कैबिनेट ने एमआईडीएच के लागत मानदंडों और दिशा-निर्देशों में एक बार छूट को मंजूरी दी
एमआईडीएच के लागत मानदंडों और दिशा-निर्देशों में एक बार छूट देने से जम्मू-कश्मीर के 491 गांवों में 21,000 बागवानों को मिलेगा लाभ
तीन सालों में 329 हेक्टेयर नए सेब के बगीचे की स्थापना और 3900 हेक्टेयर बर्बाद बागवानों के पुनर्वसन में मदद करने के लिए सीसीईए की मंजूरी

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने जम्मू-कश्मीर में क्षतिग्रस्त बागवानी क्षेत्रों और राज्य में बागवानी के विकास की बहाली की दिशा में प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज पर अमल के लिए बागवानी समन्वित विकास मिशन (एमआईडीएच) के लागत मानदंडों में एक बार छूट दिए जाने को मंजूरी दे दी है। सीसीईए द्वारा दी गई मंजूरी इस प्रकार है-

a) 329 हेक्टेयर में सेब के नए बागीचे और 3900 हेक्टेयर में नष्ट हुए पुराने बागीचों के उद्धार के लिए 460 रुपये प्रति प्लांट की अधिकतम दर से रोपण सामग्री का आयात किया जाएगा।

b) वित्तीय सहायता की दर 90 प्रतिशत होगी। अर्थात 90 प्रतिशत को सरकार और 10 प्रतिशत को लाभ प्राप्तकर्ता किसान द्वारा वहन किया जाएगा।

c) 329 हेक्टेयर में सेब के नए बागीचों के लिए 9.8 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से चार तार वाली जाल प्रणाली का आयात। इसमें वित्तीय सहायता की दर 50 प्रतिशत होगी। अर्थात 50 प्रतिशत की मदद सरकार द्वारा दी जाएगी और शेष 50 प्रतिशत की व्यवस्था लाभ पाने वाले किसान को करनी होगी।

d) वित्तीय वर्ष 2018-19 तक जम्मू-कश्मीर में प्रधानमंत्री पैकेज के कार्यान्वयन के लिए मंजूर किए गए हस्तक्षेप में एमआईडीएच लागत मानदंडों की व्यवहारिकता।

e) वित्तीय वर्ष 2016-17, 2017-18 और 2018-19 में 450 करोड़ रुपये के अतिरिक्त क्रमशः 111.89 करोड़ रुपये, 171.66 करोड़ रुपये और 166.48 करोड़ रुपये तक की धनराशि की आवश्यकता होगी। इसमें 500 करोड़ रुपये के संपूर्ण पैकेज में सरकार की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत होगी।

प्रधानमंत्री द्वारा जम्मू-कश्मीर के लिए दिए गए विशेष पैकेज में 500 करोड़ रुपये क्षतिग्रस्त बागवानी क्षेत्रों के उद्धार और राज्य में बागवानी के विकास के लिए शामिल हैं।

एमआईडीएच के लागत मानदंडों में एक बार की छूट लंबे समय तक सुरक्षित रहने वाली विशेष किस्मों के पौधों के आयात, जल्दी अंकुरित होने वाले पौधे, ज्यादा फलने वाली सेब रोपण सामग्री और चार तारों वाली जाल प्रणाली के लिए है, जो उत्पादकता को तीन से चार गुना तक बढ़ा देती है।

यह 491 से ज्यादा गांवों के 21 हजार से अधिक बागवानों के लिए फायदेमंद साबित होगा। इन गांवों में 5200 हेक्टेयर से ज्यादा वागवानी क्षेत्र है, जो सितंबर 2014 की बाढ़/भूस्खलन में बुरी तरह प्रभावित हुआ था।

सीसीईए की मंजूरी 329 हेक्टेयर क्षेत्र में सेब के नए बागीचे लगाने और 3900 हेक्टेयर में नष्ट हुए पुराने बागीचों का तीन साल की समयावधि में उद्धार करने में मददगार साबित होगी। इससे 500 करोड़ रुपये का कुल वित्तीय भार पड़ेगा जिसमें 450 करोड़ रुपये केंद्र की हिस्सेदारी होगी।

अति और मध्यम सघनता वाले सेब के पौधरोपण से क्रमशः 3300 और 18000-20000 लोगों के लिए वार्षिक रोजगार पैदा होगा। इन पहलों के परिणामस्वरूप अन्य संबंधित क्षेत्रों जैसे ग्रेडिंग/पैकिंग इकाइयों, सीए/कोल्ड स्टोरेज इकाइयों और परिवहन सेक्टर आदि में भी रोजगार के अवसर पैदा होंगे। अत्यधिक सघनता वाले पौधरोपण में तकनीक का इस्तेमाल और बागीचों का निरंतर रखरखाव करना शामिल है, इसलिए उत्पादकता में वृद्धि से किसान की आय में होने वाली बढ़ोत्तरी के चलते संपूर्ण बागवानी क्षेत्र में मजदूरी में भी वृद्धि होगी।

सितंबर 2014 की विनाशकारी बाढ़ के चलते राज्य का काफी नुकसान उठाना पड़ा था। बाढ़ के कारण आधारभूत ढांचा बर्बाद हो गया था। बाढ़ के बाद, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 23 अक्टूबर, 2014 को कश्मीर का दौरा किया था और उन लोगों के साथ वक्त बिताया था, जो बाढ़ से प्रभावित हुए थे। प्रधानमंत्री ने उनकी समस्याओं को समझा और उनके राहत एवं पुनर्वास कार्यों की स्थिति का जायजा लिया। वह राजनीतिक दलों, व्यापार जगत के प्रतिनिधियों, एनजीओ और नागरिक समूहों के कई प्रतिनिधिमंडलों से भी मिले।

अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने सड़क संपर्क सुधारने और राज्य के संपूर्ण विकास पर बात की। उन्होंने राज्य के बाढ़ से प्रभावित परिवारों के घरों के निर्माण में सहायता देने के लिए प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत निधि (पीएमएनआरएफ) के तहत 570 करोड़ रुपये दिए जाने की घोषणा की। 2.18 लाख प्रभावित परिवारों को 565 करोड़ रुपये की धनराशि उनके बैंक खातों में पहले ही हस्तांतरित की जा चुकी है।

राज्य में बाढ़ के बाद भारत सरकार आधारभूत ढांचे को सुधारने के लिए पुनर्निर्माण के दीर्घकालिक बंदोबस्त पर काम कर रही है। सरकार का जोर आधारभूत ढांचे के मुख्य क्षेत्रों का विकास करने पर है। इनमें विद्युत, स्वास्थ्य, सड़क एवं राजमार्ग, पर्यटन, वस्त्र, खाद्य प्रसंस्करण, मानव संसाधन विकास और जल संसाधन आदि क्षेत्र शामिल हैं।

इन पहलूओं के आलोक में और जम्मू-कश्मीर के विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए प्रधानमंत्री ने सात नवंबर, 2015 को अपनी यात्रा के दौरान जम्मू-कश्मीर के लिए प्रधानमंत्री विकास पैकेज की घोषणा की। इसमें राज्य को 80,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की वित्तीय मदद देने का ऐलान किया गया।

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