
भारत माता की जय.. भारत माता की जय.. भारत माता की जय.. भारत माता की जय।
देशभर के चौकीदारों को मेरा नमस्कार, आज देशभर में करीब 500 से अधिक स्थानों पर, इसी प्रकार से देश के लिए कुछ कर गुजरने वाले, देश के सम्मान में ही अपना गर्व अनुभव करने वाले, लाखों लोगों से टेक्नोलॉजी के माध्यम से मुझे मिलने का सौभाग्य मिला है। टीवी चैनलों के माध्यम से भी देश के करोड़ों परिवारों के साथ जो आज अपने घर में होंगे, उनसे भी संवाद करने का मुझे सौभाग्य मिला है। चुनाव की गर्माहट में ये एक ऐसा अवसर है जिस पर सबकी निगाहें होना बहुत स्वाभाविक है। 2013-14 में जब लोकसभा का चुनाव चल रहा था, मैं देश के लिए नया था। एक मुख्यमंत्री के रूप में मेरी थोड़ी बहुत पहचान थी। ज्यादातर आलोचकों ने मेरी प्रसिद्धी ज्यादा की थी और मैं उनका तहे दिल से आभार भी व्यक्त करता हूं क्योंकि उन्ही के कारण देश में मेरे विषय में जिज्ञासा पैदा हुई थी कि आखिर ये इंसान है कौन? देश में तो अनेक मुख्यमंत्री हैं लेकिन ये क्या चीज है? जिसकी इतनी चर्चा हो रही है, तो एक जिज्ञासा पैदा हुई थी और उस जिज्ञासा के बीच भारतीय जनता पार्टी ने मुझे ये दायित्व दिया। अब मुझे देश के हर कोने में जाने की नौबत आई, तब मेरे मन में जरूर विचार आया कि मैं लोगों से क्या कहूंगा? तब जाकर के मैंने उनसे कहा था कि विश्वास रखिए आप दिल्ली का जो दायित्व मुझे दे रहे हैं, मतलब कि आप एक चौकीदार बिठा रहे हैं और एक चौकीदार के रूप में मैं इस दायित्व को निभाने का पूरा प्रयास करूंगा और तब मैंने कहा था कि देश का सामान्य मानव देश के लिए टैक्स देता है। अलग-अलग प्रकार से धनराशि देता है और इस पर देश के गरीबों का हक होता है और मेरी ये कोशिश रहेगी कि मैं कभी भी जनता के इन पैसों पर कोई पंजा नहीं पड़ने दूंगा। एक चौकीदार के रूप में मैं मेरी जिम्मेदारी निभाऊंगा लेकिन कुछ लोगों की बौद्धिक मर्यादाएं रहती हैं, उनका ज्यादा विकास होता नहीं है और जिनकी बौद्धिक मर्यादाएं होती हैं, उनकी सोच भी बड़ी मर्यादित होती है। तो उनके दिमाग में चौकीदार का मतलब टोपी पहनी है, यूनिफॉर्म पहना है, सीटी बजा रहा है, डंडा लेकर के ठोक रहा है, ये उनकी सोचने की मर्यादा का परिणाम है। चौकीदार.. ये ना कोई व्यवस्था है, चौकीदार.. ये ना कोई यूनिफॉर्म की पहचान है, चौकीदार.. ये ना ही कोई चौखट में बंधा हुआ है। चौकीदार..एक स्पिरिट है, एक भावना है। महात्मा गांधी कहा करते थे, ट्रस्टीशिप के सिद्धांत की बात करते थे।
गांधी जी कह रहे थे कि जो भी हमें दायित्व मिला है, जिन चीजों को हम संभालते हैं। चाहे वो प्राकृतिक संसाधन हो, चाहे वो समय हो, चाहे व्यवस्थाएं हों, हमे एक ट्रस्टी के रूप में ही उसका इस्तेमाल करना चाहिए। हम उसके ट्रस्टी हैं, हमें उसको संभालना चाहिए, गांधी जी ये कहते थे। अब आज गांधी जी तो हैं नहीं लेकिन उनकी बातें, उनके आदर्श हम सबके लिए प्रेरणा हैं लेकिन समयानुकूल शब्दों में बदलाव आता है, स्पिरिट वही रहता है। मेरे लिए चौकीदार, ये महात्मा गांधी के ट्रस्टीशिप का सिद्धांत है, उसी की एक छोटी सी पहचान है। और इस अर्थ में और इसलिए यहां बैठा हुआ हर व्यक्ति..चौकीदार है। देश के कोने-कोने में बैठा हर व्यक्ति..चौकीदार है। जो गांव में है वो भी..चौकीदार है।
जो शहर में है वो भी..चौकीदार है। जो पढ़ा लिखा है वो भी..चौकीदार है। जो अनपढ़ है वो भी..चौकीदार है। जो पुरुष है वो भी..चौकीदार है, जो महिला है वो भी..चौकीदार है। जो खेत में काम करता है वो भी..चौकीदार है, जो डॉक्टर है वो भी..चौकीदार है। जो शिक्षक है वो भी..चौकीदार है। समाज के लिए काम करने वाला व्यापारी हो, कामगार हो, हर कोई चौकीदार है और ये घाव जितना प्रबल होगा, सवा सौ करोड़ देशवासियों की ये जो भावना है, ये जितनी प्रबल बनेगी, आप मुझे बताइए कोई चोरी करने वाल बचेगा क्या?
कोई चोरी करने का इरादा बचेगा क्या? देश को लूटने का इरादा बचेगा क्या? हर कोई अपना दायित्व सही से निभाएगा कि नहीं निभाएगा? एक जिम्मेदारी का अहसास होगा कि नहीं होगा? और इसी भाव को लेकर के इस चौकीदार ने अपना काम शुरू किया है और सवा सौ करोड़ देशवासियों ने इतना भरपूर प्यार दिया, इतना समर्थन दिया, इतना विश्वास दिया कि मैंने पीछे मुड़कर कभी देखा नहीं है। और आज 2019 के चुनाव में हर कोई मैदान में है। मतदाता बड़ी बारीकी से देख रहा है और मुझे विश्वास है कि देश की जनता चौकीदार पसंद करती है। देश की जनता को राजा-महाराजाओं की जरूरत नहीं है। देश की जनता को हुक्मरानों की जरूरत नहीं है और इसलिए मुझे खुशी है कि चौकीदार का भाव निरंतर विस्तार होता जा रहा है। आज मैं हर प्रकार से अपने जीवन में एक चौकीदार की तरह काम करने वाले आप सबको मेरे सामने जब देख रहा हूं और हिंदुस्तान की 500 से अधिक जगह पर इस एक भाव से जो लोग जुटे हैं, उनको मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं, आप सबका मैं अभिनंदन करता हूं और मैं चाहूंगा कि आज कुछ आपसे बाते करूं और हम आगे का समय बातचीत में बिताएं।
अब पीएम मोदी का जनता के साथ सवाल-जवाब का सिलसिला शुरू होता है..
सवाल- आदरणीय प्रधानमंत्री जी, मैं अपूर्वा ठाकुर, बीए सेकेंड ईयर की छात्रा दिल्ली विश्वविद्यालय से। मेरे दिमाग में किसी भी प्रकार का कोई कंफ्यूजन, आशंका या डेलेमा नहीं है और इसका पूर्ण श्रेय जाता है आपको, आपने जिस प्रकार यूथ को इंपावर किया है, मोटिवेट किया है, इससे हमारे समक्ष एक रास्ता खुल गया है अपने भविष्य को लेकर के, मैं नमो ऐप को नियमित रूप से प्रयोग करती हूं और जब मैंने, मैं भी चौकीदार इवेंट के लिए रजिस्टर्ड किया था तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि आज आपके समक्ष खड़े होकर मुझे प्रश्न पूछने का अवसर मिलेगा और इस व्यवस्था के लिए मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूं कि आज एक आम नागरिक भी अपने प्रधानमंत्री से जुड़ा हुआ है। मुझे पूर्ण विश्वास है कि इस बार भी आप जीतेंगे और इस बार जब आप शपथ लेंगे तो मैं ये जानना चाहती हूं कि आपकी हम चौकीदारों से क्या अपेक्षा है? आप हमसे क्या उम्मीद रखते हैं?
पीएम मोदी का जवाब- मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आपने एक सामान्य नागरिक के दिल की बात को बोला है और आपने बड़े विश्वास से कहा है कि देश की जनता फिर से एक बार देश की सेवा करने का मौका हमें देने वाली है। मुझे खुशी है कि हमारे देश के युवा दूर का देखते हैं। हम राजनेता तो अभी 11 तारीख को पोलिंग होगा तो क्या होगा, 21 तारीख को पोलिंग होगा तो क्या होगा, इसी में लगे पड़े हैं, आप शपथ का सोच रही हैं। ये कॉन्फिडेंस, ये आत्मविश्वास, इसकी अपनी एक ताकत होती है और इसलिए मैं आपका बहुत आभारी हूं कि आपने इन सब की ओर से, सामान्य जनता से जो आपने सुना है, मेट्रो में जाते-आते लोगों से जो आपने बात की है, उसके आधार पर आपने कहा है, जब मैं शपथ लूंगा वो शपथ अकेला मोदी नहीं लेने वाला है, 130 करोड़ हिंदुस्तानी लेने वाले हैं और सबसे बड़ा शपथ होता है, हम अधिकार और कर्तव्य को संतुलित करेंगे। हम अपने अधिकारों के लिए जागृत होंगे ही लेकिन अपने कर्तव्य में कभी भी कोताही नहीं बरतेंगे। एक टीचर अपना कर्तव्य निभाता है तो विद्यार्थी का और देश का भविष्य बदल जाता है, एक पुलिसवाला अपना कर्तव्य निभाता है तो समस्याओं का समाधान अपने आप होने लगता है और उस अर्थ में हमारे देश में पिछले 5 सालों में मुझे जो सफलता मिली है उसका मूल कारण जन भागीदारी है। कोई कल्पना कर सकता है कि आज स्वच्छता, ये आंदोलन मोदी का नहीं है, सवा करोड़ देशवासियों का बन गया है और ये हम आप चौकीदार बने तभी हुआ है और ये बिना शपथ लिए हुआ है, अगर इस बार आप शपथ लेकर करोगे तो पता नहीं परिणाम कितना बड़ा आएगा। हर व्यक्ति के अपने सपने होते हैं और होने भी चाहिए, हर व्यक्ति की अपनी इच्छाएं होती हैं और होनी भी चाहिए, लेकिन हम तय करें कि सबसे ऊपर देश। आप देखिए, सारी समस्याओं का समाधान हम खुद ही अपने आप निकाल देंगे, मैं फिर एक बार आपका आभारी हूं।
सवाल- नमस्ते प्रधानमंत्री जी, मैं सीए अजय दवे हूं, मुंबई में आपका स्वागत है। पहले मैं आपको धन्यवाद देना चाहता हूं, आपने जो उद्योग और अर्थतंत्र व्यवस्था के लिए जो कानून और व्यवस्था में बदलाव लाए हो, जीएसटी, डिमोनेटाइजेशन, इनकम डिस्क्लोजर स्कीम से लेकर बैंकरप्सी कोड, सबसे आज भारतीय उद्योग को एक नियमबद्ध तरीके से प्रगति करने की सुविधा हो गई है और पूरे देश के चार्टर्ड अकाउंटेंटस को भी इस कानूनी व्यवस्था में बदलाव लाने से जो क्लेरिटी आई है उद्योगों को, आज सारे चार्टर्ड अकाउंटेंट को एक चौकीदार के रूप में सेवा करने में सुविधा भी मिल गई है। इसलिए धन्यवाद। सर..हमारा प्रश्न ये है कि बालाकोट में जो आपने जो करके दिखाया वो गजब हो गया। सबका सीना गर्व से फूल गया है। मित्र-परिवार सबको एक गर्व की भावना है और पूरे देश में आज ऐसा लग रहा है कि सालों बाद किसी ने भारत का दम दिखाया। सर मेरा प्रश्न है..थोड़ा व्यक्तिगत होगा एक तरीके से..। सर दो चीज बताइए, पहला, आपको ये फैसला लेने में ताकत और प्रेरणा कहां से मिली? और दूसरा, आपके मन में क्या ये विचार आया एक क्षण के लिए भी कि यदि इस ऑपरेशन में कोई चूक हो जाती तो आपके राजनीतिक भविष्य का क्या होगा?
पीएम मोदी का जवाब- दवे जी..आपने अपनी बात की शुरुआत में कहा कि बालाकोट मैंने किया, जी नहीं। बालाकोट मैंने नहीं किया है, देश के जवानों ने किया है। हमारे सुरक्षाबलों ने किया है और सबसे पहले हम सब की तरफ से उनको सैल्यूट। जहां तक निर्णय का सवाल है, देखिए इस देश में आपने ढेर सारे प्रधानमंत्री देखे हैं या उनके विषय में सुना है। कई लोग उस समय भी जब 2014 का चुनाव था तो प्रधानमंत्री की कतार में खड़े थे, आज लाइन थोड़ी लंबी हो गई है, अगर मोदी अपने राजनीतिक भविष्य का सोचता, ऐसा होता तो ऐसा होता, तो वो मोदी नहीं होता। अगर यही राजनीतिक पैंतरेबाजी से देश चलाना होता, नफा-नुकसान का हिसाब करके देश चलाना होता, अपने राजनीतिक हित, अपनी राजनीतिक भलाई, उसी को लेकर के अगर निर्णय करने होते तो मोदी की इस देश में प्रधानमंत्री बनने की कोई जरूरत नहीं होती। बहुत सारे लोग हैं, 70 साल तक चलाया है, मेरे जैसे व्यक्ति की क्या जरूरत है? और इसलिए मेरे लिए देश सबसे ऊपर होता है। सवा सौ करोड़ देशवासी मेरे लिए सबसे ऊपर होते हैं और मेरा है क्या? आगे पीछे कोई चिंता नहीं रखी है। दूसरा, मुझ जैसे राष्ट्रीय राजनीति में अंजान व्यक्ति को तीस साल के बाद देश की जनता ने पूर्ण बहुमत दिया है। हमारे राजनीतिक दलों को भी पता नहीं है, ये दुर्भाग्य है। पूर्ण बहुमत की सरकार ये अपने आप में देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है, बहुत बड़ी ताकत होती है। आज दुनिया में भी हिंदुस्तान की बात सुनाई देती है, उसका कारण मोदी है, उससे ज्यादा, ये पूर्ण बहुमत की सरकार है, दुनिया का कोई नेता जब मेरे से हाथ मिलाता है या गले लगता है, गले पड़ता नहीं है, तो उसको मोदी नहीं दिखता है, पूर्ण बहुमत वाली सरकार, उसके माध्यम से सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानी दिखते हैं और तब जाकर के बराबरी की बात होती है। तीसरी बात ये निर्णय मैं इसलिए कर पाया, मुझे मेरी सेना पर भरोसा है। उन्हें छूट दे पाया, इसका कारण यह है, मुझे उनकी डिसिप्लिन पर भरोसा है कि वो कभी वैसा काम नहीं करेंगे जिसके कारण मेरे देश को नीचा देखने की नौबत आए। इसलिए उनके सामर्थ्य पर भरोसा और उनके डिसिप्लिन पर विश्वास, इसके कारण उनके हाथ में इतना बड़ा निर्णय देने की मुझमें ताकत थी। अब इसके पीछे मेरी विचार प्रक्रिया क्या है? हो सकता है कि शायद दवे जी यही जानना चाहते हों। देखिए, ये आतंकवाद से हम 40 सालों से पीड़ित हैं, कौन ये पाप करता है, सारी दुनिया को पता है, रिमोट कंट्रोल कहां है..सबको मालूम है, आतंकवादियों के आका कहां बैठे हैं, ये सबको मालूम है। और वे आएं, मारें और चले जाएं। मुंबई में आए, अनेक लोगों को मारकर चले जाएं, उरी में आए। अब मुझे बताइए हमारी सेना के जवान रोज लड़ रहे हैं, थोड़ा ये पता लगे कि इस कोने में है तो पहुंच जाते थे। सुबह टीवी चालू करो तो पता चल रहा है कि हां, वहां चल रही हैं गोलियां। वो हिम्मत के साथ मुकाबला कर रहे हैं लेकिन ये कब तक चलेगा और तब मैंने तय किया कि ये जहां से कंट्रोल होता है, खेल वहीं खेला जाएगा। अब मैदान उन्हीं का होगा और आतंकवाद और मुझे सबसे बड़ी बात, कभी-कभी ये हमारे देश से भी बुद्धिमान लोग चर्चा करते हैं तो मुझे बड़ी शर्मिंदगी होती है कि उनको हो क्या गया है। आखिर पाकिस्तान बालाकोट की घटना, उसके बाद भी उनके एयरस्पेस को शायद अब खोलना शुरू किया है। डेढ़ महीना हो गया है। अब उनको लग रहा है शायद मोदी चुनाव में बिजी हो गया है तो शायद कुछ करेगा नहीं। मेरे लिए चुनाव प्रायारिटी नहीं है जी, देश प्रायारिटी है। देखिए पाकिस्तान की बड़ी मुसीबत है, अगर वो कहे कि हां, बालाकोट में कुछ हुआ था तो इसका मतलब उन्हें स्वीकार करना पड़ेगा कि यहां टेररिस्टों का कैंप चलता था। आज तक वो दुनिया को कहते आए हैं कि हमारे यहां कुछ नहीं है, हमने ऐसी जगह पर वार कर दिया कि अब उनको उसको छुपाते रहना बनता नहीं है। आपने देखा होगा कि डेढ़ महीना हो गया किसी को जाने नहीं देते हैं और हमें कुछ लोग बताते हैं कि फिर से उस सारे इलाके को रीकंस्ट्रक्शन किया जा रहा है और उसको एक ऐसा रूप दिया जा रहा है कि वहां बच्चों का स्कूल चल रहा है ताकि दुनिया को ले जाकर दिखाया जाए कि वहां कभी टेररिस्ट कैंप था ही नहीं। लेकिन अब वैसी जगह पर वार हुआ है जिससे कारण यह सिद्ध हो चुका है कि पाकिस्तान में टेरिरिस्ट कैंप चलते थे और इसलिए पाकिस्तान को सबसे ज्यादा परेशानी कितने लोग मरे उससे नहीं है, वो तो प्रॉब्लम वो सॉल्व कर देते हैं, उनको परेशानी इस बात की है कि इस पर ठप्पा कब का लग रहा है कि टेररिस्टों का कैंप यहां से चलता था और दुर्भाग्य है कि हमारे देश के मोदी को गाली देने में जो उत्साही लोग हैं वो वहां पाकिस्तान की अपने बयानों से मदद कर रहे हैं।
सवाल- माननीय, हम सबके यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को मैं सादर नमस्कार करती हूं। मैं शकुंतला सिंह परिहार ग्वालियर से एक शिक्षिका हूं, मैं सबसे पहले आपको बहुत-बहुत बधाई देती हूं। मेरा प्रश्न आपसे भ्रष्टाचार को लेकर है। हमारा पूरा देश आपके आने से पहले भ्रष्टाचार में पूरा लिप्त था। आज देश संतुष्ट है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा निर्णय लिया गया है। आज देश ये चाहता है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ हम उन्हें जेल में देखें, मेरा आपसे प्रश्न ये है कि आप भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कितना कड़ा निर्णय लेंगे? प्लीज आप जवाब दीजिए।
पीएम मोदी का जवाब- धन्यवाद, आप शिक्षक हैं, मैं समझता हूं कि शिक्षक बड़ा चौकीदार होता है। आने वाली पीढ़ियों की भी वो चौकीदारी करता है। इसलिए मैं ऐसे चौकीदार को यहां से नमस्कार करता हूं। आपका गुस्सा बहुत स्वाभाविक है। 2014 में भी मैंने कहा था और आज भी कहता हूं कि जिन्होंने देश को लूटा है, उनको पाई-पाई लौटानी पड़ेगी। अब आपने देखा होगा कि 2014 से सारी चीजें इकट्ठा करना, सबको समेटना, अफसर भी वही थे जो कभी न कभी उनके साथ काम किए थे। अब धीरे-धीरे वो अफसर रिटायर हो रहे हैं, नए आ रहे हैं तो जरा मेरे काम की सुविधा भी बढ़ रही है। 2014 से आपकी मदद से मैं इन लोगों को जेल के दरवाजे तक तो ले गया हूं, कोई जमानत पर है, कोई अभी डेट ले रहा है, लोग चक्कर काट रहे हैं लेकिन 2014 से मेहनत करते-करते पुराने अफसर गए, धीरे-धीरे जगह खाली हो गई, नए आए, तो अब कागज भी हाथ लगने लगे हैं। बराबर मामला सीधी दिशा में जा रहा है। 2014 से अब तक मैं जेल के दरवाजे तक ले गया हूं, 2019 के बाद...। ये जो भागते हैं ना, उनको भी यही कारण है कि डर लग रहा है। कुछ लोग विदेशों की अदालतों में जाकर ये कहते हैं कि भारत की जेलों की स्थिति ऐसी है कि हम उसमें रह ही नहीं सकते। ऐसा, अब उनको महल देना क्या? तो मैंने कहा कि जाओ कोर्ट में बता दो भाई। अरे ये इतने बड़े हैं क्या? अंग्रेजों ने गांधी जी को जेल में रखा था मैं उनको इससे अच्छी जेल थोड़े ही दूंगा। देखिए, पैसे लौटाने पड़ रहे हैं जो पैसे गए, कानून बनाए हैं हमने। 9 हजार करोड़ रुपए का घपला किया, 14 हजार करोड़ तो सरकार के कब्जे में हैं। ऑक्शन होता चला जा रहा है। दुनिया के किसी भी कोने में उनकी प्रॉपर्टी होगी तो ये जब्त होके रहेगी और कभी न कभी हिंदुस्तान के कानून की शरण में उनको भी आना ही पड़ेगा। दूसरी बात है, ये जो पहले खबरें क्या आती थीं, फलाने अफसर के यहां बिस्तर के नीचे से नोटों का बंडल निकला। आती थीं कि नहीं आती थीं? अब बंद हो गया है। पहले जितने लोग टैक्स देते थे आज उससे करीब-करीब डबल हो गए हैं। हर एक को लगता है भाई, ईमानदारी का माहौल बन रहा है तो चलो हम भी ईमानदारी से चलें। तो हमारे दो प्रकार से काम हैं, एक, ईमानदारों को पुरस्कृत करना, ईमानदारों को प्रोत्साहित करना, ईमानदारी का सम्मान बढ़ाना, उनका मान-सम्मान बढ़ाने की हमारे यहां परंपरा ही नहीं रही। आपने देखा होगा कि इस बार बजट में हमने ऑफिशियली पार्लियामेंट के फ्लोर पर टैक्स पेयर्स का धन्यवाद किया है, इनका गौरव करना चाहिए। हम उनको नीचा दिखाकर के चाहें कि देश चले तो कैसे चलेगा भाई? अनाप-शनाप गालियां देकर के हम उनको परेशान करेंगे तो क्या होगा? हम उस रास्ते पर जाना नहीं चाहते। मेरे लिए टैक्स पेयर्स देश के गरीबों की सेवा करने के लिए वो अपनी भूमिका अदा कर रहा है, ईमानदारी से अदा कर रहा है, उसका मान सम्मान, गौरव एक रास्ता है। दूसरा जो गलत करता है, वह किसी भी हालत में बचना नहीं चाहिए और ये कानून बनाए हैं, व्यवस्था बनाई है, लोगों को लगाया है, ये तो किया है लेकिन जब पता चलता है कि ऊपर गड़बड़ नहीं है तो फिर नीचे ठीक होना शुरू हो जाता है। वर्ना तो रास्ते चलते 5 रुपए किसी के मारेगा तो भी कहेगा कि ऊपर पहुंचाना है और किसी को लगता होगा कि ऊपर पीएम को पहुंचाता होगा लेकिन अब देश को पता है कि ऊपर कोई लेने वाला है नहीं तो नीचे देने वाला भी बंद हो गया। लेकिन इसको विस्तार से बहुत सी बातें कह सकते हैं लेकिन मैं आपका समय लेता नहीं हूं। देश के सामान्य मानवी की अपेक्षा है कि इस देश में लूटने वाले बचने नहीं चाहिए और मैं वादा करता हूं कि इस काम को मैं करके रहूंगा।
सवाल- आदरणीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार, मेरा नाम राकेश प्रसाद है और मैं बैंगलुरू से आईटी प्रोफेशनल हूं। सर मेरा प्रश्न है कि वर्षों से हम सुनते आ रहे हैं कि भारत एक विकासशील देश है और मेरा प्रश्न है कि ऐसा समय कब आएगा कि हम भी विकसित देशों में गिने जाएंगे?
पीएम मोदी का जवाब- सबसे पहले तो मैं आपको इस सवाल के लिए बधाई देता हूं। जब हिंदुस्तान के सामान्य मानवी के दिल में ये इच्छा जगती है, तब मन में एक भाव जगता है कि भाई कब तक विकासशील? कभी तो विकसित देश बनना चाहिए और ये सवाल में वो एक इच्छा पड़ी है, आकांक्षा पड़ी है और कर सके, ऐसे व्यक्ति पर भरोसा भी पड़ा है। ये बात सही है कि बहुत देर हो चुकी है। देश आजाद होने के बाद हमने इसी मिजाज से भारत में जो आजादी का, देशभक्ति का जो माहौल था, उसको अगर इसी दिशा में चैनलाइज कर दिया होता, सही नेतृत्व दिया होता तो हमारे पीछे कई देश हैं जो स्वतंत्र हुए, छोटे देश थे, वे भी आज समृद्ध देशों की गिनती में आ गए हैं। भारत के पास समृद्ध राष्ट्र बनने के लिए सब कुछ है, कोई कमी नहीं है। इच्छाशक्ति और सवा सौ करोड़ देशवासियों का सपना बनना चाहिए कि हां, अब हमें पिछड़े रहना नहीं है। हमें बैकवर्ड की गिनती में आना नहीं है। पिछले 5 साल के शासनकाल में आपने देखा होगा कि आज दुनिया में जो भी निर्णय हो रहे हैं, उन निर्णयों में हमारी आवाज सुनाई दे रही है, 2014 में जब मैं आया तो विश्व की अर्थव्यवस्था में हम 11 नंबर पर थे और आप जानकर हैरान होंगे कि जब हम 11 नंबर पर थे तो उस समय के वित्त मंत्री, पुरानी सरकार के वित्त मंत्री, फाइनेंस मिनिस्टर, जो अपने आप को बहुत बुद्धिमान मानते हैं, उनको लगता है कि देश में उनकी बराबरी की बुद्धिवाला कोई है ही नहीं। उन्होंने 2014 के पहले बजट के समय पार्लियामेंट में भाषण देते हुए कहा था, अब बड़ी खुशी व्यक्त कीजिए कि हिंदुस्तान ने गर्व करना चाहिए कि हम दुनिया की 11वें नंबर की इकोनॉमी बन गए हैं। मैंने कोई हल्ला नहीं किया, कोई ढोल नहीं पीटे और आज हम नंबर 6 पर आ गए हैं। हम 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के क्लब में, दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं, हम बहुत जल्द पहुंच जाएंगे। आजकल मैं राज्यों से जब बात करता हूं तो मैं राज्यों से पूछता हूं कि बताइए भाई, क्या कभी आपका राज्य एक ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी का सपना देख सकता है क्या? इसके लिए आप क्या योजना करेंगे? एक देश में माहौल बनाया है मैंने और हमें आगे भी बनाना है कि हमें दुनिया से बराबरी करनी है। हमने बहुत सारा समय, इंडिया पाकिस्तान में खराब कर दिया और वो अपनी मौत मरेगा भी, उसको छोड़ दो, हम आगे निकल चलो। हम दुनिया के जो समृद्ध देश हैं, शक्ति है, उनके साथ जुड़े, अब देखिए अभी हम स्पेस पावर बने। मुझे मालूम नहीं है कि हिंदुस्तान में कितने लोगों को ये घटना समझ आई है। अंतरिक्ष में जाकर के हमारे लोगों ने जो पराक्रम किया है, देश की ताकत बढ़ती है, देश के हमारे नौजवान ओलंपिक में जाकर गोल्ड मेडल लेकर आते हैं, देश की ताकत बढ़ती है। हिंदुस्तान में नोबेल प्राइज पाने वालों की संख्या बढ़ती है, देश की ताकत बढ़ती है। यानी जीवन के हर क्षेत्र में हमने वैश्विक, जो मानदंड बने हैं, उसमें अपनी जगह बना ली है और हम उन सारे क्षेत्र में काम में लगे हैं और आप देखिए भारत के पास सब कुछ है, एक समृद्ध शक्तिशाली राष्ट्र बनकर के एक विकसित राष्ट्र के रूप में जगह पाने के लिए, एक डेवलप्ड देश के रूप में जगह पाने के लिए और जब देश के सामान्य नागरिक के मन में यह सपना आता है, तब तो यह पक्का बनेगा।
सवाल- मैं राम सिंह राणावत चित्तौड़गढ़ राजस्थान से हूं। महाराणा प्रताप की नगरी चित्तौड़गढ़ में आपका हार्दिक स्वागत, अभिनंदन है। मेरा सवाल है कि जब आप मिशन शक्ति की घोषणा कर रहे थे तो हम इस तकनीक के बारे में नहीं जानते थे, बाद में हमें पता लगा कि ये बहुत बड़ी उपलब्धि थी। कांग्रेस सरकार इसकी आलोचना कर रही है, कह रही है कि यह शक्ति तो हमारे पास पहले ही थी और इसको इतना नहीं बताना चाहिए था।
पीएम मोदी का जवाब- मैं जितना आपका सवाल समझ पाया, मूल गुस्सा आपका कांग्रेस के प्रति ही है। देखिए ये बात सही है कि ये मिशन शक्ति अभी भी हमारे देश के, अब ये तो चुनाव की गर्मी में बहुत ही अच्छी चीज है, चुनाव के चश्मों से ही देखी जाती है तब गड़बड़ हो जाती है। इससे चुनाव का कोई लेना-देना नहीं है। हमारे देश के वैज्ञानिकों ने वो सिद्धि हासिल की है, हर हिंदुस्तानी इसके लिए गर्व करेगा। दुनिया में हमारे पहले ये काम तीन देशों ने किया है, हम चौथे नंबर पर हैं। अमेरिका, रशिया और चीन। अब इसकी बारीकी देखिए कि हिंदुस्तान से एक मिसाइल निकलती है, तीन मिनट में जाकर के अंतरिक्ष में करीब 300 किलोमीटर धुरी पर, एक जीवित सेटेलाइट है जो खुद भी भ्रमण कर रहा है, उसको जाकर के मार गिराता है। अब इसकी बारीकी देखिए कि जो सेटेलाइट था वो करीब डेढ़ मीटर बाई डेढ़ मीटर का था और डेढ़ मीटर बाई डेढ़ मीटर का इतना छोटा सेटेलाइट, उसकी स्पीड थी एक सेकंड में 10 किलोमीटर की। एक सेकंड में 10 किलोमीटर की स्पीड में जा रहा था। जैसे कोई पंछी मारना है तो उसकी स्पीड भी 10 किलोमीटर नहीं होती है। यहां से हमारी जो मिसाइल गई, उस मिसाइल की स्पीड भी करीब उसी के बराबर एक सेकंड की 10 किलोमीटर की वहां पहुंचने के बाद थी। वो यहां से सेटेलाइट आ रहा था, ये यहां से जा रही थी और ये सारी प्रक्रिया, यहां से उसका निकलना और वहां सेटेलाइट से खत्म करना ये सारी प्रक्रिया 3 मिनट में हुई। और आप हैरान होंगे जानकर के जो डेढ़ मीटर वाई डेढ़ मीटर का जो सेंटर प्वाइंट था, इससे मुश्किल से 2-3 सेंटीमीटर साइड में, बिल्कुल बीच में जाकर इसने वार किया और उस सेटेलाइट को इसने तोड़ दिया, खत्म कर दिया। ये क्या है ताकत आज जो भी अब जैसे मैं इन टेक्नोलॉजी की बात कर रहा हूं। उसमे स्पेस टेक्नोलॉजी का सबसे बड़ा रोल है, अंतरिक्ष का रोल है। इसमें सेटेलाइट का रोल है, आप घर में टीवी देखते है सेटेलाइट का रोल है। फोन पर बात करते हैं, सेटेलाइट का रोल है। अब भविष्य में दुनिया में वो ताकत जरूरी बन गई है कि कोई अगर मान लीजिए अपनी ताकत से हमारा एक महत्वर्पूण सेटेलाइट गिरा दें तो हमारा देश तो ठप हो जाएगा। हमारे विमान नहीं उडेंगे। हमारी ट्रेन नहीं चलेगी, मोबाइल नहीं चलेगा। सब बंद हो जाएगा, इतनी ताकत है। अब ये बताइए क्या हिंदुस्तान ने इस चीज के लिए इंतजार करना चाहिए। हमारे साइंटिस्टों को भरोसा है, ज्ञान है तो किसी को हिम्मत कर भरोसा करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए, हमने किया। दूसरी बात है एक बुद्धिमान नेता कहते हैं कि ये बहुत बड़ी सीक्रेट चीज है। हमारे पास थी लेकिन हमने सीक्रेट रखा था। ये बात आपके गले उतरता है ये बात... गले उतरता है। दूसरी बात ये है जब अमेरिका ने डंके की चोट पर किया, चीन ने डंके की चोट पर किया, रसिया ने डंके की चोट पर किया तो हमने गुपचुप-गुपचुप करने की क्या जरूरत थी। अच्छा इनको साबु का उपयोग करना चाहिए। इस बुद्धिमान व्यक्ति को साबु का उपयोग करना चाहिए। साबु यानी सामान्य बुद्धि। आज विश्व में अतंरिक्ष में आप कुछ भी करें दुनिया इसको रिकॉर्ड कर सकती है दुनिया उसको देख सकती है। इसके लिए स्पाई करने की जरूरत नहीं है वो नेचुरल प्रकिया है। क्या ये छुपा रहने वाला था। अच्छा आप टेस्ट न करो और कहो कि मेरे में बहुत ताकत है तो कैसे पता चलेगा भाई, टेस्ट करना ही पड़ता है। अगर यही सच है तो हमने पोखरण-1 पोखरण-2 क्यों किया और करने के बाद दुनिया को क्यों बताया। दुनिया को आपकी शक्ति का परिचय होना भी उतना जरूरी है। लेकिन इसके साथ हमने ये भी कहा कि ये हमने किसी दुश्मन देश के लिए बनाया नहीं है। ये हमने हमारी रक्षा के लिए टेक्नोलॉजी को विकसित किया है, और हम आगे भी करेंगे और इसलिए ये शक्ति मिशन भारत के लिए बहुत बड़ी गौरवपूर्ण बात है। लेकिन क्योंकि मोदी प्रधानमंत्री है। इसके कालखंड में हो रहा है, तो कुछ लोगों की नींद उड़ जाती है। अब क्या करें भाई इसका क्या उपाय है तो ये मुसीबत उनको मुबारक।
सवाल- माननीय प्रधानमंत्री जी नमस्कार, मेरा नाम राजेश वाल्मीकि है। मैं आगरा नगर निगम में पिछले 25 वर्ष से कार्यरत हूं। मेरा सवाल ये है कि कांग्रेस रोजाना नए-नए झूठ बोलती है। एक झूठ 100-100 बार बोलती है और पिछले पांच सालों में उन्होंने झूठ ही बोला है। पिछले पांच सालों में हमने देखा है कि उनका झूठ और भ्रम बोलने का इको सिस्टम बहुत मजबूत है। इसको हम कैसे एक्सपोज करें।
प्रधानमंत्री- आपकी बात सही है कि इनके झूठ बोलने वालो को इको सिस्टम की इतनी मदद मिलती है कि उनका झूठ बार-बार गूंजता रहता है। लेकिन उनका झूठ समझने जैसा है, बड़ा इंटरेस्टिंग है। कांग्रेस का झूठ बड़ा सीजनल होता है। जैसे पतंग का सीजन आता है, पटाखे की सीजन आता है। उसी प्रकार से उनका सीजनल है। सीजन के हिसाब से वो झूठ प्रोवोक करते हैं, मैदान में छोड़ते हैं। और इनका इको सिस्टम इसको उठाता है। आपने देखा होगा, यहां जब दिल्ली में चुनाव चल रहा था तब इन्होंने झूठ चला दिया। झूठ क्या था चर्च पर हमले हो रहे हैं। चर्च पर हमले हो रहे हैं। असहिष्णुता... इनटोलेंरेस, इनटोलेंरेस... जैसे ही चुनाव समाप्त हो गए इनटोलेरेंस भी समाप्त हो गई। बिहार में चुनाव चल रहा था। इन्होंने झूठ चलाया...मोदी आया है अब संविधान को खत्म कर देगा, आरक्षण ले लेगा। आरक्षण जाने वाला है, ये झूठ चलाया उन्होंने। बिहार का चुनाव जब तक रहा ये झूठ चलाया.. बस..कोई मुद्दा नहीं, और उनका जो इको सिस्टम है वो भी लोगों से जाकर पूछने लगे। कैसे भी कर के खींचते रहे। पहली बार देश में आरक्षण हटाने की बात छोड़ दीजिए। अगर डॉक्टर भीम राव अंबेडकर का सबसे ज्यादा सम्मान किया हो तो हमारी सरकार ने किया। संविधान के द्वारा ओबीसी को कमीशन बनाकर के उसको संवैधानिक दर्जा देने के लिए हम पार्लियामेंट में बिल लाए उसे दो-दो-तीन सत्रों तक लटकाए रखा उन्होंने लेकिन झूठ बोलते रहे। अभी पार्लियामेंट में हम बिल एक कानून लाए संविधान में परिवर्तन किया। सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 प्रतिशत का आरक्षण और किसी का छिने बिना। सामान्य कोई तनाव पैदा किए बिना न किसी के पुतले जले न आग लगी। कुछ नहीं प्रेम से समझौते से कर लिया हमने और देश के सामान्य वर्ग के गरीब जो सालों से मांग कर रहे हैं... उनका मान सम्मान करने का हमने काम किया। लेकिन उन्होंने चलाया देखिए आरक्षण ले लेगा आरक्षण ले लेगा... उसके बाद अवॉर्ड वापसी गैंग आई, कोई घटना हो गया है अवार्ड वापसी गैंग मैदान में आ जाता है। मैंने सरकार में पूछा कि यार क्या-क्या वापसी आया जरा बताओ तो अखबार में आता है मैंने तो कहीं देखा नहीं जो रुपए मिले हैं उन्हें.. वो वापस नहीं आए। लेकिन ये अवार्ड वापसी गैंग.. जैसे ही कोई चुनाव या घटना पूरी हो गई ये अवार्ड वापसी गैंग घर में जाकर सो जाती है। यानी आपने उनके झूठ को हर बार देखा होगा। झूठ की उम्र भी ज्यादा नहीं उनके झूठ की उम्र ज्यादा नहीं कुछ झूठ तो ऐसे हैं कि बामृत्यु हो जाता है। लेकिन वो झूठ को खींच खींचकर लंबा कर रहे हैं। इस झूठ का जवाब आसान है, बहुत आसन है। मेहनत करने की जरूरत नहीं है, सिर्फ सत्य बताते चलो। आप सिर्फ सत्य बताते चलिए सच की ताकत इतनी होती है कि उनका झूठ कभी टिक नहीं पाएगा। और सामान्य मानवीय को समझाना चाहिए वो कितना झूठ बोलते हैं। अच्छा... जो झूठ बोलता है उसके लिए पहली शर्त होती है कि उसकी मेमोरी पावर बहुत शॉर्प होनी चाहिए। वो एक दिन एक आंकड़ा बोले, दूसरे दिन दूसरा बोले, तीसरे दिन तीसरा बोले.. तो झूठ बोलने के लिए भी कोई उनको पकड़ा देता है जो उनकी फैक्ट्री है झूठ प्रोडेक्ट करने वाली वो पकड़ा देती है कि इसको चलाइए। लेकिन मेमोरी की गड़बड़ होने के कारण ये फिर पकड़े जाते हैं। वरना उनकी बातों में सच्चाई होती तो बार-बार आंकड़े थोड़ी ना बदलने पड़ते भाई। ये बार-बार बदलना पड़ता है इसका कारण ही है कि उनके भीतर इतना झूठ पड़ा हुआ। वो झूठ अभिव्यक्त हुए बिना रहता नहीं है और इसलिए सत्य के सहारे के साथ जीना है, सत्य के सहारे चलना है, जहां जाए वहां सत्य बोलना है, सत्य बोलने के लिए कोई आदमी नहीं रखना पड़ता है। जो दिल में है निकलता है। आप वाल्मीकि जी हिम्मत के साथ सच बोलते जाइए विजय आपकी निश्चित है।
सवाल- मैं डॉक्टर आशुतोष कुमार, ज्ञान की धरती नालंदा से सादर प्रणाम आपको। नालंदा लोकसभा क्षेत्र और समस्त जनता आपके उत्तम स्वास्थ्य की कामना करती है। आदरणीय प्रधानमंत्री जी जब आपने ये चौकीदार अभियान चलाया था तो हमें लगा कि ये सिर्फ चौकीदार के लिए है। लेकिन बहुत कम समय में हम जैसे डॉक्टर समेत सभी सेक्टर के लोग डॉक्टर्स, ब्यूरोक्रेट्स, इंडजीनियर्स, मजदूर, व्यवसायी, किसान सभी लोग जो इस अभियान से जुड़े और अपने आपको इसमें सहज स्वीकार करते हैं मैं आपको इसके लिए धन्यवाद कहता हूं। आदरणीय प्रधानमंत्री जी मेरा दो छोटे सवाल हैं आपसे... पहला- माननीय चौकीदार महोदय 6 दशक तक देश पर शासन करने वाली कांग्रेसियों को इस चौकीदार शब्द से चिढ़ क्यों है? दूसरा सवाल- इन विपक्षियों को आपकी चौकीदारी नापंसद क्यों चौकीदार महोदय जी। धन्यवाद।
प्रधानमंत्री- आपके मोहल्ले में आपके इलाके में अगर एक बड़ा मजबूत पुलिसवाला ड्यूटी पर आता है। दम वाला, दौड़ने वाला, मेहनत करने वाला तो इलाके के नागरिकों को अच्छा लगता है कि नहीं लगता है ? आप बताइए अच्छा लगता है कि नहीं लगता? लेकिन वहां जो गोरखधंधे करते होंगे उनका क्या होता होगा। वो सबसे पहले पुलिस वाले की ट्रांसफर चाहेंगे कि नहीं चाहेंगे कि वो कहीं और चला जाए। देखिए ये बहुत स्वाभाविक है कि कुछ लोग ये मानकर के बैठे हैं कि ये देश, ये सरकार, ये राज घराना ये इनकी पैतृक संपत्ति है। पीढ़ी दर पीढ़ी ये इन्हीं को मिलना चाहिए और ये चाय वाला आकर बैठ गया। ये पचा ही नहीं पा रहे हैं। पहले दिन से ही वो कल्पना ही नहीं कर सकते हैं कि हिंदुस्तान में ये संभव है। आप देखिए हिंदुस्तान में इतने प्रधानमंत्री हुए हैं। लेकिन दो प्रधानमंत्री ऐसे हुए हैं जिनका गोत्र कांग्रेस से नहीं हैं। बाकी सबके सब प्रधानमंत्री चाहे किसी भी दल से बने हो लेकिन उनका गोत्र कांग्रेस से था। और जब पहली बार दूसरे गोत्र के व्यक्ति आए हैं तो उनकी चाल क्या होगी उनके तरीके क्या होंगे। अब उनको पता ही नहीं चल रहा क्या करें। बाकी तो उनके जाने-पहचाने चेहरे थे तो अपने रास्ते खोल देते है। अब ये मोदी एक ऐसी परंपरा से आया है जहां उनके लिए बड़ा मुश्किल है। दूसरी बात है आप मुझे बताइए क्या देश में लूट चलने देनी चाहिए। आप हैरान होंगे जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें है। वहां हमने थोड़ी मदद भी ली सबकी, उन्होंने हमारी मदद भी की। जो हमारे साथ नहीं थे वो आज भी हमारे साथ नहीं है, उनका अपना इंटरेस्ट है। करीब आठ करोड़ नाम हमने ऐसे निकाले हैं, बिल्कुल फर्जी नाम आठ करोड़ लोग जिनका जन्म ही नहीं हुआ। लेकिन सरकारी दफ्तर में वो बड़े बन गए। बेटी पैदा नहीं हुई लेकिन बड़ी हो गई। शादी हो गई विडो हो गई पेंशन मिलना शुरू हो गया। मैं समझा पा रहा हूं आपको। बच्चा पैदा नहीं हुआ, स्कूल जाना शुरू हो गया। स्कॉलरशिप मिलना शुरू हो गया। बच्चा पैदा नहीं हुआ स्कूल के माध्यम से भोजन का खर्चा लगने लग गया। आठ करोड़ लोग तो अभी तक मेरे हाथ आए हैं। अब 1.15 लाख करोड़ रकम चोरी होती थी। अब 1 लाख करोड़ रुपया करीब-करीब इसी में चोरी होती थी। जब मैं आधार लाया तो ये पैसे बच गए। अब ये किसी-ना किसी के पास तो जाते होंगे 1 लाख करोड़ों रुपये जाते होंगे कि नहीं जाते होंगे। अब मुझे बताइए मोदी के एक नियम के कारण डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर डीबीटी आधार बैंक अकांउट से एक लाख से ज्यादा रकम बच गई तो देश का लाभ हुआ कि नहीं है। जिनके नाम से जा रही थी तो वो था ही नहीं तो किसी के बिचौलिए के जेब में जाती होगी कि नहीं जाती होगी, जाती होगी कि नहीं जाती होगी। हमारी योजना योजना है डीबीटी उनकी योजना भी थी डीबीटी हमारी योजना डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, उनकी योजना है डायरेक्ट बिचौलियां ट्रांसफर। अब मुझे बताइए जो बिचौलिए के जेब में हर वर्ष लाख करोड़ रुपए जाता होगा वो मोदी ने बंद कर दिया तो मोदी-मोदी करेगा वो मोदी जिंदाबाद बोलेगा क्या? उसको मोदी से गुस्सा आएग कि नहीं आएगा.. नाराजगी करेगा कि नहीं करेगा? अब मुझे इस नाराजगी से डरना चाहिए या आप जैसे अच्छे नागरिकों की चिंता करना चाहिए? तो मैं ये कर रहा हूं। मुझे वाहवाही की चिंता नहीं है मेरे देश की वाहवाही हो जाए और पहले जो बैंगलुरू के भाई ने पूछा था कि देश मेरा कैसे डेवलप कंट्री माना जाएगा। यहीं कदम हैं, यहीं रुपए-पैसे हैं देश डेवलप बन जाएगा।
सवाल- जगन्नाथ जी के पावन धरती पर आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी का स्वागत करते हैं। भारतवर्ष का चौकीदार आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र भाई मोदी जी को मेरा प्रणाम। मैं एक किसान होने के नाते, मैं एक मछुआरा भी हूं। इस चुनाव की गर्माहट पर हम सब चौकीदार आपके साथ हैं। हम उम्मीद करते हैं फिर एक बार मोदी सरकार, फिर एक बार मोदी सरकार, फिर एक बार मोदी सरकार। वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम।
प्रधानमंत्री- जय जगन्नाथ, देखिए आपने कहा है कि चुनाव में आप क्या कर सकते हैं। सबसे पहले तो आप इतनी बड़ी तदाद में आए हैं। कितने उत्साह से भरे हुए हैं। और वो भी उड़ीसा जैसा राज्य, जहां भारतीय जनता पार्टी को लोग ज्यादा ताकतवर नहीं मानते हैं। लेकिन इस बार मैं देख रहा हूं कि इस बार उड़ीसा हिंदुस्तान को सरप्राइज कर देगा। उड़ीसा इस बार दूसरा त्रिपुरा बन जाएगा। मैं इस बार वहां हो के आया हूं। लोगों में क्या उत्साह उमंग हैं। देखिए सबसे पहले तो जो फर्स्ट टाइम वोटर है उनसे संपर्क कीजिए आप। जिनको जीवन में पहली बार वोट देने का मौका मिला है। हमारे देश में बच्चा जब स्कूल जाता है पहली बार तो आपने देखा होगा घर में एक फेस्टिवल होता है बड़ा उत्सव होता है। टिका लगाएंगे, माला पहनाएंगे, अच्छे कपड़े पहनाएंगे, रिश्तेदार इकट्ठे होंगे। सब उसको लेकर स्कूल जाएंगे। गांव के अंदर भी गरीब परिवार में भी जैसे स्कूल जाना एक फेस्टिवल होता है। हमें हमारे देश में जो पहली बार मतदाता बनता है फेस्टिवल करना चाहिए क्योंकि वो देश का एक निर्णायक नागरिक बन रहा है। देश के निर्णय में भागीदार बन रहा। पहली बार मतदाता बनना, यानी जीवन में एक बहुत बड़ा अवसर मिला एक बहुत बड़ी ताकत प्राप्त हुई है ये उसको अनुभव कराना चाहिए। अगर मेरे चौकीदार भाई देश में फर्स्ट टाइम वोटर के प्रति किसको वोट दें वो उनपर छोड़ दें। लेकिन लोकतंत्र के लिए ये बहुत आवश्यक है कि देश के फर्स्ट टाइम वोटर का मान सम्मान प्रतिष्ठा बननी चाहिए। उसको लगना चाहिए मैं उम्र के उस पड़ाव पर पहुंचा हूं कि जहां मैं हिंदुस्तान के निर्णय करने का हकदार बन गया। और दूसरा एक तरफ झूठ की फैक्ट्री चली है...रोज नए-नए झूठ प्रोडेक्ट होते हैं। सत्य पहुंचाने के लिए भरपूर प्रयास कीजिए। सत्य की जानकारी पानी है तो नरेंद्र मोदी ऐप डाउनलोड कर लीजिए। उसमें आपको तथ्यामक जानकारी उपलब्ध होगी। उस तथ्यात्मक जानकारी को आगे पहुंचाइए। आप देखिए इस चुनाव के अंदर एक हेल्दी कॉम्पटीशन में आप बहुत बड़ा कंट्रीब्यूट कर सकते हैं। एक तंदरुस्त माहौल बनाने में आप कंट्रीब्यूट कर सकते हैं और इस काम को आप करेंगे। इसी आशा के साथ उड़ीसावासियों को जय जगन्नाथ।
सवाल- नमस्कार आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी मेरा नाम किपा मिप है मैं अरुणाचल प्रदेश से हूं। सर मैं फर्स्ट टाइम वोटर हूं। इस चुनाव में फर्स्ट टाइम वोट डालने वाली हूं। आपको मैं ये पूछना चाहती हूं कि आपका अगले पांच वर्षों के लिए एजेंडा क्या है... ?
प्रधानमंत्री- अरुणाचल प्रदेश एक ऐसा प्रदेश है कि वहां देशभक्ति ऐसी लबालब भरी हुई है। आप वहां के नागरिकों को मिलेंगे तो वो आपको ग्रीट करेंगे जय हिंद से, जैसे हम लोग नमस्ते बोलते हैं, राम-राम बोलते हैं यहां पर लोग जय हिंद बोलते हैं। ऐसी देशभक्ति से भरा हुआ ये प्रदेश है और आप वहां जाएंगे तो प्रकृति तो है ही है। लेकिन वहां के लोग भी इतने शानदार है। मुझे खुशी है कि मैं कल ही अरुणाचल प्रदेश में था और इस वीडियो के माध्यम से मुझे आज अरुणाचल प्रदेश से बात करने का मौका मिला है। आपने पूछा आप फर्स्ट टाइम वोटर है और साथ में ये भी पूछ लिया कि पांच साल क्या करेंगे कि तब मैं वोट करूं… । एक तो मैं आपकी जागरुकता के लिए आपका अभिनंदन करता हूं। सबसे पहली बात है कि हम झूठी बातों से बचने का पूरा प्रयास करेंगे। वरना चुनाव आते ही झूठे वादे की ऐसी क्योंकि कुछ लोगों को मालूम है कि वो सत्ता में आने वाले नहीं हैं तो झूठे वादे करते हैं ये भी दे दो, वो भी दे दो... मुझे एक पुरानी कथा मालूम है बड़ी इंटरेस्टिंग कथा है एक संत महात्मा थे और बड़े तपस्वी माने जाते थे। उनकी अपनी एक बड़ी पहुंच थी। विदेश में किसी ने उनकी बहुत तारीफ सुनी होगी तो उसको लगा कि चलो हम भी इनको अपना गुरु बना लेंगे। तो उसने पत्र व्यवहार किया उनके चेले-चपाटे मदद कर रहे थे। वो हिंदुस्तान आया, अब वो भी बड़ा पक्का था दुनिया के कई देशों का पानी पीया हुआ था। आश्रम वालों को लगा विदेश का बड़ा धनी व्यक्ति है तो फाइव स्टार बुक कर दिया उसके लिए। और वो मंदिर वाले पेमेंट दे रहे थे और ये रहता था। अब वो गुरु बनाने के लिए आया था। गुरु की दीक्षा वगैरह विधि करनी थी... लेकिन बैठता ही नहीं था, कि भाई अच्छा नहीं है कल करेंगे। और होटल में मौज कर रहा था फिर संत समाज के लोग परेशान हो गए कि ये तो अपना खा रहा है कुछ करता नहीं है। फिर एक दिन हुआ कि ये लास्ट डे है फिर गुरु महाराज 6 महीने तक मिलने वाले नहीं है। अगर आज ही तुम्हें यज्ञ पूजा-पाठ करके बैठना है तो बैठ जाओ तो बोलता है कि ठीक है अब जाने की नौबत आई है तो चलो बैठ जाते हैं, तो बैठ गए। फिर जब गुरु मंत्र देते हैं तो गुरु ने कान में मंत्र दिया। तो चेले बोलते हैं कि अरे भई तुम्हें दक्षिणा देना चाहिए। ये हिलता ही नहीं था। बड़ा खिलाड़ी था विदेश से आया था। सारे दबाव डाल रहे थे भाई तुम्हें दक्षिणा देनी चाहिए। इतने हफ्ते से होटल में मौज कर रहा था लेकिन वो दक्षिणा देने को तैयार नहीं था। फिर वो खड़ा हुआ जाकर गुरुजी के कान में कुछ कहकर फिर बैठ गया, गुरु जी लाल-पीले हो गए। फिर उसके बाद होटल चला गया, चेलों ने पूछा अरे यार तुमने कुछ दक्षिणा नहीं दिया तो बोला कि क्या बात करते हो मैंने दक्षिणा दी है तो चेलों ने बोला क्या तो उसने कहा कि गुरुजी ने मेरे कान में कहा था कि तुम्हें मोक्ष दिया तो मैंने जाकर उनको कहा कि तुमको वॉशिंगटन और न्यूयॉर्क दे दिया, तो ये जो चुनाव में इन दिनों वायदे करने वाले लोग हैं। ये रेवड़ियां बांट रहे हैं... तो मेरी इन सब पहले मतदताओं से ये कहना है कि ये जो बातें करते हैं इनके ट्रैक रिकॉर्ड देखिए, उनके टेप रिकॉर्डर को मत सुनिए क्योंकि किसी ने उनको चाभी भरी होती थी तो वो बोलते हैं। उनका ट्रैक रिकॉर्ड देखिए। आप देखिए इस देश के पहले प्रधानमंत्री ने गरीबी के प्रति चिंता व्यक्त की थी...गरीबी दूर करने की बात कही थी। मैं 50-55 की बात कर रहा हूं, उसके बाद उनकी बेटी ने बढ़ाया। गरीबी को भी आगे बढ़ाया नारे को भी आगे बढ़ाया। उसके बाद बेटी के बेटे ने बढ़ाया, उसने भी गरीबी भी बढ़ाई और नारा भी बढ़ाया। गरीबी बढ़ती है और नारा बड़ा होता जाता है। फिर बेटी के बेटे की विडो ने रिमोर्ट कंट्रोल से देश चलाया दस साल उन्होंने भी आगे बढ़ाया। अब उनके शाहजादे आए वो भी चला रहे हैं। अगर आप ट्रैक रिकॉर्ड देखोगे, अगर चार पीढ़ी एक ही विषय को बार-बार बोलती जा रही है और करने में कुछ नहीं तब नए मतदताओं का काम है कि इस प्रकार के झूठ बोलने वालों को समझना पड़ेगा। दूसरा आपने मुझे कहा कि मैं क्या करुंगा। पहला काम तो मैंने बीच में एक सवाल पर कह दिया था कि कुछ लोगों को मैं 2014 से लेकर 2019 तक जेल के दरवाजे तक ले गया। अब अंदर ले जाने के लिए मुझे टाइम चाहिए। आपका आशीर्वाद चाहिए तो मैं आने वाले दिनों में मेरा दूसरा काम ये है कि देश को लूटने वालों के प्रति और ज्यादा कड़क होना और ज्यादा सख्ती बरतना। देश को फाइव ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के क्लब में ले जाना है। एक बहुत बड़ी आर्थिक ताकत बनना है। देश की शिक्षा को ग्लोबल बेंच मार्क से जोड़ने के दिशा में कदम उठाने हैं। हमने पिछले पांच साल में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए और एक महत्वूर्ण बात है कि पिछले पांच साल मैं जब आया तो मैंने कहा था कि मैंने यहां इतने गड्ढे देखे हैं। पूरे अर्थतंत्र में व्यवस्था तंत्र में सब जगह पर मेरे पांच साल गड्ढे भरने में गए हैं। अब आने पांच साल उसको भव्य इमारत बनाने की दिशा में मुझे जाना है। दूसरा गत पांच वर्ष आवश्यकताओं को पूरा करने को मैंने प्राथमिकता दी है। टॉयलेट नहीं उनको टॉयलेट दो, बिजली नहीं वहां बिजली दो... गांव में रास्ता नहीं है वहां रास्ता दो, पानी नहीं है तो वहां पानी पहुंचाओ, रोड नहीं रेल नहीं बस नहीं, एयरपोर्ट नहीं। जिसको-जिसकी आवश्यकताएं उसको पूरा करने का भरसक प्रयास किया है। पांच साल मेरा आवश्यकताओं की पूर्ति करने का बल देने वाला था। उसमें जो कमी रह गई है, उसको पूरा करना है। लेकिन अगले पांच वर्ष मेरा फोकस आंकक्षाओं को पूर्ण करने का है। एस्पिरेशन्स को पूर्ण करना है। आपके ड्रीम को एड्रेस करना है और इसलिए पांच साल मेरी पूरी ताकत जो कमियां तो थी उसको दूर करना, जो बुराइयां थी उससे लड़ना, जो तत्कालीन आवश्यकताएं हैं उसे पूर्ण करना। उसमे मैंने पूरी शक्ति लगाई है और नेक्स्ट फाइव ईयर्स जो आंकक्षाएं है जो एक्सप्रेशन हैं उस एक्सप्रेशन को एड्रेस करने के लिए है। और मुझे विश्वास है कि इस रास्ते पर देश को नई उंचाई पर ले जाएंगे। 2022 भारत की आजादी के 75 साल होंगे और मैंने डेट वाइज बताया है कि इधर-उधर की बात नहीं है। 2022 भारत की आजादी के 75 साल होंगे। हिंदुस्तान में एक भी परिवार ऐसा नहीं होगा। जिसके पास रहने के लिए पक्का घर ना हो। 2022 आजादी के 75 साल होंगे मेरा सपना है कि हिंदुस्तान के किसान की आय दोगुना हो। 5 ट्रिलियन डॉलर इकॉनमी बैंक में जाना है तो इसके मूलभूत ये पहलू है जिस पर बल देना है। ऐसे अनेक सपने को लेकर हम चलें हैं और उन सपनों को पूरा करने के लिए हम चले हैं। आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद, देश भर में सभी वरिष्ठ नेता भी समय निकाल कर के आए। इस कार्यक्रम में जान भर दी और चौकीदार स्पिरिट को हमने आगे बढ़ाना है। हर क्षेत्र में हर जिम्मेदारी को एक चौकीदार की भांति निभाना है और मुझे विश्वास है कि एक मतदाता के रुप में भी एक मजबूत सरकार बनाने की चौकीदारी भी आप करेंगे। और देश को नई उंचाई पर ले जाने में आप पूरा सहयोग करेंगे। मैं फिर से एक बार आपके सहयोग के लिए इस उमंग और उत्साह के लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। मेरे साथ बोलेंगे? गांव गांव में चौकीदार। गली-गली में चौकीदार। हर घर में चौकीदार। गांव-गांव में चौकीदार। गली-गली में चौकीदार। शहर-शहर में चौकीदार। ऑफिस में भी चौकीदार। घर में भी चौकीदार। गांव में भी चौकीदार। अनपढ़ भी चौकीदार। पढ़ा-लिखा भी चौकीदार। देश-दुनिया में भी चौकीदार। चौकीदारी का मंत्र लेकर चलें, बहुत-बहुत धन्यवाद।