच्चाइयों को दबाने की कोशिश की गई।

लेकिन साथियों,

अब भारत ने तय किया है कि गुलामी की मानसिकता से मुक्ति पानी ही होगी। अब हम भारतीयों के बलिदान, हमारे शौर्य की स्मृतियां दबेंगी नहीं। अब देश के नायक-नायिकाओं को हाशिये पर नहीं रखा जाएगा। और इसलिए वीर बाल दिवस को हम पूरे मनोभाव से मना रहे हैं। और हम इतने पर ही नहीं रुके हैं, मैकाले ने जो साजिश रची थी, साल 2035 में उसके 200 साल अब थोड़े समय में हो जाएंगे। इसमें अभी 10 साल का समय बाकी है। इन्हीं 10 सालों में हम देश को पूरी तरह गुलामी की मानसिकता से मुक्त करके रहेंगे। 140 करोड़ देशवासियों का ये संकल्प होना चाहिए। क्योंकि देश जब इस गुलामी की मानसिकता से मुक्त होगा, उतना ही स्वदेशी का अभिमान करेगा, उतना ही आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ेगा।

साथियों,

गुलामी की मानसिकता से मुक्ति के इस अभियान की एक झलक कुछ दिन पहले हमारे देश की पार्लियामेंट में भी दिखाई दी है। अभी संसद के शीतकालीन सत्र में सांसदों ने हिन्दी और अंग्रेजी के अलावा, दूसरी भारतीय भाषाओं में लगभग 160 भाषण दिये। करीब 50 भाषण तमिल में हुए, 40 से ज्यादा भाषण मराठी में हुए, करीब 25 भाषण बांग्ला में हुए। दुनिया की किसी भी संसद में ऐसा दृश्य मुश्किल है। ये हम सबके लिए गौरव की बात है। भारत की इस language diversity को भी मैकाले ने कुचलने का प्रयास किया था। अब गुलामी की मानसिकता से मुक्त होते हमारे देश में भाषाई विविधता हमारी ताकत बन रही है।

साथियों,

यहां मेरा युवा भारत संगठन से जुड़े इतने सारे युवा यहां उपस्थित हैं। एक तरह से आप सभी जेन जी हैं, जेन अल्फा भी हैं। आपकी जनरेशन ही भारत को विकसित भारत के लक्ष्य तक ले जाएगी। मैं जेन जी की योग्यता, आपका आत्मविश्वास देखता हूं, समझता हूं, और इसलिए आप पर बहुत भरोसा करता हूं। हमारे यहां कहा गया है, बालादपि ग्रहीतव्यं युक्तमुक्तं मनीषिभिः। अर्थात्, अगर छोटा बच्चा भी कोई बुद्धिमानी की बात करे, तो उसे ग्रहण करना चाहिए। यानी, उम्र से कोई छोटा नहीं होता, और कोई बड़ा भी नहीं होता। आप बड़े बनते हैं, अपने कामों और उपलब्धियों से। आप कम उम्र में भी ऐसे काम कर सकते हैं कि बाकी लोग आपसे प्रेरणा लें। आपने ये करके दिखाया है। लेकिन, इन उपलब्धियों को अभी केवल एक शुरुआत के तौर पर देखना है। अभी आपको बहुत आगे बढ़ना है। अभी सपनों को आसमान तक लेकर जाना है। और आप भाग्यशाली हैं, आप जिस पीढ़ी में जन्में हैं, आपकी प्रतिभा के साथ देश मजबूती से खड़ा है। पहले युवा सपने देखने से भी डरते थे, क्योंकि पुरानी व्यवस्थाओं में ये माहौल बन गया था कि कुछ अच्छा हो ही नहीं सकता। चारों तरफ निराशा, निराशा का वातावरण बना दिया गया था। उन लोगों को यहां तक लगने लगा कि भई मेहनत करके क्या फायदा है? लेकिन, आज देश टैलेंट को, प्रतिभा को खोजता है, उन्हें मंच देता है। उनके सपनों के साथ 140 करोड़ देशवासियों की ताकत लग जाती है।

डिजिटल इंडिया की सफलता के कारण आपके पास इंटरनेट की ताकत है, आपके पास सीखने के संसाधन हैं। जो साइंस, टेक और स्टार्टअप वर्ल्ड में जाना चाहते हैं, उनके लिए स्टार्टअप इंडिया जैसे मिशन हैं। जो स्पोर्ट्स में आगे बढ़ रहे हैं, उनके लिए खेलो इंडिया मिशन है। अभी दो ही दिन पहले मैंने सांसद खेल महोत्सव में भी हिस्सा लिया। ऐसे तमाम मंच आपको आगे बढ़ाने के लिए हैं। आपको बस focused रहना है। और इसके लिए जरूरी है कि आप short term popularity की चमक-दमक में न फंसे। ये तब होगा, जब आपकी सोच स्पष्ट होगी, जब आपके सिद्धान्त स्पष्ट होंगे। और इसलिए, आपको अपने आदर्शों से सीखना है, देश की महान विभूतियों से सीखना है। आपको अपनी सफलता को केवल अपने तक सीमित नहीं मानना है। आपका लक्ष्य होना चाहिए, आपकी सफलता देश की सफलता बननी चाहिए।

साथियों,

आज युवाओं के सशक्तिकरण को ध्यान में रखकर नई पॉलिसी बनाई जा रही हैं। युवाओं को राष्ट्र-निर्माण के केंद्र में रखा गया है। ‘मेरा युवा भारत’, ऐसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से युवाओं को जोड़ने, उन्हें अवसर देने और उनमें लीडरशिप स्किल विकसित कराने का प्रयास किया जा रहा है। स्पेस इकोनॉमी को आगे बढ़ाना, खेलों को प्रोत्साहित करना, फिनटेक और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को विस्तार देना, स्किल डेवलपमेंट और इंटर्नशिप के अवसर तैयार करना, इस तरह के हर प्रयास के केंद्र में मेरे युवा साथी ही हैं। हर सेक्टर में युवाओं के लिए नए अवसर खुल रहे हैं।

साथियों,

आज भारत के सामने परिस्थितियां अभूतपूर्व हैं। आज भारत दुनिया के सबसे युवा देशों में से एक है। आने वाले पच्चीस वर्ष भारत की दिशा तय करने वाले हैं। आज़ादी के बाद शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि भारत की क्षमताएं, भारत की आकांक्षाएं और भारत से दुनिया की अपेक्षाएं, तीनों एक साथ मिल रही हैं। आज का युवा ऐसे समय में बड़ा हो रहा है, जब अवसर पहले से कहीं ज्यादा हैं। हम भारत के युवाओं की प्रतिभा, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता को बेहतर मौके देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

मेरे युवा साथियों,

विकसित भारत की मजबूत नींव के लिए भारत की एजुकेशन पॉलिसी में भी अहम Reforms किए गए हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का फोकस 21वीं सदी में लर्निंग के नए तौर-तरीकों पर है। आज फोकस प्रैक्टिकल लर्निंग पर है, बच्चों में रटने के बजाय सोचने की आदत विकसित हो, उनमें सवाल पूछने का साहस और समाधान खोजने की क्षमता आए, पहली बार इस दिशा में सार्थक प्रयास हो रहे हैं। Multidisciplinary studies, skill-based learning, स्पोर्ट्स को बढ़ावा और टेक्नोलाजी का उपयोग, इनसे स्टूडेंट्स को बहुत मदद मिल रही है। आज देशभर में अटल टिंकरिंग लैब्स में लाखों बच्चे इनोवेशन और रिसर्च से जुड़ रहे हैं। स्कूलों में ही बच्चे रोबोटिक्स, AI, सस्टेनेबिलिटी और डिजाइन थिंकिंग से परिचित हो रहे हैं। इन सारे प्रयासों के साथ ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति में, मातृभाषा में पढ़ाई का विकल्प दिया गया है। इससे बच्चों को पढ़ाई में आसानी हो रही है, विषयों को समझने में आसानी हो रही है।

साथियों,

वीर साहिबजादों ने ये नहीं देखा था कि रास्ता कितना कठिन है। उन्होंने ये देखा था कि रास्ता सही है या नहीं है। आज उसी भावना की आवश्यकता है। मैं भारत के युवाओं के, और मैं भारत के युवाओं से यही अपेक्षा करता हूं, बड़े सपने देखें, कड़ी मेहनत करें, और अपने आत्मविश्वास को कभी भी कमजोर न पड़ने दें। भारत का भविष्य उसके बच्चों और युवाओं के भविष्य से ही उज्ज्वल होगा। उनका साहस, उनकी प्रतिभा और उनका समर्पण राष्ट्र की प्रगति को दिशा देगा। इसी विश्वास के साथ, इस जिम्मेदारी के साथ और इसी निरंतर गति के साथ, भारत अपने भविष्य की ओर आगे बढ़ता रहेगा। मैं एक बार फिर वीर साहिबजादों को श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। सभी पुरस्कार विजेताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।