श्री नरेन्‍द्र मोदी को भारत के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिए हुए मात्र एक महीना ही हुआ है, और सत्ता के गलियारों का मूलमंत्र “कानूनों से कार्रवाई” की ओर तथा “समितियों से प्रतिबद्धता” की ओर परिवर्तित हो चुका है।

मंत्रीगण पहले की तुलना में कहीं अधिक प्रेरित हैं।वे नियंत्रक स्थिति में मौजूद एक प्रेरणादायक कप्तान के साथ एक टीम के रूप में अपना योगदान देने के लिए कहीं अधिक प्रतिबद्ध हैं।

अपने दफ्तर में प्रधानमंत्री का पहला महीना इस बात का प्रमाण है कि उनका सरोकार कार्यों के पूर्ण होने से है तथा उन्होंने दृढ़ता के साथ परिस्थितियों को अपने नियंत्रण में ले रखा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि नरेन्‍द्र मोदी का प्रयास है कि इस पूरी प्रणाली में बदलाव लाया जाए ताकि जड़ता से पीछा छुड़ाया जा सके।

दक्षता की परंपरा

Ethos of efficiency _ 684

प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी“न्यूनतम सरकार,अधिकतम प्रशासन” में दृढ़ विश्वास रखते हैं तथा इसका पालन करते हैं। उन्होंने एकांगी मंत्रालय इकाइयों को एक समग्र मंत्रालय में परिवर्तित करने की अनोखी पहल की है ताकि विभिन्न विभागों में अधिक सामंजस्य लाया जा सके तथा प्रक्रिया में तेज़ी लाकर उन्हें और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके। नरेन्‍द्र मोदी का लक्ष्य अंततः एकीकरण तथा नवाचार के माध्यम से स्मार्ट प्रशासन को प्राप्त करना है। प्रधानमंत्री स्वयं सूर्य की पहली किरण के साथ ही उठ जाते हैं तथा देर रात्रि तक कार्यरत रहते हैं। यह जीवंतता और सकारात्मकता सरकार की विभिन्न परतों तक फैल गई है तथा अधिकारी वर्ग भी अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास कर रहा है। फ़ाइलों को निपटाने की तात्कालिकता स्पष्ट दिखाई पड़ती है।

काले धन की खोज में

On the Black Money Trail _ 684

शपथ लेने के अगले ही दिन, नरेन्‍द्र मोदी सरकार ने विदेशों में जमा काले धन को वापस लाने के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की घोषणा कर दी। यह निर्णय प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की पहली बैठक में ही ले लिया गया। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों से एसआईटी के साथ आवश्यक जानकारी साझा करने के लिए कहा गया है।

यह पिछली सरकारों द्वारा काले धन को वापस लाने के लिए कोई ठोस कदम उठाने में अपने पैर खींच लिए जाने से बिलकुल विपरीत है। यह नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार द्वारा काले धन को वापस लाने को प्राथमिकता दिए जाने को स्पष्ट करता है।

प्रशासन में बदलाव 

Paradigm Shift in Governance _ 684

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपनी कैबिनेट की बैठक में अच्छे प्रशासन के लिए एक 10-सूत्रीय खाका पेश किया जिसके द्वारा नौकरशाही को निडर बनाते हुए सशक्त करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है। उनके कमान सम्हालते ही यह स्पष्ट हो गया कि केंद्र में उनका मन्त्र कार्यों को पूर्ण करना तथा उनका कार्यान्वयन होगा। प्रारंभ में प्रधानमंत्री ने सभी सचिवों से व्यक्तिगत रूप से भेंट करके शासन के एजेंडे की रूपरेखा बताई, उनसे विचार और सुझाव प्राप्त किये तथा विकास की यात्रा में उन्हें भागीदार बनाया। यह बैठक कितनी सार्थक थी, नीचे दिया गया ट्वीट उसका एक उदाहरण है:

टीम इंडिया का सुदृढ़ीकरण 

Strengthening Team India _ 684

राज्य सरकारों को महत्व न दिए जाने के प्रतिमानों से पलायन करते हुए, वर्तमान सरकार सहकारी संघवाद पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। पहले दिन से ही प्रधानमंत्री का विशेष ध्यान संघीय ढांचों को सुदृढ़ करने के लिए केंद्र के साथ ही राज्यों को लेकर चलना है। प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के विकास के लिए राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भरोसा दिलाया है। उनसे मुलाकात करने वाले कुछ मुख्यमंत्रियों के ट्वीट निम्‍नलिखत हैं:

सक्रिय निर्णय 

Proactive Decision Making _ 684

राजग सरकार का एक उल्लेखनीय पहलू उनकी सक्रिय निर्णय लेने की क्षमता है, जिसके कारण संकट की स्थिति को सँभालने के साथ ही तीव्र प्रतिक्रियाओं से निपटा जा सकता है। एक कमजोर मानसून की आशंका के बीच सरकार ने त्वरित रूप से स्थिति की समीक्षा करते हुए कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए समग्र योजना बनाई।

सक्रिय प्रशासन की यह विशेषता मुद्रास्फीति का मुकाबला करने के लिए भी दिखाई दे रही थी। जब कुछ वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना प्रारंभ हुई तो सरकार ने त्वरित कार्यवाई की। सरकार वस्तुओं की कीमतों की निगरानी के साथ तेजी से हरकत में आ गई तथा न्यूनतम निर्यात मूल्य लागू किया गया तथा अन्‍य कई कदम उठाये गए। केन्द्र ने राज्य सरकारों को सलाह दी कि फलों एवं सब्जियों को कृषि उत्पाद विपणन समिति अधिनियम से हटाया जाए, ताकि किसान उपभोक्ताओं को सीधे ही अपने उत्पाद बेच सके, और सड़ने वाली वस्तुओं को मंडियों या बिचौलियों के माध्यम के बिना ही बेचा जा सके।

अनावश्यक संरचनाओं की समाप्ति 

नरेन्‍द्र मोदी ने मंत्रियों को सशक्त बनाने और मंत्रियों के अधिकार प्राप्त समूह (ईजीओएम) व मंत्रियों के समूह (जीओएम) को हटाकर एक साहसिक कदम उठाया है। इस कदम के द्वारा त्वरित निर्णय की क्षमता तथा प्रणाली में अधिक से अधिक उत्तरदायित्व आ पायेगा। उनका यह मंत्र न्यूनतम सरकार और अधिकतम प्रशासन की दिशा में है।”

नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार ने अपने पहले 30 दिनों में ही, भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए किए कदम उठाए, केंद्र का कार्यकुशल कार्यकलाप तथा लक्ष्यों को प्राप्त करना सुनिश्चित किया, अनावश्यक संरचनाओं की समाप्ति व मुद्रास्फीति से निपटने की तैयारी शुरू की। यदि वे देश को एक महीने में जाग्रत कर सकते हैं, तो हम इस बात का भरोसा कर सकते हैं कि वे अगले 60 महीनों में राष्ट्र की दशा को बदल डालेंगे।

और अगर चीजें इसी रफ़्तार से चलती रहीं, तो वृद्धि और विकास के एक दूर का सपना नहीं रह जाएगा, बल्कि मात्र कुछ समय की बात रह जाएगी!

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जल जीवन मिशन के 6 साल: हर नल से बदलती ज़िंदगी
August 14, 2025
"हर घर तक पानी पहुंचाने के लिए जल जीवन मिशन, एक प्रमुख डेवलपमेंट पैरामीटर बन गया है।" - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

पीढ़ियों तक, ग्रामीण भारत में सिर पर पानी के मटके ढोती महिलाओं का दृश्य रोज़मर्रा की बात थी। यह सिर्फ़ एक काम नहीं था, बल्कि एक ज़रूरत थी, जो उनके दैनिक जीवन का अहम हिस्सा थी। पानी अक्सर एक या दो मटकों में लाया जाता, जिसे पीने, खाना बनाने, सफ़ाई और कपड़े धोने इत्यादि के लिए बचा-बचाकर इस्तेमाल करना पड़ता था। यह दिनचर्या आराम, पढ़ाई या कमाई के काम के लिए बहुत कम समय छोड़ती थी, और इसका बोझ सबसे ज़्यादा महिलाओं पर पड़ता था।

2014 से पहले, पानी की कमी, जो भारत की सबसे गंभीर समस्याओं में से एक थी; को न तो गंभीरता से लिया गया और न ही दूरदृष्टि के साथ हल किया गया। सुरक्षित पीने के पानी तक पहुँच बिखरी हुई थी, गाँव दूर-दराज़ के स्रोतों पर निर्भर थे, और पूरे देश में हर घर तक नल का पानी पहुँचाना असंभव-सा माना जाता था।

यह स्थिति 2019 में बदलनी शुरू हुई, जब भारत सरकार ने जल जीवन मिशन (JJM) शुरू किया। यह एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर तक सक्रिय घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) पहुँचाना है। उस समय केवल 3.2 करोड़ ग्रामीण घरों में, जो कुल संख्या का महज़ 16.7% था, नल का पानी उपलब्ध था। बाकी लोग अब भी सामुदायिक स्रोतों पर निर्भर थे, जो अक्सर घर से काफी दूर होते थे।

जुलाई 2025 तक, हर घर जल कार्यक्रम के अंतर्गत प्रगति असाधारण रही है, 12.5 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को जोड़ा गया है, जिससे कुल संख्या 15.7 करोड़ से अधिक हो गई है। इस कार्यक्रम ने 200 जिलों और 2.6 लाख से अधिक गांवों में 100% नल जल कवरेज हासिल किया है, जिसमें 8 राज्य और 3 केंद्र शासित प्रदेश अब पूरी तरह से कवर किए गए हैं। लाखों लोगों के लिए, इसका मतलब न केवल घर पर पानी की पहुंच है, बल्कि समय की बचत, स्वास्थ्य में सुधार और सम्मान की बहाली है। 112 आकांक्षी जिलों में लगभग 80% नल जल कवरेज हासिल किया गया है, जो 8% से कम से उल्लेखनीय वृद्धि है। इसके अतिरिक्त, वामपंथी उग्रवाद जिलों के 59 लाख घरों में नल के कनेक्शन किए गए, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विकास हर कोने तक पहुंचे। महत्वपूर्ण प्रगति और आगे की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय बजट 2025–26 में इस कार्यक्रम को 2028 तक बढ़ाने और बजट में वृद्धि की घोषणा की गई है।

2019 में राष्ट्रीय स्तर पर शुरू किए गए जल जीवन मिशन की शुरुआत गुजरात से हुई है, जहाँ श्री नरेन्द्र मोदी ने मुख्यमंत्री के रूप में सुजलाम सुफलाम पहल के माध्यम से इस शुष्क राज्य में पानी की कमी से निपटने के लिए काम किया था। इस प्रयास ने एक ऐसे मिशन की रूपरेखा तैयार की जिसका लक्ष्य भारत के हर ग्रामीण घर में नल का पानी पहुँचाना था।

हालाँकि पेयजल राज्य का विषय है, फिर भी भारत सरकार ने एक प्रतिबद्ध भागीदार की भूमिका निभाई है, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करते हुए राज्यों को स्थानीय समाधानों की योजना बनाने और उन्हें लागू करने का अधिकार दिया है। मिशन को पटरी पर बनाए रखने के लिए, एक मज़बूत निगरानी प्रणाली लक्ष्यीकरण के लिए आधार को जोड़ती है, परिसंपत्तियों को जियो-टैग करती है, तृतीय-पक्ष निरीक्षण करती है, और गाँव के जल प्रवाह पर नज़र रखने के लिए IoT उपकरणों का उपयोग करती है।

जल जीवन मिशन के उद्देश्य जितने पाइपों से संबंधित हैं, उतने ही लोगों से भी संबंधित हैं। वंचित और जल संकटग्रस्त क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर, स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और स्वास्थ्य केंद्रों में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करके, और स्थानीय समुदायों को योगदान या श्रमदान के माध्यम से स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित करके, इस मिशन का उद्देश्य सुरक्षित जल को सभी की ज़िम्मेदारी बनाना है।

इसका प्रभाव सुविधा से कहीं आगे तक जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि JJM के लक्ष्यों को प्राप्त करने से प्रतिदिन 5.5 करोड़ घंटे से अधिक की बचत हो सकती है, यह समय अब शिक्षा, काम या परिवार पर खर्च किया जा सकता है। 9 करोड़ महिलाओं को अब बाहर से पानी लाने की ज़रूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह भी अनुमान है कि सभी के लिए सुरक्षित जल, दस्त से होने वाली लगभग 4 लाख मौतों को रोक सकता है और स्वास्थ्य लागत में 8.2 लाख करोड़ रुपये की बचत कर सकता है। इसके अतिरिक्त, आईआईएम बैंगलोर और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार, JJM ने अपने निर्माण के दौरान लगभग 3 करोड़ व्यक्ति-वर्ष का रोजगार सृजित किया है, और लगभग 25 लाख महिलाओं को फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग करने का प्रशिक्षण दिया गया है।

रसोई में एक माँ का साफ़ पानी से गिलास भरते समय मिलने वाला सुकून हो, या उस स्कूल का भरोसा जहाँ बच्चे बेफ़िक्र होकर पानी पी सकते हैं; जल जीवन मिशन, ग्रामीण भारत में जीवन जीने के मायने बदल रहा है।