मैं युवा मोर्चा के मित्रों का अभिनन्दन करता हूँ कि इन्होंने सही अर्थ में जिसे जमीनी काम कहा जाए ऐसा बुनियादी काम आज किया है। कारण, चुनाव जीतना कहाँ होता है..? कोई यह मानता है कि मुझे गुजरात जीत जाना है, कोई मानता है कि मुझे शहर जीत जाना है, कोई मानता है कि मुझे विधानसभा जीत जानी है..! पर इन सब पर विजय कब सम्भव हो सकती है? जब तक आप पोलिंग बूथ ना जीतो, तब तक कुछ जीता नहीं जा सकता। आपको कुछ भी जीतना हो तो पहले पोलिंग बूथ जीतना पड़े। और आपने पोलिंग बूथ जीत लिया तो कुछ हारोगे नहीं। कॉर्पोरेशन भी नहीं हारोगे, विधानसभा भी नहीं हारोगे, गुजरात भी नहीं हारोगे। इसलिए चुनाव की असली कसौटी पोलिंग बूथ में होती है। इस पोलिंग बूथ का कार्यकर्ता बूथ में कितना सक्रिय है, इस पोलिंग बूथ के हजारों मतदाताओं के साथ उसका संबंध कैसा है, कितने परिवारों को यह नाम से जानता है, कितने परिवार इनको जानते हैं, किस परिवार की क्या समस्या है, इससे कौन परिचित है, इनके सुख-दु:ख में साथी के तौर पर कौन खड़ा रहा है, इसके आधार पर बूथ की ताकत निर्धारित होती है।
मित्रों, कांग्रेस और भाजपा में जो बुनियादी फर्क है ये यह है। भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतती है संगठन की ताकत के आधार पर। भारतीय जनता पार्टी चुनाव का जो व्यूह रचती है इनके केन्द्र में कार्यकर्ता होते हैं। भारतीय जनता पार्टी आयोजन करती है तो कार्यकर्ताओं के भरोसे पर आयोजन करती है। और कांग्रेस पार्टी..? अरबों-खरबों रूपये के खर्च पर रोज टी.वी. पर दो सौ बार विज्ञापन देना, अखबारों में रोज नए झूठ चलाना, वोट बैंक की राजनीति करना, झूठे वादे देना, लोगों को भ्रमित करना, कांग्रेस के यही तौर-तरीके हैं और साठ सालों में इसमें वे माहिर हो गए हैं..! पर गुजरात राज्य ऐसा है, यहाँ के नागरिक इतने समझदार हैं कि कांग्रेस को बराबर पहचान चुके हैं। अभी देश के दूसरे भाग में इनकी बनावट चल रही है, यहाँ नहीं चलती। यहाँ की जनता ने इन्हें बराबर पहचान लिया है कि ये कैसे लोग हैं, ये क्या करते हैं, क्या बोलते हैं... ये सब गुजरात की जनता जान चुकी है। मुझे तो कई बार ऐसा लगता है कि गुजरात की जनता कितनी दूरदर्शी है। अगर गुजरात की जनता में दूरदर्शीता नहीं होती और दूसरे राज्यों की तरह या दिल्ली की तरह यहाँ भी कांग्रेस होती तो राज्य का क्या होता..? कल्पना करो मित्रों, पूरे देश की जो दशा की है इन्होंने, तो गुजरात की दशा क्या की होती..? यह गुजरात की जनता की दूरदर्शिता है कि उन्होंने पच्चीस साल पहले ही इनको निकाल दिया। पच्चीस साल हुए अभी यहाँ मौका नहीं मिलता, नामलेवा नहीं मिलता, नामलेवा..! आप कांग्रेस में एक नाम तो बोलो, चलो हमारे पास तो मोदी है, आपके पास कौन है, लाओ..! जवाब तो देना पड़ेगा ना उन्हें..! जनता जर्नादन को जवाब तो देना पड़ेगा, भाई, चलो मोदी है हमारे पास, आपके पास कौन है..? साहब, जिस गाड़ी का ड्राइवर ही नहीं है, उसकी दिशा कैसी होगी? और बिना ड्राइवर की गाड़ी की तो कोई दिशा होती है? अब जिस गाड़ी का ड्राइवर नहीं है वे आपको दिशा बताने निकले है..! मेरी तो प्रधानमंत्री से बिनती है, प्रधानमंत्री से, डॉ. मनमोहन सिंह, एक काम करो, दस साल होने को आए, और तो कुछ नहीं कर सके हो, एक काम करो, आप इस गुजरात की दिशा पकड़ लो, देश की दशा सुधर जाएगी..! मित्रों, हिन्दुस्तान की ऐसी दुदर्शा कभी देखी नहीं है..! और कांग्रेस के मित्रों, दिवार पर लिखा हुआ पढ़ लो कि आप लाख प्रयास करोगे, रोज नए झूठ फैलाओगे, आरोपों की भरमार लगाओगे, रूपयों की रेलमपेल करोगे, तब भी जाकर गुजरात की जनता आपको गुजरात की दुदर्शा करने का मौका नहीं देगी, नहीं देगी और नहीं ही देगी..!
आजकल लोग एक प्रश्र पूछते हैं कि मोदी विकास की बात करता है, कहाँ हुआ है विकास, बताओ... एसा कहते हैं..! मैं छोटा था तब जोक चलते थे कुछ्, एक काका के सिर पर मोटा फोड़ा हो गया, तो एक लड़के ने काका से पूछा कि काका क्या हुआ? तो कहा दिखता नहीं है क्या? तो बोला कि नहीं, नहीं, मुझे दिखता है इसलिए तो पूछता हूँ कि इतना बड़ा फोड़ा कैसे हुआ? तो कहा इधर आओ, देखो वो दीवार दिख रही है? तो कहा दिख रही है। इसके पास वो खंबा दिख रहा है? कहा दिख रहा है। उस खंभे पर एक कील मारी हुई दिखाई दे रही है? तो कहा दिख रही है। काका बोले, मुझे नहीं दिखाई दी थी इसलिए मैं टकरा गया और यह फोड़ा हो गया..! मित्रों, कांकरिया पहले कैसा था? कचरापेटी जैसा था ना? आज कांकरिया सुधर गया कि नहीं? ए-वन हो गया कि नहीं? इसको विकास कहते है? आपको दिखता है? उनको नहीं दिखता..! पहले अपनी यह ए.एम.टी.एस. कि लाल बस कैसी थी? कैसी दशा थी, भाई? अंदर बैठो तो पहुंचने की गांरटी थी? पंक्चर हो जाता था कि नहीं? पेट्रोल खत्म हो जाता था कि नहीं? आज बी.आर.टी.एस... चकाचक है ना? इसे विकास कहते है? आपको दिखता है? उनको नहीं दिखता..! पहले यह अपनी साबरमती नदी कैसी थी? साबरमती में क्या होता था? गधे दौड़ते थे, सर्कस आता था, किक्रेट खेला जाता था, धूल उड़ती थी, ऐसा था कि नहीं..? और आज..? लबालब बहती है कि नहीं? नौकाएं चलती हैं कि नहीं? रिवरफ्रंट बना है कि नहीं? फर्क दिखता है? इसको विकास कहते है? आपको दिखता है? उनको नहीं दिखता..! मोतिया नहीं साहब, अंधापन है, मोतिया हो तो धुंधला भी दिखता है..!
अब एक ये नया चालू किया है, ये पैसे तो हमने भेजे थे..! ऐसा कहते हैं, केन्द्र से आए थे..! अच्छा, कहो तो जरा कि केन्द्र में कहाँ से आए थे? आप ये तो कहो भाई, केन्द्र में कहाँ से आए थे..? अगर मैं ये कहता हूँ कि गांधीनगर ने पैसा दिया, गांधीनगर ने पैसा दिया... गांधीनगर में रूपया कहाँ से आता है? ये नरेन्द्र मोदी के पूज्य पिताजी की संपत्ति नहीं है, ये तो गुजरात की जनता के परिश्रम का पैसा है। गांधीनगर की तिजोरी के पैसे मेरी मिल्कीयत नहीं है, भारतीय जनता पार्टी की भी मिल्कीयत नहीं है, ये संपत्ति छह करोड़ गुजरातियों के पसीने की कमाई है। बार-बार कहते रहते हैं कि हमने दिया, हमने दिया... दहेज में आए थे क्या? भाइयों और बहनों, सालाना 50,000 करोड़ रूपया, याद रखना दोस्तों, हर वर्ष 50,000 करोड़ रूपया गुजरात से टैक्स के रूप में दिल्ली की तिजोरी में जमा होते हैं, कितना..? पचास हजार बोलने के बाद अटक मत जाना, आधा लाख करोड़ रूपया..! और आता है कितना? 6000 करोड़..! अब आप मुझे बताओ कि इसे उन्होंने दिया कहते हैं कि हमने दिया? नहीं-नहीं, आपको अगर मैं सौ रूपया देता हूँ और आप मुझे दस वापिस देते हो, और फिर छाती चौड़ी कर फिरते हो कि हमने दस रूपया दिया, दस रूपया दिया...? अरे भाई, नब्बे ले गए, आप नब्बे ले गए..! इस प्रकार के झूठ दिन रात चलाए जाते हैं और इस गुजरात की जनता का अपमान किया जाता है। जैसे हम कोई भिखारी हों, वहाँ हाथ फैला कर खड़े हों और दिल्ली में महारानी हमें टुकड़े फैंकती हो... कांग्रेस की ऐसी भाषा इस गुजरात के स्वाभिमान पर चोट है और गुजरात अपने इस स्वाभिमान पर कोई हमला कभी भी स्वीकार नहीं करेगा, मित्रों। और बार-बार झूठ चलाए, बार-बार झूठ चलाए... इसलिए फिर हमने एक विज्ञापन दिया... दिल्ली रोज गुजरात को कैसे थप्पड़ मारती है इसके बारे में जब विज्ञापन दिया, तो कांग्रेस के लोगों को ऐसा थप्पड़ लगा, ऐसा थप्पड़ लगा कि कोर्ट में गए, मोदी का यह विज्ञापन बंद करवाओ। इतना सहन करने की ताकत नहीं है। अब कोर्ट में मैटर है, जजमेंट आएगा तब देखेंगे क्या होता है..! पर लग तो गया..! घर-घर लोगों को याद भी रह गया है।
भाइयों और बहनों, कांग्रेस के पास विकास की यात्रा में स्पर्धा करने की ताकत नहीं है। कांग्रेस के पास झूठ चलाने के सिवाय कोई काम नहीं रह गया। आज गुजरात ऑटोमोबाइल क्षेत्र में एशिया का हब बन गया है। हजारों गाडिय़ां रोज बनती है, कितने लोगों को रोजगार मिलता है, कितने नौजवानों को रेाजगार मिल रहा है..! इन नौजवानों का भाग्य किस तरह से बदलेगा? आपकी तरह व्यर्थ बातें करते तो इस गुजरात का और देश का नौजवान कभी अपना माथा ऊंचा नहीं कर सका होता। हमने रास्ता अपनाया है जिससे कि गुजरात का नौजवान छाती चौड़ी करके, सिर उठाकर घूम सकता है, वह रास्ता अपनाया है। पहले हुल्लड़ उद्योग चलता था, हुल्लड उद्योग..! अक्सर छुराबाजी, बार-बार हुल्लड़..! कर्फ्यू, जब देखो तब कर्फ्यू..! परीक्षा के समय में देखो तो कर्फ्यू लगा हो, रथयात्रा निकलनी हो तो कर्फ्यू लगा हो, उत्तरायण मना रहे हो तो कर्फ्यू लगा हो, क्रिकेट मैच में बॉल ऐसे पड़ा, तो कर्फ्यू लगा हो... दस साल हो गए दोस्तों, दस साल... गुजरात में से कर्फ्यू ने विदा ले ली है। सुख चैन की जिदंगी जी रहे हैं लोग, सब कुछ संभव है..!
अभी हमने काम उठाया है, नौजवानों को गुटका से बचाने का। गुटका मुक्ति हो जाएगी ना, दोस्तों? सौ प्रतीशत..? लेकिन गुटका मुक्ति में मुझे समर्थन देने के लिए एक मोबाइल फोन करना था, किया सभी ने..? 80009-80009। सभी ने नहीं किया होगा, थोड़े तो रह गए होंगे। 80009-80009, मिस्ड कॉल करो और मेरे इस काम में मुझे समर्थन दो, करोगे मित्रों? दूसरों से करवाओगे? अकेले मणिनगर से एक लाख मिस्ड कॉल आने चाहिए, मेरे युवा मोर्चा के मित्र करके दिखाएं। क्यों ढीले पड़ गए? अरे भाई, ‘ईच बूथ, टेन यूथ’ वाले आप लोग हो, आपके पोलिंग बूथ में आप कम से कम पचास लोगों से मिस्ड कॉल नहीं करवा सकते? इतना करोगे तो आपकी संख्या आ जाएगी, पूरा करोगे इसे दो दिनों में?
मित्रों, 11 तारीख, नाइन इलेवन... 9/11 इतिहास में दो कारणों से याद रखी जाती है। एक, स्वामी विवेकानंदजी ने अमेरिका में विश्व धर्म परिषद को संबोधित किया था और दूसरा, अमेरिका में ट्विन टावर पर आतंकवादियों का हमला हुआ था। नाइन इलेवन की ये दो घटनाएं। यही 9/11, 11 सितंबर को स्वामी विवेकानंदजी की 150 वर्ष की स्मृति में ‘विवेकानंद युवा विकास यात्रा’ का हम प्रारंभ करने जा रहे हैं। और मैं बहुचराजी से उस यात्रा को ले कर निकलने वाला हूँ, गुजरात के कोने-कोने में घूमने वाला हूँ। गुजरात की युवा शक्ति के दर्शन करने निकलने वाला हूँ, गुजरात की युवा शक्ति को गुजरात के आने वाले कल से जोडऩे के लिए निकलने वाला हूँ। और इसमें मेरे मणिनगर के लोग क्या करेंगे? मैं आपसे आह्वान करता हूँ, कि 11 तारीख को नौ बजे से पहले इस मणिनगर विधानसभा के युवा मोर्चा के सभी, एक भी ग़ैरहाज़िर नहीं, ये सभी के सभी बहुचराजी पहुंच सकते हैं? पहुंच सकते हो वे हाथ ऊपर करो। जिनका हाथ नीचे है वे क्या करेंगे? सभी आएंगे..? मित्रों, तय करो कि सुबह साढ़े पांच-छह बजे यहाँ से एक साथ टू व्हीलर, फोर-व्हीलर की बड़ी यात्रा निकाल कर बहुचराजी पहुंचना है और वहाँ मुझे यात्रा की विदाई देने के लिए ये नौजवान मित्रों आएं। कौन जवाबदारी लेगा, भाई? अरे, प्रदीप सिंह को पूरे गुजरात का करने दो ना, अपने मणिनगर का हम नहीं कर सकते? पंकज भाई करेंगे? पक्का..? मैं सारे व्हीहीकल गिनूगां हाँ, हर एक पोलिंग बूथ में से कितनी गाडिय़ां आई हैं ये गिनूंगा। मित्रों, मैं मणिनगर विधानसभा का प्रतिनिधि हूँ, आपका साथी हूँ और इसलिए मैं मणिनगर को कहता हूँ कि चलो बहुचराजी..! और माँ बहुचराजी के आशीर्वाद ले कर मित्रों, गुजरात के आने वाले कल को घढऩे के लिए एक नया संकल्प लेकर निकलना है।
आप से अभी जैसा मैंने कहा, लड़ाई पोलिंग बूथ में है। युद्घ जीतने के लिए किला जीतना पड़ता है, किला मतलब पोलिंग बूथ। और जो पोलिंग बूथ का किला जीत लेता है, वह युद्घ जीत लेता है। मेरा छोटे से छोटा कार्यकर्ता तय करे कि पोलिंग बूथ में वह भाजपा का झंडा कभी झुकने नहीं देगा। अगर भारतीय जनता पार्टी का पोलिंग बूथ का कार्यकर्ता संकल्प करे कि मैं पोलिंग बूथ में भाजपा का झंडा कभी झुकने नहीं दूंगा, तो गुजरात की धरती पर कभी भी भाजपा का झंडा नहीं झुकेगा..! ये विकास यात्रा चलती ही रहेगी, अविरत चलती रहेगी, लगातार विकास यात्रा चलेगी। विरोध, अवरोध, अप्रचार, झूठ की आंधी चलेगी, अभी और जारी रहेगी, जरा और गर्मी आएगी, और तीव्रता आएगी, पर ये सभी तीव्रताओं को पार कर, विजय के विश्वास के साथ आगे बढ़ें, इसी अपेक्षा के साथ...