Text of PM's address at 86th ICAR Foundation Day

Published By : Admin | July 30, 2014 | 16:32 IST

मंत्री परिषद के मेरे साथी श्री राधा मोहन सिंह जी, डाक्टर संजय जी, मंच पर विराजमान सभी महानुभाव, और कृषि और विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े हुए सभी तपस्वीजन.


हम standing ovation उन महानुभावों को दें, जिन्होने आज award भी प्राप्त किया है, और देश में इस प्रकार की गतिविधि से जुड़े हुए हैं.जिनका सम्मान करने का मुझे सौभाग्य मिला है.उन सबको मैं हृदय से अभिनंदन करता हूँ.

अयप्पन जी को मैं सुन रहा था, superfast train चल रही थी. इसी तेज गति से कृषि विकास भी होगा, ऐसा मुझे भरोसा है. जब उन्होने सबको standing ovation के लिए खड़ा किया तो ये कला मेरे ध्यान में आ गयी की लंबी देर तक सुनते समय नींद आ जाती है. तो बीच बीच में standing ovation अच्छा रहता है. लेकिन मैने standing ovation इसके लिए नहीं करवाया था - मैं हृदय से मानता हूँ की देश के कोटि-कोटि किसानों ने भारत के भाग्य को बदलने में बहुत बड़ा योगदान दिया है.

और इसी लिए वैज्ञानिक कितनी ही खोज क्यों न करें, लेकिन अगर उसपर भरोसा करके किसान अपना एक साल खपा नही देता हैं, दो साल खपा नही देता है, तो सिद्धि संभव नही होती है. कभी lab में, कभी छोटी-सी प्रायोगिक व्यवस्था में, सिद्धि प्राप्त करने में expert को सफलता मिल जाती है, लेकिन जब तक उसका सरलीकरण नहीं हो, जाता, सामान्य किसान को पल्ले पड़े, भाषा, परिभाषा और प्रयोगों से उसे जोड़ा नहीं जाता है, तब तक इसका व्याप्त बढ़ता नहीं है.

हमारे देश में कृषि ज़्यादातर पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत में दी जाती है. और इसमें परंपराओं को बदलने का साहस बहुत कम लोग रखते हैं. जब तक उसको ये भरोसा ना हो, हाँ भाई, ‘this is the way, ये कुछ होगा, और इसके लिए भी दो, चार, पाँच साल तक सोचता रहता है, क्योंकि उसे मालूम है, कहीं मैं प्रयोग कर गया और मेरी जिंदगी अटक गयी तो क्या होगा, वो हिम्मत नहीं करता. और इसलिए भारत के विज्ञान जगत को, और ख़ास करके कृषि क्षेत्र में अनुसंधान करने वाले महानुभावों के सामने, सरकार के सामने, सामान्य किसान समुदाय के सामने, ये नितांत आवश्यक है के हम बदलते हुए युग में, बदलते हुए परिवेश में, climate change के माहौल में और वैज्ञानिकों के द्वारा किए गये संशोधनो के मध्यम से, progressive farmers के द्वारा किए गये प्रयोगों के मध्यम से ,बदलते हुए climatic zones …. Climatic zones ही बदल रहें हैं हमारे सारे …. … agro-climatic zones जो पहले बनाएँ होंगें आज शायद agro-climatic zones में काफ़ी बदलाव आ रहा है,… उन सारे पाश्र्वभूमि में, हमारा किसान भरोसा करके प्रयोग करने की हिम्मत करे, और इस दिशा में हम कैसे आगे बढ़ें ?

आज इस अनुसंधान केंद्र को 86 साल हो गये. मैं चाहूँगा की आप सब मिलकर के, इसका शताब्दी वर्ष कैसे मनाया जाए उसका planning आज ही करें. और institutional celebration planning नहीं, हम इस अनुसंधान के मध्यम से किसानों तक कैसे पहुचेगें, किन- किन विषयों में पहुँचेगें, किन किन बातों में हम कोई goal set करके acheive करेंगें. और सारी franternity ,all the universities, all the agricultural colleges, इस शताब्दी के साथ research के नये आयाम और उनके साथ सामान्य किसान को जोड़ने का प्रयास, इस दिशा में हम कुछ goal तय करके आनेवाले 14-15 साल जो भी हमें मिलते हैं, और एक century का mission goal बना करके, मैं समझता हूँ , शायद हम 86 साल में जितना कर पाए हैं उसे ज़्यादा 14 साल में कर सकतें हैं. क्योंकि अब ,86 साल पहले हमारी ताक़त थी, 86 साल में वो ताक़त सैंकड़ों गुणा ज़यादा है. विज्ञान ने भी भारी प्रगति की है, वैश्विक संबंधों का वातावरण भी, ज्ञान का आदान-प्रदान भी, बहुत तेज़ी से हुआ हैं, और इसलिए हम अगर ये goal ले कर चलें तो हम कुछ कर सकतें हैं.

हमारे देश के सामने, क्‍योंकि यह सारी जो हमारी मेहनत है, उसमें हमे दो चीज़ों को सिद्ध करना है – एक, हमारा किसान, देश और दुनिया का पेट भरने में सामर्थ्यवान हो, और दूसरा, हमारी कृषि, किसान का जेब भरने में सामर्थ्यवान हो. दुनिया का पेट तो भरे लेकिन किसान की अगर जेब नही भरेगी तो शायद हम जो चाहते हैं उन स्थितियों को प्राप्त नहीं कर सकते. हमारी दिशा, हमारी योजना, उस तरफ कैसे रहे?

हमारी ज़मीन तो बढ़ने वाली नहीं है, परिवार बढ़ते चले जा रहें हैं, माँग बढ़ती चली जा रही है. और इस समय हमें उन challenges को address करना पड़ेगा, और हमारा focus, soil fertility. हमारी soil में सदियों पहले, ज़मीन को सुधारने के प्रयोग होते थे, ऐसा नहीं है की आज ही हो रहे हैं. लेकिन समय के अभाव से आर्थिक दौड़ में किसान अब वो समय नहीं देता है. ज़मीन सुधार के लिए बीच में time देना चाहिए, कुछ प्रक्रियाएँ करनी चाहिए, उसको जानकारी है, लेकिन वो कर नही पता है. तब वैज्ञानिक intervention आवश्यक हो जाता है. उसकी परंपराएँ, पद्यतियाँ, scientific intervention, दोनो की जोड़ करके हम हमारी ज़मीन की fertility के संबंध में, कोई निश्चित goal के साथ कैसे आगे बढ़ सकतें हैं? क्योंकि हमारे सामने आवश्यक हैं - प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाए बिना हमारा कोई चारा ही नहीं हैं. उसी प्रकार से, जो फसल 45 दिन में होती है वो फसल 35 दिन में कैसे हो. वो कौन सी वैज्ञानिक पद्यतियाँ हों , किस प्रकार का time frame हो, और फिर भी quality erosion ना हो. जैसे मूँग में प्रयोग हुआ है, कुछ time तो बचा, लेकिन उसकी साइज़ बदल दी गयी है, साइज़ छोटी कर दी गयी है. और जब साइज़ छोटी होती है, तो मार्केट गिर जाता है, क्योंकि सामान्य मानव ने… मूँग की एक साइज़ set है उसके मन में ,एक छवि तैयार है … उसी में अगर आँखफेर हो गया तो? उसके मन में जो रहता है ठीक है .. उससे अगर थोड़ा इधर- उधर हो गया तो, उसके मन में रहता है अरे भाई शायद ये अच्छा नहीं होगा, और इसलिए quality erosion ना हो, उसके बावजूद भी productivity बढ़ाएँ और time reduce हो. इसपर हम कैसे काम कर सकतें हैं?

हम जानते हैं की विश्व के सामने पानी का संकट है, water-cycle, weather-cycle, दोनो के बीच में clash हो रहा है, contradiction खड़ी हो गयी है. अब हमारे सामने challenge है, इस weather-cycle के साथ, हमारे water-cycle का scientific management हमकैसे करें. हम नये-नये तरीके से उससे कैसे जोड़ें. चाहे rain harvesting हो, या जल संचय के नये-नये अभियान हों, और हम जन सामान्य को जल संचय के बारें में जितना जागरूक बनाएँगें, जितना भागीदार बनाएँगे, उतना ही फ़ायदा मिलेगा.

Global warming, environment के five star hotel में होने वाले seminar अपनी जगह है, उसका भी एक positive है, लेकिन आख़िर तो ये काम करने वाला सामान्य मानव है. उसके मन में ये भाव कैसे जगे और जब तक ये विश्वास पैदा नहीं होता, की ये पानी परमात्मा का दिया हुआ प्रसाद है. आज जब हम मंदिर में जातें हैं … प्रसाद का एक दाना नीचे ना गिर जाए, इतनी care करते हैं, बहुत सजग रहते हैं कि प्रसाद है, गिरना नहीं चाहिए. ये पानी भी परमात्मा का प्रसाद है, एक बूँद भी बर्बाद नहीं होनी चाहिए …. ये भाव सामान्य व्यक्ति तक कैसे पहुँचे. जब साबरमती नदी लबालब भारी रहती थी, पानी भरपूर बहता था, महात्मा गाँधी साबरमती आश्रम में रहते थे … 1930 का वो कालखंड था … 30 के पहले का कालखंड था, लेकिन कोई अगर, पानी का पूरा ग्लास देता था, तो बापू कहते थे, आधा पीना है, आधा ही ले आओ … आधा पानी वापस करो, पानी बर्बाद मत करो. सामने नदी थी लबालब पानी से भरी थी, लेकिन वो, एक घूँट भी पानी बर्बाद होने से उन्हें पीड़ा हो जाती. ये level of consciousness और ultimately , common man का ये level of consciousness जितना बढ़ता है, उतनी ही success की संभावनाएँ बढ़ती हैं. और इसलिए हम उस दिशा में कैसे आगे बढ़ें.

'per drop more crop', ये हमारा mission statement हो सकता हैI जैसे कम ज़मीन, कम समय, ज़यादा ऊपज …. ‘per drop more crop’ ….. किसान का पेट भी भरे, और किसान को जेब भी भरे. कम भूमि में ज़यादा ऊपज हो.

इसी के साथ हमारी animal husbandry, हमारे पास जितनी मात्रा में पशु हैं, उसकी तुलना में दूध बहुत कम है. दूध की माँग ज़यादा है …… requirement भी ज़यादा है. हमारे पशु ज़्यादा दूध उत्पादन करें, यह हमारे लिए एक सहज, सरल प्रक्रिया होनी चाहिए. ये एक सहज, सामान्य, व्यवस्था का हिस्सा बनाना चाहिए. ऐसा नहीं कि universities , labs, veterinary colleges ने काम नहीं किया है, लेकिन जब तक ये काम, जो पशु-पालक है, उस तक नहीं पहुँचता है, तब तक हमें परिणाम नहीं मिलता. सारे विश्व में ये जो बदलाव आया है, वो scientific intervention से आया है. technology upgradation, और technology के involvement से आया है. हम जब तक उस दिशा में नहीं जातें, हम देश और दुनिया की माँग की पूर्ति के लिए, असक्षम महसूस करेंगे. स्थिति ऐसी है, माँग बहुत बढ़ी है, और ये हमारे लिए तो opportunity है. उस opportunity को कैसे भरें?

हमारे सामने एक सबसे बड़ा challenge है, ‘lab- to- land’, जो lab में है वो land पर कैसे आए, जो universities में है, वो कृषक के पास कैसे पहुचे? जो श्रधा universities के lab में बैठकर एक scientist को है, वो श्रधा एक कृषक के मन मैं कैसे आए? और उसके लिए progressive farmers …. यही हमारी सबसे बड़ी agency होती है. progressive farmer, mentally risk लेने के लिए तैयार होता है … उसके DNA में होता है ये. वो चाहता है, चलो मैं करूँगा . लेकिन ये हमारा कोई संबंध है क्या?

Universities के पास और agricultural colleges के पास अपने इलाक़े के progressive farmers, उनकी expertise, 35 age group के अच्छे पढ़े लिखे farmers, इनका कोई data है क्या? जो पढ़े लिखे हैं, young हैं, progressive हैं, क्या agricultural universities अपने इलाक़े के दो सौ, चार सौ , गाँवों के ऐसे लोग को एक information-bank बना सकता है? एक talent-pool बना सकता है ….they are a real talent …. talent pool बना सकता है क्या? और उस talent-pool के लोगों को address करके, उनके मध्यम से dissemination कार्यक्रम बना सकतें हैं क्या?

हमारे agricultural colleges जो हैं, उस इकाई को एक nodal agency मान कर, कम से कम हम, हिन्दुस्तान के 500-600 districts में आराम से अपना network खड़ा कर सकतें हैं. हमारे तो अनुसंधान होते रहें हैं, हमारी universities हैं, हमारी colleges हैं, और students है, और फिर एक identity है …. उन सबकी एक chain बना करके एक व्यवस्था करी जाए, और एक timeframe पर काम कैसे हो? और एक सहज प्रक्रिया के रूप में कैसे हो?

जितने हमारे agricultural colleges हैं, उनका अपना कोई radio station हो सकता है? Agricultural colleges का radio station है. और मैं इसलिए कहता हूँ agricultural colleges का radio station …. क्योंकि किसान radio बहुत सुनता है.

agriculture college जहां है, उसको उस इलाके की कृषि का पता है। वहां कॉलेज के students को भी --- ज़्यादातर उसी परिवार के बच्चे हैं जो कृषि क्षेत्र से आते हैं। वो परम्परा से भी जानता है। agricultural radio - कॉलेज चलाये, आजकल रेडियो के लिए यह सुविधा है, permission मिलती है। इन-हाउस students को काम दिया जाए - research करो और रेडियो पर आ कर talk दो। एक सहज रूप से ऐसी प्रक्रिया बन सकती है। हमारे agricultural colleges रेडियो के माध्यम से लगातार किसानों को उसी इलाके के किसानों की समस्या - बारिश देर से आये तो क्या करना है, बारिश कम आयी तो क्या करना है, फलाने प्रकार का रोग नज़र आ रहा है तो क्या करना है ? आप देखिये। अरबों खरबों रुपयों के investment से बनी हुई मीडिया वर्ल्ड के सामने एक कॉलेज के बच्चोँ के द्वारा चलाया गया किसान के उपयोग का कार्यक्रम ज़्यादा ताक़तवर होगा, credible होगा, popular होगा.

हम इस बदलाव की दिशा में जाने को तैयार हैं क्या? अगर हम बदलाव की दिशा में जाने को तैयार हैं तो हम बहुत कुछ दे सकते हैं.

ऐसा नहीं है कि हमारे students ने कोई research नहीं किया, creative काम नहीं किया है। क्या हम तय कर सकते हैं - within 4-5 years - सभी universities में अब तक agriculture में जितनी भी research हुई है, चाहे PhD हुआ हो या research paper लिखा गया हो - उन सब को digital करके compile कर सकतें हैं. पूरे हिन्दुस्तान में हमारे नौजवानो ने क्या research किया है , अगर मान लीजिए किसी ने गेहूँ पर research किया है, देश की 25 universities में 200 के करीब छात्रों ने पिछले 50 साल में research किया होगा, आज वो खजाना कहाँ पर है? क्या किसी ने इक्कठा करके दोबारा उसे देखा है, किसी university ने देखा है, की पिछले 50 साल में इस-इस प्रकार के research हुए. इन 50 साल के research को compile करके, पूरा एक digital platform तैयार हो सकता है. PhD कर ली नौकरी कर ली, retire भी हो गये, कहने के लिए हो गया कि बचपन में PhD कर ली थी.

देश को क्या मिला ? और उसका कारण है, हम चीज़ों को उसकी मलकियत बना देते हैं, जो राष्ट्र की धरोहर है. उस गौरव गान के साथ उसे जोड़ते नहीं हैं.

मैं वो चीज़ें बता रहा हूँ आपको , जिसके लिए कोई बहुत बड़ा बजट नहीं लगता है. बहुत बड़ा एकदम कोई सूर्य-चंद्र पर से विज्ञान उतारने की ज़रूरत नही पड़ती, सहज व्यवहार की बातें हैं. और आप देखिए, ये ताक़त इतनी बढ जाएगी… 

आज भी हमारे यहाँ pulses and oilseeds बहुत बड़े challenge हैं . Pulses का उत्पादन - जिसमें प्रोटीन content, ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति के लिए प्रोटीन का source ही , उस ग़रीब आदमी का भला करना है तो उसे वो pulses मिलें , प्रोटीन जिसमे ज़्यादा हो. ताकि उसकी जिंदगी में वो काम आए, हम उसको priority दे सकतें हैं. Oilseeds, भारत कृषि प्रधान देश है, और हमे तेल बाहर से मंगवाना पड़ता है. अगर लाल बहादुर शास्त्री कहें 'जय जवान, जय किसान', और हिन्दुस्तान का किसान खड़ा हो जाए, हिन्दुस्तान का पेट भरने के लिए सामर्थ्य पैदा कर दे, तो क्या हमारे हिन्दुस्तान के किसान के सामने ये challenge नही रख सकते कि हमें कुछ करना है ? खाने का तेल हम बाहर से नहीं लाएँगे. आइए हम सब मिलकर मेहनत करें. देश की आवश्यकतायें हैं, और ये उन आवश्यकतयों की पूर्ति के लिए उठाए गये कदम हैं. हम goal set कर सकतें हैं, goal achieve कर सकतें हैं क्या ? जब तक हम सामान्य मानव की और देश की आवश्यकतयों का अनुसंधान नहीं करते, design strategy workout नहीं करते, resource mobilise नहीं करते, और उसके अनुसार human resource को develop करने की कोशिश नहीं करते, हमें जो चाहिए वो परिणाम प्राप्त नहीं कर सकतें. और इसलिए मैं आज ,जो इस प्रकार के प्रमुख लोग यहाँ बैठे हैं, "नही होता है" उसका analysis छोड़ कर, "कैसे हो" उसका analysis करना है. इसपर हम कैसे काम कर सकते हैं.

Blue revolution. भारत के तिरंगे झंडे में हम White revolution की बात करतें हैं, Green revolution की बात करतें हैं, लेकिन जो blue colour का अशोक चक्र है उसको भी देखने की ज़रूरत है. और वो blue revolution है हमारी सामुद्रिक संपत्ति. Fisheries, उसके क्षेत्र में development, बहुत बड़ा global market पड़ा हुआ है. हमारे fisherman की जिंदगी बदले. बहुत प्रकार की बातें हो रहीं हैं, fisheries में एक बहुत बड़ा क्षेत्र खुल गया है, अब मोती का खेती हो रही है. बहुत बड़ा काम हो रहा है, हमारी science faculty, हमारे मछुआरे, और हमारे समुद्र तट पर रहने वाले नागरिक, seaweed की खेती, scientific ढंग से कैसे हो, seaweed इन दिनों Pharmaceutical world के लिए सबसे बड़ा raw material input है, global market है seaweed का. पर हमारे समुद्र तट पर हम seaweed की खेती का उतना साहस नहीं कर पा रहे. और seaweed में भी इतनी variety है, और इतना potential है उसके अंदर ,seaweed मनुष्य के काम आए या ना आए, ऐसे ही crush करके उसका रस खेत में छींट दिया जाए तो खेती के लिए वो बहुत बड़ी दवाई, और fertilizer दोनो का काम कर देता है.

क्या कारण है की हिमालय हमारे पास हो और चीन के पास भी हिमालय का कुछ भाग हो, चीन Herbal medicine में बहुत आगे है, और हम medicinal plants के संबंध में धीरे धीरे चिंता के क्षेत्र में चले जाएँ. Medicinal plants के क्षेत्र में हमारी कोशिश क्या है, हम क्या नया दें सकतें हैं, हमारे medicinal plants का maximum utilisation कैसे हो. Pharmaceutical industry, Pharmaceutical department और Agriculture department and research institution, ये चार मिल करके, इस विषय में क्या कर सकतें हैं?

मैं समझता हूँ इतना सारा बड़ा, sky is the limit, इस प्रकार का क्षेत्र हमारे सामने खुला पड़ा है, अगर हम सब मिलकर इस नयी सोच के साथ इस दिशा में आगे बढ़ें, हम आनेवाले दिनो में ना सिर्फ़ भारत को बल्कि विश्व को बहुत कुछ दें सकतें हैं.

जिन महानुभावों ने इस काम में योगदान दिया है, उनका अभिनंदन करने का मुझे अवसर मिला. इसके लिए मैं उन्हे बहुत बहुत बधाई देता हूँ. मुझे आप सबके बीच आने का अवसर मिला, मेरा सौभाग्य है, मेरी बहुत बहुत सुभकामनायें हैं.

बहुत बहुत धन्यवाद.

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भारत माता की जय,

भारत माता की जय।

मंदार पर्वत// माता जोगिनी // और बाबा बैजनाथ की इस पावन भूमि// मा आप सभी को...जय जोहार। की हाल चाल छै ?

मैं झारखंड में जहां-जहां गया हूं। हर एक रैली अगली रैली का रिकॉर्ड तोड़ देती है। आज जो मैं देख रहा हूं, ये अद्भुत दृश्य है। जिनको राजनीति का हिसाब-किताब करना, ये जिनका कारोबार है, इतना इधर जाएगा तो ये होगा, उधर जाएगा तो ये होगा, ऊपर जाएगा तो ये होगा। इन सबको मैं कह रहा हूं, मेहनत मत करो यार, जरा एक बार झारखंड में चक्कर लगा लो, नतीजा क्या आएगा, पता चल जाएगा।

साथियों,

आपको लगता होगा कि आज मोदी जी क्यों आए हैं। क्या मैं आपसे वोट मांगने आया हूं? आपका प्यार इतना है, आपके आशीर्वाद इतने हैं कि वो तो आप मेरी झोली भर ही देते हैं। लेकिन मैं आज आपको निमंत्रण देने आया हूं। न्योता देने आया हूं। 23 तारीख को चुनाव के नतीजे के बाद बीजेपी-एनडीए सरकार का शपथ समारोह होगा। मैं आप सबको न्योता देने आया हूं उस शपथ समारोह के लिए।

साथियों,

आने वाले नेमान पर्व की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं ! आज झारखंड में पहले चरण का मतदान हो रहा है। बड़ी संख्या में लोग गाजे-बाजे के साथ, एक लोकतंत्र का उत्सव मनाते हुए जुलूस निकाल रहे हैं। एक-एक पोलिंग बूथ में 10-12 जुलूस निकल रहे हैं और लोग थाली बजाते, घंटी बजाते, गीत गाते-गाते लोकतंत्र का उत्सव मनाने के लिए मतदान करने के लिए निकल पड़े हैं। सुबह से लंबी-लंबी कतारें लग गईं। साथियों, ये खबर ही अपने आप में ताकतवर खबर है। और इसलिए मैं एडवांस में झारखंड के लोगों का आभार भी व्यक्त कर देता हूं। आपके इस समर्थन के लिए, आपके इस प्यार के लिए। और यहां मैं देख रहा हूं हैं, इतनी ही बड़ी संख्या में यहां आपका आना, हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आप आए, ये दिखाता है कि झारखंड के लोग जेएमएम सरकार को हटाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं। और मुझे तो लगता है कि झारखंड का मिजाज इस बार जेएमएम-कांग्रेस की सरकार हटाना, इतना ही नहीं है, इस बार झारखंड का मिजाज उनको कड़ी से कड़ी चुनावी सजा देने का मूड दिखता है मुझे। साथियों, जन-जन में, मन-मन में हर कोने में गांव हो, शहर हो, पहाड़ हो, जंगल हो, पढ़े-लिखे लोग हों, अनपढ़ लोग हों, व्यापारी हो, दुकानदार हो, मजदूर हो, माता हो, बहन हो, नौजवान हो, सब ओर एक ही आवाज गूंज रही है, एक ही आवाज गूंज रही है- रोटी, बेटी और माटी की पुकार, झारखंड में भाजपा-NDA सरकार। रोटी, बेटी और माटी की पुकार...।

साथियों,

गोड्डा की ये भूमि, शक्ति की भूमि है, मां योगिनी की भूमि है। हृदय पीठ भी यहां से ज्यादा दूर नहीं है। शक्ति की इस धरती से मैं झारखंड की माताओं-बहनों का आभार व्यक्त करना चाहता हूं। हमारी सरकार जब भी कोई बड़ी नीति बनाती है या कोई बड़े फैसले लेती है, तो झारखंड की माताओं-बहनों-बेटियों के भी बहुत से आशीर्वाद मिलते हैं। गोड्डा, साहिबगंज और पाकुड़ से भी अनेकों ऐसे आशीर्वाद मिलते रहते हैं। बीते कुछ सालों से यहां की बहनें मुझे लगातार एक बात जरूर बताती है। वे बताती हैं, मोदी जी आप हमारे लिए जो योजनाएं लाते हैं। यहां JMM-RJD और कांग्रेस वाले उनको लूट लेते हैं।

साथियों,

मैंने झारखंड की लाखों बहनों के नाम से पक्के घर देने के लिए पैसा दिया है। वो पैसा मैं सीधे बहनों के खाते में भेजता हूं। लेकिन यहां की सरकार ये पक्का घर आपको मिलने नहीं दे रही है। ये अपनी ही कोई फर्ज़ी स्कीम लेकर आई ताकि उसमें इनके लोगों को कट-कमीशन मिले। इन्होंने यही किया है। मैं आप सभी की परेशानी जानता हूं। आपको बालू नहीं मिलती, गिट्टी नहीं मिलती। ये सबकुछ JMM-कांग्रेस-RJD के लोग बेच कर खा जाते हैं। मैंने पूरे देश की बहनों के लिए घर पर ही अपना नल लगाने की योजना शुरू की। जहां भाजपा-NDA की सरकार है, वहां तो धड़ा-धड़ नल लग रहे हैं। लोगों के घर में पानी पहुंच रहा है। गोड्डा-साहिबगंज की बहनों के घर में नल के लिए भी हमने दिल्ली से पैसा भेजा। लेकिन आपके घर में नल लगा ही नहीं। आपके नल का पैसा भी JMM-कांग्रेस-RJD के लोगों ने हड़प लिया, खा लिया।

साथियों,

यहां की हमारी गांव की, गरीब, आदिवासी, दलित-पिछड़े, हमारे वंचित परिवार की बहनें, उनका चूल्हा जलता रहे, कोई गरीब बच्चा भूखा सो न जाए, इसके लिए मैंने मुफ्त चावल की योजना शुरु की। लेकिन बहनें बताती हैं कि इन्होंने चावल वाली योजना भी नहीं छोड़ा। थाली में भी ये चोरी करना छोड़ते नहीं हैं। और ये लूट का पैसा जा कहां रहा है? ये वही पैसा है जो नोटों के पहाड़ के रूप में हमने टीवी पर देखा है। आप मुझे बताइए, JMM-कांग्रेस को रत्तीभर भी पछतावा होता क्या? इतने सारे रुपये पकड़े जा रहे और जो नहीं पकड़े गए वो तो कहीं दबे पड़े होंगे। वो मैं बाद में हिसाब करने वाला हूं उनका। लेकिन थोड़ा सा भी पछतावा होता कि इतनी चोरी पकड़ी गई, जरा मुंडी नीचे करके जरा अच्छी बात बोलते। ये माफी तो नहीं मांगेंगे, मुझे मालूम है। वो आपके सामने अपने इस पाप के लिए शर्मिंदगी भी महसूस नहीं करेंगे। नोटों के पहाड़, और वो वाला नेता जो जेल गया। देखिए नोटों के पहाड़ वाला नेता जो जेल गया उसके परिवार के सदस्य को ही इन्होंने टिकट दे दिया। मतलब चोरी करने को सर्टिफाई कर दिया। और यह सिर्फ टिकट दिया ऐसा नहीं है वह आपके घाव पर नमक छिड़कने का काम किया है। सीधी-सीधी झारखंड के लोगों को चुनौती है, हमारी आदिवासी माताओं बहनों को चुनौती है। ये सोचते हैं कि JMM-कांग्रेस कुछ भी करें, इनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।

मेरे प्यारे भाई-बहनों

झारखंड के भाई-बहनों इनके इस अहंकार को तोड़ना है, इनके इस भ्रम को तोड़ना है। अरे ये लोकतंत्र है, हम मालिक नहीं हैं, मालिक आप हैं। माताओं-बहनों, आप लिख लीजिए, जो अभी झौंपड़ी में रहता है, ऐसे हर परिवार को भाजपा-NDA सरकार पक्का घर देगी। ये मोदी की गारंटी है। झारखंड में गरीब को पक्का घर भी मिलेगा, उसमें पानी का नल भी मिलेगा, और मुफ्त गैस कनेक्शन भी मिलेगा। मैं तो हर बहन के घर का बिजली बिल, ये जो बिजली का बिल होता है ना, आप सबको मैं कहता हूं मेरी कोशिश है कि आज जो बिजली का बिल आता है, आप सोचते हैं यार कैसे रहेंगे, चलो इस बार यह कट करें और पैसे दे दे वरना बिजली कट हो जाएगी। अब मोदी क्या करने वाला है मालूम है, आपका बिजली का बिल जीरो। अब आपको लगेगा मोदी जादू कहां से करेगा, ये जादू नहीं है। हम हर घर को करीब पौने लाख रुपया यानी 75 से 80 हजार रुपया उनको सोलार पैनल लगाने के लिए देंगे। उससे बिजली पैदा होगी, आपकी बिजली तो जीरो बिल वाली, लेकिन अगर ज्यादा बिजली हो गई, आपकी जरूरत से ज्यादा बिजली है तो सरकार आपकी बिजली खरीदेगी। पहले आप सरकार को पैसे देते थे, अब सरकार आपको पैसे देगी, ये काम मोदी कर रहा है। ये हर परिवार उसमें अभी रजिस्ट्री करवा रहे हैं, काम चल रहा है। और इससे मुफ्त बिजली भी मिलेगी और ज्यादा बिजली पैदा हुई तो सरकार उसे खरीदकर आपको पैसे भी देगी, आप कमाई करेंगे।

साथियों,

भाजपा सरकार की पहचान है, हम आपके लिए जीते हैं, हम आपके बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए मर मिटते हैं, दिन-रात काम करते हैं और इसलिए जो कहते हैं वो करने के लिए कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखते हैं। अभी ओडिशा में भाजपा ने सुभद्रा योजना घोषित की थी चुनाव के पहले। और छत्तीसगढ़ में महतारी वंदन योजना की घोषणा की थी। आज मुझे आपको ये हिसाब देते हुए आनंद हो रहा है, मैं अपना रिपोर्ट कार्ड दे रहा हूं कि हमारी उड़ीसा की सरकार ने और छत्तीसगढ़ की सरकार ने सरकार बनते ही माताओं-बहनों के लिए जो योजना बनाई थी सीधे उनके खाते में पैसा जमा करने की, वह योजना लागू हो गई, पैसे उनके खाते में जमा हो गए। अब झारखंड भाजपा ने गोगो दीदी योजना शुरु करने की गारंटी दी है। यहां भाजपा-NDA सरकार बनते ही, हर महीने हजारों रुपए बहनों के खाते में आना शुरू हो जाएंगे।

साथियों,

पहले कांग्रेस, फिर आरजेडी और JMM, इन दलों ने इस क्षेत्र में लंबे समय तक राज किया है। लेकिन आपको इन्होंने क्या दिया है? इन्होंने संथाल परगना को सिर्फ पलायन दिया है, गरीबी दी है, बेरोज़गारी दी है। खुद मुख्यमंत्री इसी क्षेत्र से चुनाव लड़ते हैं। लेकिन यहां के लोगों को काम के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है। भारत में रेलवे को डेढ़ सौ साल से ज्यादा का समय हो चुका है। लेकिन गोड्डा में आजादी के 75 साल बाद भी रेल नहीं पहुंच पाई थी। गोड्डा में रेल तब पहुंची, जब आपने मोदी पर भरोसा किया। अब यहां से दर्जनभर से अधिक ट्रेनें चलती हैं। मैं तो बाबा विश्वनाथ की काशी का सांसद हूं। काशी के लोगों ने चुन करके एमपी बनाया है और आप सबने मिलकर के मुझे पीएम बनाया है। और आज जब मैं आपके बीच आया हूं तो मैं गर्व से कह सकता हूं कि अब आप बाबा बैधनाथ के दर्शन करके वंदे भारत ट्रेन में बैठ के सीधे बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने जा सकते हैं। एक दिन में दो-दो ज्योतिर्लिंग।

साथियों,

भाजपा-NDA सरकार, इस क्षेत्र में उद्योगों को भी बढ़ावा दे रही है। यहां बिजली के कारखाने लगे हैं। यहां सीमेंट के कारखाने लगे हैं। यहां बड़ी संख्या में रोजगार मिले हैं। साहिबगंज में एक बहुत बड़ा मल्टीमोडल टर्मिनल बना है। इससे यहां नए उद्योगों को बल मिलेगा। JMM-कांग्रेस वालों का उद्योगों का दूर-दूर तक नाता नहीं है। उनका एक ही उद्योग है पेपरलीक उद्योग, उनका उद्योग है माफिया राज फैलाना। उनको माफिया राज फैलाना आता है। ये लोग पेपर लीक माफिया पैदा करते हैं। ये सरकारी भर्ती में घूस और ट्रांस्फर-पोस्टिंग का कारोबार करते हैं। आप चाहते हैं ना ऐसे भ्रष्ट्चारियों को कड़ी सजा मिले? सजा मिलनी चाहिए ना? जरा जोर से बताइए, कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ना? कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए ना? आप भाजपा-NDA सरकार बनाइए, युवाओं का भविष्य बर्बाद करने वालों को पाताल से भी खोजकर लाया जाएगा। झारखंड भाजपा ने लाखों युवाओं को सरकारी नौकरी का वादा किया है। हमारे बेटे-बेटियों को अच्छी शिक्षा और भत्ते का वादा किया है। ये सारे वादे भाजपा-एनडीए सरकार जरूर पूरे करेगी। संथाल-परगना की पहचान, पलायन से नहीं बल्कि पर्यटन से हो, ये काम हम करने वाले हैं।

साथियों,

किसानों का कल्याण, हमेशा से भाजपा की प्राथमिकता रहा है। भाजपा-NDA सरकारें जहां भी हैं वहां सिंचाई की सुविधाएं बना रही हैं। जहां पानी कम है, वहां टपक सिंचाई पर बल दिया जा रहा है। ये भाजपा सरकार है, जो छोटे किसानों के खाते में सीधे पैसा भेज रही है। इससे किसानों को बहुत मदद मिल रही है। अब झारखंड भाजपा ने धान किसानों से 3100 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से धान खरीदने की गारंटी दी है। कांग्रेस के समय में सिर्फ 8-10 वन उपज पर ही MSP मिला करता था। भाजपा सरकार अब करीब-करीब 90 वन-उपज पर MSP दिया करती है। झारखंड भाजपा ने भी वन उपज के लिए कई घोषणाएं की हैं। इन सारे प्रयासों से किसानों की आय बढ़ेगी।

साथियों,

झारखंड की ये धरती, सिद्धो-कान्हो, चांद-भैरव, फूलो-झानो, तिलका-मांझी की भूमि है। झारखंड धरती आबा बिरसा मुंडा की भूमि है। दो दिन बाद यानि 15 नवंबर से भाजपा सरकार, धरती आबा की डेढ़ सौवीं जयंति को पूरे धूमधाम से मनाने जा रही है। हम सिद्धो-कान्हो और दूसरे सेनानियों के भव्य स्मारक बनाने जा रहे हैं, रिसर्च सेंटर्स बनाने जा रहे हैं। ये भाजपा-NDA की सरकार है, जिसने पहली बार आदिवासी समाज को इतनी भागीदारी दी। ये भाजपा-NDA ही है, जिसने देश को पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति दीं। द्रौपदी मुर्मू जी के रूप में एक आदिवासी बेटी को राष्ट्रपति बनाया। लेकिन JMM की सहयोगी कांग्रेस ने क्या किया? आदिवासी बेटी को हराने के लिए इन लोगों ने पूरा जोर लगा दिया। और ये भूलना नहीं है।

साथियों,

कांग्रेस हमेशा से ही आदिवासियों की घोर विरोधी रही है। कांग्रेस ने झारखंड आंदोलन के दौरान अनेक आदिवासी माताओं की कोख उजाड़ी है। और ये JMM वाले आज सत्ता के लिए कांग्रेस की ही गोद में जा बैठे हैं। कुर्सी के लिए ये किसी भी हद तक जा सकते हैं। संथाल परगना में तो हम देख रहे हैं कि इन्होंने कैसे रोटी-बेटी और माटी को ही दांव पर लगा दिया है। यहां आदिवासी समाज की संख्या लगातार घट रही है। आदिवासियों के जल-जंगल-जमीन पर धोखे से कब्जे करवाए जा रहे हैं। घुसपैठ की समस्या झारखंड में विकराल होती जा रही है। हमें मिलकर झारखंड को तबाह होने से रोकना ही होगा। और मुझे खुशी है, इस बड़े लक्ष्य के लिए भाजपा परिवार का विस्तार हो रहा है। झारखंडी गौरव को बचाने की इस बड़ी लड़ाई में, अब तो सिद्धो-कान्हो के वंशज मंडल मूर्मू जी भी हमारे साथ हैं। और मेरा सौभाग्य है कि आज मुझे सार्वजनिक रूप से इस महान परंपरा की विरासत, उनका सम्मान करने का अवसर मिला है। मैं उनका भाजपा में स्वागत करता हूं।

साथियों,

कांग्रेस को SC/ST/OBC से हमेशा से नफरत रही है। इसलिए नेहरू जी से लेकर राजीव गांधी तक, इन्होंने आरक्षण का हमेशा विरोध किया। ये लोग कभी नहीं चाहते थे कि SC/ST/OBC एकजुट हो जाएं। इसलिए आजादी के बाद दशकों तक कांग्रेस ने SC/ST/OBC समाज को बांटे रखा। और जैसे ही SC/ST/OBC एकजुट हुए, कांग्रेस कमजोर हो गई। केंद्र सरकार में उसकी पूर्ण बहुमत वाली सरकार बननी बंद हो गई। अब कांग्रेस, केंद्र में सरकार बनाने के लिए छटपटा रही है। इसलिए उसने SC/ST/OBC की एकता को तोड़ने का, आपको बांटने का खेल खेला है, एक नई साजिश रची है। कांग्रेस SC/ST/OBC की सामूहिक ताकत को कमज़ोर करना चाहती है। जैसे संथाल में अनेकों आदिवासी जातियां हैं। यहां संथाल हैं, पहाड़िया हैं, पहाड़िया में भी अनेक उप-जातियां हैं। यहां कोरा, मुडी-कोरा हैं, लोहरा हैं, महली हैं, ओरांव-धनगर हैं, मुंडा-पातर हैं, खरवार हैं। ऐसी हर जाति जब आदिवासी के रूप में, ST के रूप में एक आवाज़ से कोई बात कहती है, तो उसमें वज़न होता है। लेकिन कांग्रेस इस आदिवासी पहचान को तोड़कर, इसे छोटी-छोटी जातियों में बांटना चाहती है। ये संथाल को पहाड़िया से, कोरा को लोहरा से, महली को ओरांव-धनगर से, मुंडा को खरवार से, ऐसे एक जनजाति को दूसरे से लड़ाने में जुटे हैं, टुकड़े करने में जुटे हैं। इसमें JMM, कांग्रेस का पूरा साथ दे रही है। इससे आदिवासियों की एकता कमज़ोर होगी और कांग्रेस-JMM अपने वोटबैंक की मदद से सत्ता हासिल करेगी। और इसके बाद कांग्रेस द्वारा आपका आरक्षण भी छीन लिया जाएगा। और इसलिए भाई-बहनों एक बात कभी भी मत भूलना और अब तो इसकी ज्यादा जरूरत है। हमें याद रखना है, एक हैं तो सेफ हैं। एक हैं तो... सेफ हैं। एक है तो... सेफ हैं। एक है तो... सेफ हैं।

साथियों,

झारखंड का ये चुनाव, सिर्फ आने वाले 5 सालों के लिए नहीं है। ये आने वाले 25 सालों का भविष्य तय करेगा। 20 नवंबर को अपने बाल-बच्चों के भविष्य के लिए आपको वोट डालना है। आपको रोटी, बेटी और माटी को बचाने के लिए, इन्हें सुरक्षित और समृद्ध बनाने के लिए वोट डालना है। अब कुछ ही दिन बाकी हैं। आप सबसे मेरी प्रार्थना है दिन-रात जुटना है घर-घर जाना है। साथियों, मैंने इतनी सारी रैलियां की हैं। ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिलने की मैंने कोशिश की है लेकिन फिर भी हर घर तक तो पहुंच नहीं पाता। अब ये आपकी जिम्मेदारी है कि आप मोदी बनकर मेरा संदेश पहुंचा दें। संथाल के घर-घर में पहुंचाएं, और हर घर में जाकर कहना, अपने मोदी भाई आए थे और मोदी जी ने आपको जय जोहार कहा है। मेरा जय जोहार पहुंचा देंगे। पक्का पहुंचा देंगे? हर घर से मेरे लिए आशीर्वाद लेंगे? पक्का लेंगे? मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

मेरे साथ बोलिए,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय,
भारत माता की जय ।
बहुत-बहुत धन्यवाद