मामले का निपटारा १५ अगस्त से पहले करने के वादे को मुख्यमंत्री श्री मोदी ने निभाया
इस एसआईआर में पूर्व में समाविष्ट ४४ गांवों में से ३६ गांवों को अलग रखने की चार मंत्रियों की समिति की सिफारिश मुख्यमंत्री ने स्वीकार की
मांडल-बेचराजी सर की विकास में भूमिका और किसानों की जनभावना के सभी पहलुओं पर पारदर्शिता से विचार हुआः निर्णय की प्रवक्ता मंत्रियों ने घोषणा की
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने प्रस्तावित मांडल-बेचराजी स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन (सर) में समाविष्ट ४४ गांव में से ३६ गांव के किसानों-नागरिकों की शिकायतों को ध्यान में लेकर ३६ गांवों को मांडल-बेचराजी सर में से अलग रखने की चार मंत्रियों को सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।श्री मोदी ने पूर्व में प्रस्तावित सर संबंधित ४४ गांव के किसानों और अग्रणियों के साथ हुई बैठक में उनकी शिकायतों को सहानुभूति और सहयोग के साथ सुना था। उन्होंने तमाम पहलुओं पर सर्वग्राही विचार करके विश्वास दिलाया था कि किसानों की जमीन के संबंध में सरकार का मन खुला है और दबावपूर्वक किसी भी जमीन के बारे में निर्णय नहीं लिया जाएगा। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने १५ अगस्त से पहले किसानों की भावना को ध्यान में रखते हुए फैसला किये जाने की घोषणा की थी और इस मामले में राज्य के मंत्रियों, वित्त मंत्री नितिनभाई पटेल, राजस्व मंत्री आनंदीबेन पटेल, कानून मंत्री भूपेन्द्र सिंह चूड़ास्मा और ऊर्जा मंत्री सौरभभाई पटेल की समिति को ४४ गांवों में से तय किए गए किसान प्रतिनिधियों की शिकायतों को सुनने के लिए बैठकें आयोजित की थी। समिति के समक्ष प्रस्तावित मांडल-बेचराजी सर के ४४ गांव में से समर्थन और विरोध दोनों प्रकार के मत उजागर हुए थे।
मंत्रियों की समिति ने सर्वग्राही विचार करने के बाद मांडल-बेचराजी सर तथा किसानों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए ४४ गांवों में से ३६ गांवों को प्रस्तावित सर में से अलग रखने की सिफारिश की थी। इसमें मांडल तहसील के १४ गांव, देत्रोज तहसील के १० गांव और दसाडा-पाटडी तहसील के १२ गांवों को सर में से अलग रखने का सुझाव दिया है, जो इस प्रकार है। देत्रोज तहसील के छनियार, देकावाडा, घटिसणा, कांझ, मोटा करणपुरा, नाना करणपुरा, रामपुरा, रतनपुरा, सदातपुरा, उमेदपुरा और मांडल तहसील के आनंदपुरा, दढाणा, दालोद, जालीसणा, कुणपुर, मानपुरा, नायकपुर, वनपरडी, वरमोर, वासणा कुणपुर, विंछण, विंझुवाड़ा, विठ्ठालापुर, झांझरवा को सर में से अलग रखा गया है। इसके साथ ही दसाडा-पाट़डी तहसील के आलमपुरा, बुबवाणा, एछवाडा, एरवाडा, गोसाणा, नावीयाणी, पानवा, वलेवाडा, वणोद, छात्रोट और मानावडा गांवों को सर में से अलग रखा गया है।
इन चार मंत्रियों की समिति ने जिन आठ गांवों के किसानों द्वारा प्रस्तावित सर में शामिल होने का समर्थन किया है उन आठ गांवों को शामिल करते हुए मांडल-बेचराजी सर का पुनर्गठन करने की सिफारिश की है। इन आठ गांवों की सूची इस प्रकार है। देत्रोज तहसील के भगापुरा, शिहोर, मांडल तहसील के हांसलपुर-बेचराजी, सीतापुर, उघरोज, उघरोजपुरा, उकरडी और बेचराजी तहसील के चांदणकी गांव को इसमें शामिल किया गया है।
राज्य सरकार के प्रवक्ता मंत्री नितिनभाई पटेल, सौरभभाई पटेल ने बताया कि मांडल-बेचराजी स्पेशल इन्वेस्टमेंट रीजन द्वारा विकास की संभावना और किसानों की भावनाओं के संतुलित पहलुओं को ध्यान में रखने का मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वादा किया था, जिसे उन्होंने निभाया है। प्रवक्ता मंत्रियों ने कहा कि राज्य की वर्तमान सरकार जनभावनाओं के लिए खुले मन से संवेदनशीलता के साथ काम करती है। मांडल-बेचराजी सर में ४४ गांवों का समावेश करने से इस पिछड़े क्षेत्र में विकास की नई क्षितिजें आकार लेंगी। इसकी पूरी भूमिका के साथ प्रस्तावित सर जो दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कोरिडोर और नेशनल इन्वेस्टमेंट और मैन्युफेक्चरिंग जोन जैसे केन्द्र सरकार के प्रोजेक्ट का भूभाग बनने वाला है। इसे ध्यान में रखते हुए सर की विकास योजना (डीपी योजना) घोषित की गई थी और आपत्तियां मंगवाई गई थी।
इस प्रस्तावित मांडल-बेचराजी सर के ४४ गांवों में से अब ३६ गांवों को अलग रखते हुए शेष ८ गांवों का समावेश करके प्रस्तावित मांडल-बेचराजी सर का पुनर्गठन किया जाएगा। श्री मोदी ने यह फैसला करके जनभावनाओं और किसानों के हितों का संरक्षण करने का वादा निभाया है। प्रवक्ता मंत्रियों ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात में कृषि उत्पादन बढ़ने के साथ ही युवाओं के लिए रोजगार के व्यापक अवसरों का निर्माण करने के लिए कृषि और औद्योगिक विकास को संतुलित रूप से विकसित करने का अभिगम अपनाने को कहा था। इसी दृष्टि से दूरदर्शितापूर्ण निर्णय है।


