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रायसीना हिल के पेड़ों की लंबी कतारों वाले रास्तों, औपनिवेशिक बंगलों  और गलियारों में कुछ बदल रहा था. मई और जून के शुरुआती दिनों की गर्मी अच्छे से अच्छे लोगों को सुस्त बना देती है लेकिन यहां परिवर्तन का एक नया झोंका आ गया था जो अब तक की सभी सरकारों और प्रशासन को फिर से परिभाषित कर रहा था। जैसे ही नरेन्द्र मोदी और उनकी टीम ने पद और गोपनीयता की अपनी शपथ ली वैसे ही भारत की एक नई यात्रा शुरू हो गई। एक ऐसी यात्रा जहाँ कोरे वादों के मुकाबले कार्रवाई ज्यादा अहमियत रखती है, जहाँ सरकार के आकार से ज्यादा शासन की गुणवत्ता मायने रखती है औरजहां एक्शन एक्ट पर हावी रहे!

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यह परिवर्तन किसी की भी कल्पना से ज्यादा तेजी से आया। जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शपथ ली तब 7 सार्क देशों के नेता और मॉरीशस के नेता दर्शक-दीर्घा में बैठे थे। इस तरह का व्यवहार नेतृत्व की क्षमता और इस क्षेत्र में शांति और भाईचारे के प्रस्ताव  दोनों को ही दिखाता है। एक ही समय में यह इस क्षेत्र में, भारत के एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में निभाई जाने वाली प्रख्यात भूमिका को ध्यान में रखते हुए, सार्क देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने की नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता का प्रदर्शन करता है।

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राष्ट्रपति भवन में शपथ लेने और राज्य के प्रमुखों को दिए जाने वाले रात्रिभोज की औपचारिक भव्यता के तुरंत बाद मंत्रियों और अधिकारियों के साथ देर रात बैठक की गई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कारण इस तरह की कठोर दिनचर्या आने वाले दिनों में सामान्य हो जाएगी!

पहले दिन से ही एजेंडा तय किया गया:   

उनके द्वारा राजग का नेतृत्व लेने से लेकर वर्तमान में हुई इस जीत तक, नरेन्द्र मोदी ने दिखा दिया कि यह सरकार प्रतिक्रियाशील नहीं होगी बल्कि सक्रिय होगी। यहाँ केंद्र एजेंडा तय करेगा। अधिकारियों ने इसे पहले से चली आ रही परंपरा से हटकर माना है और इसका  स्वागत किया है। 

प्रतिक्रियाशील नहीं बल्कि सक्रिय दृष्टिकोण हर जगह देखा गया है! मंत्रिमंडल की पहली ही बैठक में मंत्रिमंडल ने काले धन पर एक एसआईटी को स्थापित करने के निर्णय को मंजूरी दे दी थी, जिसके लिए स्वयं प्रधानमंत्री व्यक्तिगत रूप से प्रतिबद्ध थे। उसी समय प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से मंत्रियों से मुलाकात की और सभी मंत्रियों को उनके मंत्रालयों के काम के लिए 100 दिन का खाका तैयार करने को कहा गया। मंत्रियों को स्पष्ट रूप से कहा गया कि सारा ध्यान शासन और सेवा देने पर होना चाहिए, कैमरे के सामने आने और बयान देने पर नहीं। हर मंत्री द्वारा अपने विभागों के कामकाज का सूक्ष्मतम जायजा लेने के साथ ही मंत्रिपरिषद ने भी जल्दी से काम करना शुरू कर दिया और परिवर्तन के पहियों को घुमा दिया।

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प्रधानमंत्री के पास राजनीति करने के लिए ज्यादा समय नहीं है, यह इस बात से पता लगा जब उन्होंने घोषणा की कि विभिन्न योजनाओं जैसे जेएनएनयूआरएम या किसी भी अन्य योजना के नामों को बदलने के लिए परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है। सारा ध्यान  केवल एक ओर होना चाहिए- लोगों के सर्वाधिक हित के लिए इन प्रयासों को और मजबूत बनाने पर। दिखावटी प्रयासों से अलग हटकर इस दृष्टिकोण का सभी ने स्वागत किया।

केंद्र द्वारा लिए गए शुरुआती फैसलों में से एक था- मंत्रियों के सशक्त समूह (E-GoMs) को खत्म करना जो यूपीए सरकार के दौरान हर दिन की कवायद बन गया था। साल-दर-साल ऐसे सशक्त समूह देरी और नीतियों के पक्षाघात का पर्याय बन गए थे, जो आर्थिक वृद्धि को धीमा करने का प्रमुख कारण थे। इस नई व्यवस्था में,  अगर कोई सशक्त है तो वो हैं मंत्री और अधिकारी। ऐसे सशक्त समूह अब इतिहास की बात हो गए हैं।

अधिकारियों का सशक्तीकरण  

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4 जून 2014 की शाम को प्रधानमंत्री ने भारत सरकार के सचिवों के एक बड़े समूह से मुलाकात की। समाचार रिपोर्टों ने बताया कि ऐसी बैठक 8 साल के एक लंबे अंतराल के बाद हुई है, लेकिन नरेन्द्र मोदी द्वारा इस तरह की बैठकों का आयोजन कोई नई बात नहीं थी। मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने कई चिंतन शिविरों का आयोजन किया है।एक प्रकार का मिलन स्थल जहाँ अधिकारियों के साथ गहन विचार-मंथन होता था, और जहां अधिकारी अपने विचारों और दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान खुलकर किया करते थे।

लगभग 2 घंटों तक प्रधानमंत्री ने सचिवों के विचारों को सुना। अपनी बात में उन्होंने अधिकारियों से प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने और सरकार को लोगों को अनुकूल बनाने का आग्रह किया। उन्होंने, प्रक्रियाओं को संस्थागत बनाने के बारे में बात की, जो व्यक्तियों की तुलना में ज्यादा देर तक टिकें और जिससे बेहतर परिणाम दिया जा सके। साथ ही उन्होंने टीमवर्क और टेक्नोलॉजी के '2T' पर बल दिया ताकि लोगों की शिकायतों का समाधान आसानी से किया जा सके।

प्रधानमंत्री ने अधिकारियों को बताया कि आगे का रास्ता समन्वय में निहित है, टकराव में नहीं। वे पुरातन नियम जिनसे आजकल कोई उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है, हटाए जा रहे हैं। सभी अधिकारियों को महत्वपूर्ण परियोजनाओं पर स्थिति रिपोर्ट प्रस्तुत करना है।

बैठक से बाहर आने वाले सचिव काफी प्रभावित थे! अमिताभ कांत, डीआईपीपी के वर्तमान सचिव ने ट्वीट किया, “अपने कैरियर में पहली बार मैंने देश के प्रधानमंत्री के साथ, मुक्त और निडर ढंग से बातचीत की। अत्यधिक प्रेरक! विचारों का महान प्रवाह!"

पैर मत छुओ, दिलों को छुओ!  

एक बात जिसके लिए प्रधानमंत्री के पास जरा सा भी समय नहीं है तो वह है चापलूसी। उन्होंने सांसदों को स्पष्ट रूप से बताया कि किसी भी सांसद को उनके पैर नहीं छूना चाहिए और इसके बजाय सारा ध्यान अपने निर्वाचन क्षेत्रों की सेवाओं को बेहतर करने पर होना चाहिए। यहां तक राजनीति से अनभिज्ञ रहने वालों के लिए भी, पिछले कुछ वर्षों से अलग हटकर होने वाली चीजों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

इस बात को ध्यान में रखते हुए कि पिछले कई वर्षों के मुकाबले 16वीं लोकसभा में नए सांसदों की संख्या सबसे अधिक है, नरेन्द्र मोदी ने सभी भाजपा सांसदों से, विशेष रूप से नए भाजपा सांसदों से बात की और विकास और सुशासन की दिशा में चल रहे इस आंदोलन में उन्हें शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया। मंत्रियों को दिए गए दिशानिर्देश एकदम स्पष्ट थे- परिवार का कोई भी व्यक्ति निजी स्टाफ में नहीं होगा। इसी प्रकार प्रधानमंत्री ने उन्हें सोशल मीडिया को अपनाने और इसके माध्यम से लोगों के साथ सीधा संवाद करने का अनुरोध किया।  

क्या प्रधानमंत्री कभी आराम भी करते हैं?

यह सवाल हर कोई पूछ रहा है…. प्रधानमंत्री कितनी देर सोते हैं? वह कितना आराम करते हैं? प्रधानमंत्री कार्यालय में पहले ही दिन उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय का एक दौरा किया और प्रधानमंत्री कार्यालय के कर्मचारियों से मुलाकात की। जिन्होंने बैठक में भाग लिया वो प्रधानमंत्री से बहुत ही ज्यादा प्रभावित थे- प्रधानमंत्री ने उनसे मुलाकात की और उनके विचारों को सुना। शपथ ग्रहण के बाद से प्रधानमंत्री दिन भर में 19 घंटे से अधिक काम कर रहे हैं।

मंत्रियों के लिए भी उतना ही काम है। नव नियुक्त गृह राज्य मंत्री किरन रिजीजू का ही मामला लें। युवा मंत्री ने खुद ये स्वीकार किया कि उन्हें प्रधानमंत्री की दिनचर्या और कार्यसूची को ध्यान में रखते हुए अपनी नींद के क्रम को समायोजित करना पङता है। एक अन्य कैबिनेट मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बताया कि कैसे सुबह 09:00 बजे उनके पास प्रधानमंत्री का फोन आया और उन्होंने अगले दस मिनट में उनसे मिलने को कहा।

राजग सरकार जैसे ही सत्तासीन हुई है, एक बात स्पष्ट हो गई है कि इस सरकार को काम से मतलब है और लोगों को दिए गए वादे को पूरा करने में सरकार कोई कसर नहीं छोड़ रही है। अतीत की सबसे अच्छी परंपराओं को भविष्य के नवाचारों से जोड़ा जाएगा। कोई राजनीति नहीं, केवल विकास का ही एक सकारात्मक एजेंडा होगा। और जिन्हें सुबह फोन आने का,कार्यालयों में आकस्मिक निरीक्षण, विस्तृत वार्ताओं और बहुत सी बातों का अनुभव नहीं है, उनसे केवल एक ही बात कहनी है कि आने वाले वर्षों में उन्हें इसकी आदत हो जाएगी!

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May 30, 2023
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The Prime Minister, Shri Narendra Modi has shared a creative highlighting numerous initiatives that have transformed millions of lives over the past 9 years.

The Prime Minister tweeted;

“Over the past 9 years, we have strived to uphold the dignity and enhance the livelihoods of India's poorest. Through numerous initiatives we have transformed millions of lives. Our mission continues - to uplift every citizen and fulfill their dreams.”