Shri Modi's speech at Dharma Meemamsa Parishad at Sivagiri Mutt, Kerala

Published By : Admin | April 24, 2013 | 16:53 IST

ब्रह्म श्री प्रकाशानंदा स्वामीगल, श्रीमद ऋतंभरा नंदा स्वामीगल, श्री नारायण धर्मा संगम सन्यासिन्स, श्री मुरलीधरन, सहोदरी, सहोदर नवारे, नमस्काम्..! श्रीमान मुरलीधरन की मदद से मैं अपने दिल की बात आप सब तक पहुंचा पाऊंगा। मैं देख रहा हूँ कि यहाँ जो व्यवस्था बनी है वो व्यवस्था कम पड़ गई है और बहुत बड़ी मात्रा में लोग दूर-दूर बाहर खड़े हैं..! भाइयो-बहनों, इस शामियाने में जगह शायद कम होगी, लेकिन आप भरोसा रखिए कि मेरे दिल में आप लोगों के लिए बहुत जगह है..!

मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य रहा कि बचपन में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधि से जुड़ा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की गतिविधि में एक महत्वपूर्ण संस्कार कार्यक्रम होता है, प्रात:स्मरण काल। और जब हमें प्रात: स्मरण सिखाया गया था उसी समय से प्रतिदिन सुबह परम पूज्य ब्रह्मलीन नारायण गुरू स्वामी का स्मरण करने का सौभाग्य मिलता था। आज देश कि जिन समस्याओं की ओर हम देख रहे हैं, उन समस्याओं की ओर नजर करें और श्री नारायण गुरू स्वामी कि शिक्षा पर नजर करें, तो हमें ध्यान में आता है कि अगर ये देश श्री नारायण गुरू स्वामी की शिक्षा-दीक्षा पर चला होता तो आज हमारे देश का ये हाल ना हुआ होता..! श्री नारायण गुरू स्वामी ने समाजिक जीवन की शक्ति बढ़ाने के मूलभूत तत्वों पर सबसे अधिक बल दिया था। आज समाज में किसी ना किसी स्वरूप में अस्पृश्यता आज भी नजर आती है। हमारे संतों के प्रयत्नों के द्वारा समाज जीवन की छूआछूत कम होती गई, लेकिन राजनीतिक जीवन में छूआछूत और भी बढ़ती चली जा रही है..! यह देश स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती मना रहा है और हम जब स्वामी विवेकानंद की 150 वीं जयंती मना रहे हैं तब, इस बात का भी संयोग है कि श्री नारायण गुरू स्वामी के जीवन में भी इस कार्य को आगे बढ़ाने में स्वामी विवेकानंद जी का सीधा-सीधा संबंध आया था। हम पूरे आजादी के आंदोलन की ओर नजर करें तो हमारे ध्यान में आएगा कि अठारहवीं शताब्दी का उत्तरार्ध, उन्नीसवीं शताब्दी और बीसवीं शताब्दी में भारत की आजादी के आंदोलन की पिठीका तैयार करने में सबसे बड़ा योगदान किसी ने दिया है तो हमारे संतों ने दिया है, महापुरूषों ने दिया है, सन्यासियों ने दिया है, जिनके पुरुषार्थ के कारण एक समाज जागरण का काम, सामाजिक चेतना का काम, सामाजिक एकता का काम निरंन्तर चलता रहा और उसी का परिणाम हुआ कि देश की आजादी के आंदोलन के लिए एक मजबूत पीठिका का निर्माण हुआ। 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेज ये मान कर चलते थे कि अब हिन्दुस्तान को हजारों सालों तक गुलाम बनाए रखा जा सकता है, अब हिन्दुस्तान खड़ा नहीं हो सकता है। लेकिन 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद पूरी तीन शताब्दी की ओर देखा जाए तो इस देश में इन महापुरूषों की एक श्रुंखला रही है और उस श्रुंखला के कारण निरंतर हिन्दुस्तान का कोई एक राज्य ऐसा नहीं होगा, हिन्दुस्तान का कोई समाज ऐसा नहीं होगा, हिन्दुस्तान का कोई क्षेत्र ऐसा नही होगा कि जहाँ पर पिछली तीन शताब्दी के अंदर कोई ना कोई ऐसे महापुरूष का जन्म ना हुआ हो जिस महापुरूष ने समाजिक संस्कारों के लिए, समाज सुधार के लिए सोशल रिफार्मर के नाते काम ना किया हो और समाज को जोड़ने का काम ना किया हो, ऐसा पिछली तीन शताब्दी में किसी भूभाग में नहीं मिलेगा..! चाहे स्वामी राम दास हो, चाहे स्वामी विवेकानंद हो, चाहे स्वामी दयानंद से लेकर के स्वामी श्रद्घानंद तक की परंपरा हो, चाहे बस्वेश्वर हो, चाहे चेतन्य महाप्रभु हो, चाहे गुजरात के नरसिंह मेहता हो, इस देश के अंदर ऐसी एक परंपरा रही और केरल में भी पूज्य नारायण स्वामी जी का हो या अयंकाली जी का हो, इन सबकी परंपरा के कारण हिन्दुस्तान के अंदर इस चेतना को जागृत रखने में सफलता मिली थी। इन महापुरुषों ने त्याग और तपश्चर्या के द्वारा देश में जागरण का काम किया, देशभक्ति जगाने का काम किया, हमारी संस्कृति, हमारे धर्म और हमारी परंपरा को जगाने का काम किया और उसके कारण भारत के आजादी के आंदोलन के लिए एक बहुत बड़ी पीठीका तैयार हुई..!

लोगों को लगता है कि दुनिया की अनेक परंपराएं, अनेक संस्कृतियां, समाज जीवन की अनेक परंपराएं धवस्त हो गई, इतिहास के किनारे जा कर के उन्होंने अपनी जगह ले ली और आज उनका कहीं नामोनिशान नहीं रहा..! लोग पूछते हैं कि क्या कारण रहा कि हजारों साल के बाद भी ये समाज, ये संस्कृति, इस देश की परंपरा मिटती नहीं है, पूरे विश्व के अंदर ये सवाल उठाया जाता है..! समाज जीवन में अगर हम बारीकी से देंखें कि हजारों साल हुए, हमारी हस्ती मिटती क्यों नहीं है..? क्या हजारों साल में हमारे अंदर बुराइयाँ नहीं आई हैं? आई हैं..! हमारे में विकृतियाँ नहीं आई हैं? आई हैं..! हमारे समाज में बिखराव नहीं आया है? आया है..! अनेक बुराइयाँ आने के बावजूद भी इस समाज की ताकत ये रही है कि हिन्दु समाज ने हमेशा अपने ही भीतर संतो को जन्म दिया, समाज सुधारकों को जन्म दिया, एक नई चेतना, नया स्वस्थ जगत बनाने के लिए जो-जो लोगों ने जन्म लिया उन महापुरूषों के पीछे चलने का साहस दिखाया और अपनी ही बुराइयों पर वार करने की ताकत हमारे ही समाज में से पैदा होती थी, ऐसे महापुरूष हमारे समाज में से ही पैदा होते थे और उन महारुषों की पैकी एक बहुत बड़ा नाम केरल की धरती पर जन्मे हुए परमपूज्य श्री नारायण स्वामी का है..! श्री नारायण गुरू जी ने उस कालखंड में शिक्षा को सर्वाधिक महत्व दिया और आज अगर केरल गर्व से खड़ा है और शिक्षा के क्षेत्र में पूरे देश में केरल ने जो अपना एक रूतबा जमाया है, अगर उसके मूल में हम देखें तो सौ-सवा सौ साल पहले ऐसे महापुरूषों ने शिक्षा के लिए अपना जीवन खपा दिया था और उसके कारण शिक्षा का ये मजबूत फाउंडेशन आज केरल की धरती पर नजर आता है..!

विश्व के कई समाज ऐसे हैं कि जो 20 वीं शताब्दी तक नारी को बराबर का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं थे। विश्व के प्रगतिशील माने जाने वाले देश भी, लोकतंत्र में विश्वास रखने के बावजूद भी महिला को मताधिकार देने के लिए सदियों तक तैयार नहीं थे। उस युग में भी हिन्दुस्तान में ऐसे संत महात्माओं की परंपरा पैदा हुई जिन्होंने नारी कल्याण के लिए, नारी उत्थान के लिए, नारी शिक्षा के लिए, नारी समानता के लिए अपने आप को खपा दिया था और समाज के अंदर परिवर्तन लाने का प्रयास किया था। समाज के दलित, पीडित, शोषित, उपेक्षित, वंचित ऐसे समाज की भलाई के लिए अनेक प्रकार के समाज सुधार के काम सदियों से चलते आए हैं, लेकिन जिन समाज सुधार के कामों में राजनीति जुड़ती है वहाँ पर हैट्रेड का माहौल भी जन्म लेता है। एकता सुधार करने के लिए, एक को अधिकार देने के लिए दूसरे को नीचे दिखाना, दूसरे को हेट करना, दूसरे को दूर करना, दूसरे के खिलाफ बगावत का माहौल बनाना ये परंपरा रहती है। लेकिन जब समाज सुधार के अंदर आध्यात्म जुड़ता है तब समाज सुधार भी हो, लेकिन समाज टूटे भी नहीं, नफरत की आग पैदा ना हो, जिनके कारण समाज में बुराई आई हैं उनके प्रति रोष का भाव पैदा ना हो, उनको भी जोड़ना, इनको भी जोड़ना, सबको जोड़कर के चलने का काम होता है। जब समाज सुधार के साथ आध्यात्मिक चेतना का मिलन होता है तब इस प्रकार का परिवर्तन आता है। श्री नारायण गुरू के माध्यम से समाज सुधार और आध्यात्म का ऐसा अद्भुत मिलन था कि समाज में कहीं पर भी उन्होंने नफरत को जन्म देने का अधिकार किसी को भी नहीं दिया..!

हमारे देश में उस काल खंड की ओर अगर हम नजर करें..! समाज के अंदर बुराइयों ने जब पूरी तरह समाज पर कब्जा जमाया हो, स्थापित हितों का जमावड़ा इसको बरकरार रखने के लिए भरपूर कोशिश करता हो, ऐसे समय में ऐसे संत खड़े हुए जिनके पास कुछ नहीं था, लेकिन बुराइयों के खिलाफ लड़ने का संकल्प था और वो बुराइयों के खिलाफ खड़े हुए, समाज स्वीकार करे या ना करे, वे बुराइयों के खिलाफ लड़ने से पीछे नहीं हटे और पूरी जिन्दगी समाज सुधार के लिए घिस दी। जिस समाज के अंदर ईश्वर भक्ति सर्वश्रेष्ठ मानी जाती हो, परमात्मा सबकुछ है ऐसा माना जाता हो, उस कालखंड में भी इस देश में ऐसे सन्यासी हुए जो कहते थे कि ईश्वर भक्ति बाद में करो, पहले दरिद्र नारायण की सेवा करो, दरिद्र नारायण ही भगवान का रूप होता है और उन गरीबों की भलाई करोगे तो ईश्वर प्राप्त हो जाएगा, ये संदेश देने की ताकत इस भूमि में थी..! समाज सुधारको ने अपने जीवन को बलि चढ़ा करके भी समाज की बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और उसको प्राप्त किया। श्री नारायण गुरू की तरफ हम नजर करें तो ध्यान में आता है कि उस समय जब अंग्रेजों का राज चलता था और गुलामी की जो मानसिकता थी, उस मानसिकता को बढ़ावा देने के लिए वो अंग्रेजी का प्रभाव बढ़ाना चाहते थे और अंग्रेजी के माध्यम से इस देश को दबाने के लिए रास्ता खोजते थे, ऐसे समय में नारायण गुरू की दृष्टि देखिए... उन्होंने समाज को कहा कि अंग्रेजी सीख कर के उनको उन्हीं की भाषा में जवाब देने की ताकत पैदा करनी चाहिए, अंग्रेजों से लड़ना होगा तो अंग्रेजों को अंग्रेजी की भाषा में समझाना पड़ेगा, ये हिम्मत देने का काम नारायण गुरू ने उस समय किया था..!

21 वीं सदी हिन्दुस्तान की सदी है ऐसा कहते हैं, 21 वीं सदी ज्ञान की सदी है ऐसा भी कहते हैं और ये हमारा सौभाग्य है कि आज हिन्दुस्तान दुनिया का सबसे युवा देश है। इस देश की 65% जनसंख्या 35 साल से कम आयु की है और इसलिए ये युवा देश हमारा डेमोग्राफिक डिविडेंड है और ये अपने आप में एक बड़ी शक्ति है..! लेकिन जो लोग प्रगति करना चाहते हैं वो सारे देश इन दिनों एक विषय पर बड़े आग्रह से बात करते हैं। अभी-अभी अमेरिका में चुनाव समाप्त हुए, श्रीमान ओबामा ने दोबारा अपनी प्रेसिडेंटशिप को धारण किया, और दोबारा प्रेसिडेंट बनने के बाद उन्होंने जो पहला भाषण किया उस पहले भाषण में उन्होंने एक बात पर बल दिया और कहा कि लोगों को स्किल डेवलपमेंट, हुनर सिखाओ। जब तक हम व्यक्ति के हाथ में हुनर नहीं देते, जब तक उसको रोजगार की संभावनाएं नहीं देते, वो दुनिया में कुछ कर नहीं सकता..! अमेरिका जैसे समृद्घ देश की अर्थनीति के बीज में भी स्किल डेवलपमेंट की बात होती है। हिन्दुस्तान के अंदर डॉ. मनमोहन सिंह और कांग्रेस की सरकार भी स्किल डेवलपमेंट की बात करती है और मुझे गर्व से कहना है कि अभी 21 अप्रैल को भारत के प्रधानमंत्री ने स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ट कार्य करने के लिए गुजरात सरकार को विशेष रूप से सम्मानित किया। गुजरात देश में पहला राज्य है जिसने अलग स्किल यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय किया है और दुनिया का सबसे समृद्घ देश भी स्किल डेवलपमेंट की बात करता है, दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश भी स्किल डेवलपमेंट की बात करता है। दुनिया भर में स्किल डेवलपमेंट की चर्चा हो रही है, लेकिन मजा देखिए, सौ साल पहले केरल की धरती पर एक नारायण गुरू का जन्म हुआ जिन्होंने सौ साल पहले स्किल डेवलपमेंट पर बल देने के लिए बातचीत नहीं, प्रयास किये थे..!

आज पूरा विश्व दो समस्याओं से झूझ रहा है..! एक, ग्लोबल वार्मिंग और दूसरा, टेररिज़म, आंतकवाद..! पूरा विश्व इन दोनों चीजों से परेशान है, लेकिन आज अगर हम हमारे पूर्वजों की बातों को ध्यान में लें, हमारे संतों की बातों को ध्यान में लें, हमारे शास्त्रों की बातों को ध्यान में लें और अगर उसके आधार पर जीवनचर्या को काम में लें तो मैं विश्वास से कहता हूँ कि ग्लोबल वार्मिंग से मानवजात को बचाई जा सकती है, टेररिज़म के रास्ते से लोगों को वापस ला कर के सदभावना और प्रेम के रास्ते पर लाया जा सकता है, ये संदेश पूज्य नारायण गुरू स्वामी ने उस जमाने में दिए थे, जब वो कहते थे एक जन, एक देश, एक देवता..! ये बात उस समय की है, और आज तो इतने बिखराव के माहौल कि चर्चा हो रही है। एक राज्य दूसरे राज्य को पानी देने को तैयार नहीं है, ऐसे माहौल में उस महापुरूष ने दूर का देखा था और कहा था कि यह देश एक, जन एक और परमात्मा एक... ये संदेश देने का काम श्री नारायण गुरू ने किया था। श्री नारायण गुरू स्वामी ने जैसे कहा था उस प्रकार से कश्मीर से कन्याकुमारी, अटक से कटक तक का पूरा हिन्दुस्तान करूणा और प्रेम से बंधा हुआ रहता, हमारे अंदर कोई बिखराव ना होता तो आज हमारे भीतर से कोई भी आंतकवाद को साथ देने का पाप ना करता, नारायण गुरू के रास्ते पर चलते तो यहाँ आंतकवाद को कभी जगह नहीं मिलती..!

एक समय था जब बड़े-बड़े भव्य मंदिरों से प्रभाव पैदा होता था, मंदिरों के निर्माण में भी एक स्पर्धा का माहौल चलता था, प्रकृति का जितना भी शोषण करके जो कुछ भी किया जा सकता था वो सब होता था। ऐेसे समय में आप दक्षिण के मंदिर देखिए, कितने विशाल मंदिर होते हैं..! ऐसे समय में नारायण गुरू ने समाज के उस प्रवास को काट कर के उल्टी दिशा में चल कर के दिखाया कि जरूरत नहीं है बड़े-बड़े विशाल मंदिरों की..! छोटे-छोटे मंदिरों की रचना करने की एक नई परंपरा शुरू की। सामान्य संसाधनों से बनने वाले मंदिरों की एक परंपरा शुरू की। ईश्वर कहीं पर भी विराजमान रहता है इस प्रकार से उन्होंने चिंता की और एक प्रकार से पर्यावरण की रक्षा के लिए, प्रकृति का कम से कम उपभोग करने का संदेश देने का काम श्री नारायण गुरू ने किया था, अगर उस परंपरा को हम जीवित रखते तो आज ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पैदा नहीं होती..!

दुनिया के कर्इ देश ऐसे हैं जो आज भी नारी के नेतृत्व को स्वीकार करने का समार्थ्य नहीं रखते हैं। पश्चिम के आधुनिक कहे जाने वाले राष्ट्र भी नारी शक्ति के सामर्थ्य को स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं। लेकिन यह देश ऐसा है कि सदियों पहले अगर हमारे देश में नारी के सम्मान को चोट पहुंचे ऐसी कोई भी चीज पनपती थी, तो हमारे संत बहुत जागरूक हो जाते थे और वूमन एम्पावरमेंट के लिए अपने युग में हमेशा वो प्रयास करते रहे हैं। समाज की बुराइयों से समाज को बाहर ला करके मातृ-शक्ति के सामर्थ्य की चिंता करने का काम हमारे देश में होता रहा है और श्री नारायण गुरू ने हमेशा वुमन एम्पावरमेंट को हमेशा बल दिया, उनको शिक्षित करने की बात पर बल दिया, उनको विकास प्रक्रिया में भागीदार बनाने के विचार को बल दिया, उन्होंने माताओं-बहनों को परिवार के अंदर कोई ना कोई रोजगार खड़ा करने की स्वतंत्रता पर बल दिया और समाज के विकास की यात्रा में नारी को भी भागीदार बनाने के लिए श्री नारायण गुरू ने प्रयास किए..! श्री नारायण गुरू ने प्रेम की, करूणा की, समाज की एकता की बातों के साथ-साथ सादगी का भी बहुत आग्रह रखा था, सिम्पलीसिटी का बहुत आग्रह रखा था..! मैं आज भी इस परंपरा से जुड़े हुए इन सभी महान संतों को प्रणाम करते हुए उनका अभिनंदन करना चाहता हूँ, क्योंकि नारायण गुरू ने जिस परंपरा में सादगी का आग्रह रखा था, आज भी उस सादगी को निभाने का प्रयास इस परंपरा को निभाने वाले सभी लोगों के द्वारा हो रहा है, ये अपने आप में बड़े गर्व की बात है..! ये मेरा सौभाग्य है कि इस महान परंपरा के साथ आज निकट से जुड़ने का मुझे सौभाग्य मिला है और इसलिए मैं इन सभी संतों का बहुत ही आभारी हूँ..!

यहाँ पर अभी पूज्य ऋतंभरानंद जी ने अपने भाषण में कुछ अपेक्षाएं व्यक्त की थी कि गुजरात की धरती पर भी ये संदेश कैसे पहुंचे..! ये मेरे लिए गर्व की बात होगी कि इतनी अच्छी बात, समाज के गरीब, दुखियारों की सेवा की बात मेरे गुजरात के अंदर अगर केरल की धरती से पहुंचती है तो मैं उसका स्वागत करता हूँ, सम्मान करता हूँ..! केरल का कोई जिला ऐसा नहीं होगा, कोई तालुका या ब्लॉक ऐसा नहीं होगा, जहाँ के लोग मेरे गुजरात में ना रहते हों..! आज गुजरात की प्रगति की जो चर्चा हो रही है, उस प्रगति में मेरे केरल के भाईयों के पसीने की भी महक है और इसलिए मैं आज केरल के मेरे सभी भाइयों-बहनों का आभार भी व्यक्त करना चाहूँगा, अभिनंदन भी करना चाहूँगा..! और मुझे विश्वास है कि आने वाले दिनों में केरल के मेरे भाई जो गुजरात में रहते हैं, उनको जब पता चलेगा कि यहाँ नारायण गुरू की प्रेरणा से कुछ ना कुछ गतिविधि चल रही है, तो गुजरात में रहने वाले केरल के भाइयों के लिए भी एक अच्छा स्थान बन जाएगा। मैं नारायण गुरु की इस परंपरा को निभाने वाले, इस सदविचार को घर-घर गाँव-गाँव पहुंचाने वाले, समाज के पिछड़े, दलित, पीड़ित, शोषितों का भला करने के लिए जीवन आहूत करने वाले सभी महानुभावों से प्रार्थना करूँगा कि गुजरात आपका ही है, आप जब मर्जी पड़े आइए, गुजरात की भी सेवा कीजिए..!

इस पवित्र धरती पर आने का मुझे सौभाग्य मिला, मुझे निमंत्रण मिला, मैं इसके लिए फिर एक बार आप सबका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ, सभी संतों को वंदन करता हूँ और पूज्य स्वामी नारायण गुरू के चरणों में प्रार्थना करके उनसे आशीर्वाद लेता हूँ कि ईश्वर ने मुझे जो काम दिया है, मैं गरीब, पीड़ित, शोषित, दलित, सबकी भलाई के लिए अपने जीवन में कुछ ना कुछ अच्छा करता रहूँ, ऐसे आशीर्वाद मुझे आज इस तपोभूमि से मिले..! मैं केरल के सभी भाइयों-बहनों का भी आभार व्यक्त करता हूँ कि आज मैं शाम को त्रिवेन्द्रम एयरपोर्ट पर उतरा और वहाँ से यहाँ तक आया, चारों ओर जिस प्रकार से आप लोगों ने मेरा स्वागत किया, सम्मान किया, मुझे प्रेम दिया, इसके लिए मैं केरल के सभी भाईयों-बहनों का भी बहुत हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ..! फिर एक बार सहोदरी-सहोदर हमारे, नमस्कारम्..!

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भारत माता की... भारत माता की... भारत माता की...

हो भाई, बहिन सब हम्में दानवीर कर्ण के ई चंपानगरी बाबा बूढ़ानाथ आरू मंदार पर्वत, बाबा बासुकीनाथ के ई पवित्र भूमि के प्रणाम करै छिये। अपने सबके आशीर्वाद चाही!!!

साथियों,

देश में दो ही ऐसी जगह है, जहां गंगा उत्तरवाहिनी होती है। एक बनारस और दूसरा भागलपुर। गंगा मइया के आदेश पर मैं बनारस के लोगों की सेवा कर रहा हूं। और आज यहां, मैं भागलपुर में NDA के अपने साथियों के लिए... गंगा मइया का आशीर्वाद लेने आया हूं... आप सबका आशीर्वाद लेने आया हूं। बनारस में हमें बाबा काशी विश्वनाथ की कृपा मिलती है, यहां अजगैबीनाथ बाबा के चरणों में हमें प्रणाम करने का सौभाग्य मिलता है। और इसीलिए भागलपुर आना मेरे लिए बहुत विशेष हो जाता है। साथियों, भागलपुर संघर्ष, संस्कार और सम्मान की धरती है। इसी धरती ने देश को वो सपूत दिए, जिन्होंने इतिहास की दिशा बदल दी। तिलका मांझी ने बंदूक से नहीं, अपने साहस से अंग्रेजों के अहंकार को तोड़ा था। कादंबिनी गांगुली ने अपनी निष्ठा और समर्पण से बेटियों के लिए नया रास्ता खोला था। मैं इस धरती की इन महान विभूतियों को नमन करता हूं। विक्रमशीला की इस भूमि ने हर युग में देश और समाज को दिशा दिखाई है। एक बार फिर भागलपुर की धरती से पूरे बिहार को संदेश जा रहा है, फिर एक बार...NDA सरकार! फिर एक बार... फिर एक बार... फिर एक बार... बिहार में फिर से...सुशासन सरकार !

साथियों,

पहले चरण के मतदान की.. और मतदाताओं का जो उत्साह है.. और अब तक जो मुझे जानकारियां मिली हैं... मतदान की शानदार तस्वीर सामने आ रही हैं। हमारी माताएं-बहनें...बहुत उत्साह के साथ मतदान कर रही हैं। बिहार की बेटियां...जंगलराज से बिहार को दूर रखने के लिए आज दीवार बनकर खड़ी है। मतदान मिथक पर तरह से किले की तरह लाइन बना दी है। भारी मात्रा में मतदान कर रही है। सुशासन की सरकार में....बिहार में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है...माताओं और बहनों को सम्मान मिला है... और इसलिए वे भारी संख्या में वोट देने के आज सारे रिकॉर्ड तोड़ रही है। बिहार में कांग्रेस-RJD के लोगों ने अनेक दशकों तक सरकारें चलाईं.. लेकिन उनको कभी जीविका दीदी बनाने की याद नहीं आई... उनको लखपति दीदी बनाने के बारे में कभी सोचा ही नहीं... उन्हें पशुपालक बहनों के खाते में सीधा पैसा डालने का ख्याल ही नहीं आया... उनको कभी ये याद नहीं आया कि... बहनों का बैंक खाता खुलवाना है... उन्होंने ये भी नहीं सोचा.. कि आवास योजनाओं के घर बहनों के नाम पर कराना है...

साथियों,

ये काम NDA की डबल इंजन सरकार कर रही है। मोदी ने बहनों के जन-धन खाते खुलवाए... आज नीतीश जी की सरकार...सीधे दस-दस हज़ार रुपए, नए-नए रोजगार शुरू करने के लिए बहनों के खाते में जमा कर रही है। अभी तक एक करोड़ चालीस लाख बहनों के खाते में ये पैसा पहुंच चुका है। आप कल्पना कीजिए... अगर बिहार का सबसे भ्रष्ट परिवार...और देश का सबसे भ्रष्ट परिवार... जो दोनों आभी जमानत पर बाहर है, ये दोनों अगर सत्ता में होते... तो ये पैसे बहनों के खाते में नहीं, ये कांग्रेस-आरजेडी के नेताओं की तिजोरी में पहुंच जाते।

साथियों,

अभी तो सत्ता से इनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है.. तब भी एक दूसरे को नीचा दिखाने में जुटे हुए हैं। ये नाम के साथी हैं...काम तो एक-दूसरे को नीचे घसीटने का ही कर रहे हैं। आप मुझे बताइए साथियों... शहर में RJD वालों के इतने पोस्टर लगे हैं... आपने उनमें कांग्रेस के नामदार की एक भी तस्वीर देखी है क्या? दिखाई दिया है क्या.. अगर कहीं होगी भी....तो दूरबीन से देखे बिना दिखेगी नहीं। अब दूसरी तरफ आप लोग... कांग्रेस के नामदारों की रैलियां देखिए... उनमें कांग्रेस के नामदार...आरजेडी के नेता का नाम तक नहीं लेते। ऐसी छूआछूत..ऐसी छूआछूत कि एक दूसरे की छाया से उनको डर लगता है। आरजेडी के नेता जो घोषणा करते हैं...उस पर कांग्रेस के नेता चुप हो जाते हैं।

साथियों,

असल में बीते कुछ महीने से कांग्रेस के नेता दावा कर रहे थे कि...उनकी पार्टी बड़ी है और आरजेडी तो छोटी पिछलग्गु है। लेकिन आरजेडी वालों ने कांग्रेस के इस अहंकार को चुनौती दे दी। उनके नामदार के अहंकार को चुनौती दे दी, और उन्होंने तय कर लिया मैं तो मरूं तुझे मार कर के रहूंगा। ये एक दूसरे को मारने में लगे हैं। और कांग्रेस की कनपटी पर कट्टा रखकर...सीएम पद की उम्मीदवारी चोरी कर ली। अब कांग्रेस के लोग आरजेडी से बदला लेने में जुटे हैं। ये जो कांग्रेस के नामदार हैं...वो काफी समय से गायब है। लोग बताते हैं कि ये तो बिहार आना भी नहीं चाहते थे... इनको जबरदस्ती यहां लाया गया है... लेकिन अब ये उल्टा आरजेडी को ही नुकसान पहुंचा रहे हैं। सत्ता के स्वार्थ के लिए जो अपने साथियों के साथ ऐसा दगा कर सकते हैं... वे बिहार के लोगों के हितैषी कभी नहीं हो सकते।

साथियों,

मोदी आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए काम कर रहा है... स्वदेशी को बढ़ावा दे रहा है...वोकल फॉर लोकल पर बल दे रहा है। ये जो आपलोग चीजें बनाते हैं ना.. मोदी कहता है ये पूरे हिंदुस्तान में बिकनी चाहिए... आप जो चीजें बनाते हैं... वो चीजें दुनिया में बिकनी चाहिए। अगर आपकी चीजें देश और दुनिया में बिकेगी.. तो यहां के लोगों को फायदा होगा कि नहीं होगा? आप जरा जवाब दीजिए फायदा होगा कि नहीं होगा? यहां के लोगों को रोजगार मिलेगा कि नहीं मिलेगा? यहां के लोगों की कमाई बढ़ेगी कि नहीं बढ़ेगी? तो हम सब ने यहां की बनी हुई चीजों की खरीद करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए? यहां बनी हुई चीजें बेचनी चाहिए कि नहीं बेचनी चाहिए? हम दिन रात गांव-गांव, गली-गली जाकर ये कह रहे हैं। हमारे अभियान से... यहां के रेशम उत्पादक... हमारे बुनकर भाई-बहन... हमारे कारीगर भाई-बहन, हमारे विश्वकर्मा साथियों को बहुत बड़ा फायदा मिलेगा। भागलपुर का रेशम, मंजूशा आर्ट...मधुबनी की कला, दरभंगा का मखाना, मुजफ्फरपुर की लीची, ये सब हमारे गौरव हैं। हम एक जिला, एक उत्पाद अभियान के तहत, बिहार के हर जिले के उत्पादों को दुनिया तक पहुंचाने में जुटे हैं। लेकिन साथियों, क्या आपने कभी आरजेडी को आत्मनिर्भरता की बात करते सुना है क्या? क्या कांग्रेस के नेताओं को स्वदेशी की चर्चा करते सुना है क्या? जो यहां बनता है वो बिकना चाहिए उनके मुंह से निकलता है क्या? क्या दुश्मनी है गरीबों से? क्या दुश्मनी है छोटे-छोटे कारीगरों से? क्या दुश्मनी है जो गरीब लोग चीजें बनाते हैं उससे? आत्मनिर्भरता और स्वदेशी ये कांग्रेस और उनके साथियों ने उनकी डिक्शनरी में ये शब्द ही नहीं रख है। जंगलराज की जिस पाठशाला में ये RJD वाले पढ़े हैं ना... वहां अ से अपहरण...और अ से अत्याचार ही पढ़ाया जाता है। RJD के लोगों को फ से फिरौती और र से रंगदारी ही समझ आता है। उनकी पाठशाला में प से परिवारवाद सिखाया जाता है। घ से घोटाले की सीख दी जाती है। RJD का ककहरा है- कट्टा, क्रूरता, कटुता, कुसंस्कार, करप्शन और कुशासन।

साथियों,

कांग्रेस और RJD ने बिहार के समाज को भी बांटने का पाप किया है। RJD ने बिहार को...जातीय दंगों में झोंक दिया... तो कांग्रेस ने...मज़हबी दंगे करवाए, भड़काए। भागलपुर दंगों का दाग...कांग्रेस अपने दामन से कभी नहीं छुड़ा पाएगी। जैसे सीखों की हत्या का दाग कांग्रेस के दामन से मिट नहीं सकता वैसे ही भागलपुर के हत्याकांड का दाग कांग्रेस के दामन से कभी हट नहीं सकता। ये दंगे कांग्रेस के कुशासन का सबसे बड़ा प्रतीक हैं।

साथियों,

विनाश की राजनीति करने वालों को...आरजेडी-कांग्रेस वालों को बिहार का विकास पसंद ही नहीं है। आप से बेहतर ये कौन जानता है... कि इन्हीं दलों की कुनीतियों के कारण बिहार के नौजवानों को पलायन का अभिशाप सहना पड़ा... लेकिन NDA ने ठाना हुआ है बिहार का नौजवान... बिहार में काम करेगा...बिहार का नाम करेगा। ये NDA का संकल्प है। हमारा प्रयास है कि बिहार...टेक्नोलॉजी, टेक्सटाइल और टूरिज्म का हब बने। हमारा बिहार सिल्क के लिए जाना जाता है... हमारा प्रयास है कि बिहार अब सेमीकंडक्टर के लिए पहचाना जाए। इस बार संकल्प पत्र हमने जो आपके सामने रखा है... उसमें भी एक करोड़ रोजगार देने की घोषणा की गई है। ये सिर्फ घोषणा नहीं हैं... इसके लिए हमने एक पक्का रोडमैप भी तैयार किया है।

साथियों,

रोजगार के लिए एक अहम ज़रूरत...बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर की होती है। NDA की डबल इंजन सरकार...इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में बिहार का कायाकल्प कर रही है। इसका प्रमाण हमारा...विक्रमशिला पुल है। फोर लेन वाला ये ब्रिज ट्रैफिक जाम से राहत देगा और शहर की आवाजाही आसान कर देगा। इसी तरह, कोसी पर 7 किलोमीटर लंबा चार लेन का पुल बन रहा है। इससे दूरी भी घटेगी...समय और किराए-भाड़े की भी बचत होगी। आज बिहार का ऐसा कोई कोना नहीं है जहां निर्माण कार्य ना हो रहा हो... आज चारों तरफ हाईवे, एक्सप्रेसवे, हाई-स्पीड कॉरिडोर.बनाए जा रहे हैं। साथियों, हमारी सरकार ने बक्सर-भागलपुर हाईस्पीड कॉरिडोर को भी स्वीकृति दे दी है। इससे भागलपुर और आसपास के सभी जिलों को बहुत फायदा होगा। यहां हज़ारों करोड़ रुपए का नया निवेश आएगा।

साथियों,

आज बिहार में बिजली की बहुत अच्छी व्यवस्था हो रही है। बिहार के सामान्य परिवारों का बिजली बिल कम हुआ है... क्योंकि आज बिहार राज्य में ही काफी बिजली पैदा कर रहा है.. NDA की डबल इंजन सरकार, बिहार में बिजली के अनेक नए कारखाने भी लगा रही है। यहां पीरपैंती में एक बड़ा बिजली कारखाना बन रहा है। बक्सर और नवीनगर में भी बड़े-बड़े कारखाने लग रहे हैं। आज बिहार में ऐसे काम हो रहे हैं...इसलिए निवेशक यहां आने के लिए, यहां नई फैक्ट्रियां, नई कंपनियां खोलने के लिए आतुर हैं। लेकिन साथियों आपको बहुत सतर्क रहना है... अगर निवेशकों को किसी भी तरह की अस्थिरता की आशंका हो गई... RJD-कांग्रेस और लालझंडा गैंग इनका ये जंगलराज की अगर आहट भी मिल गई... तो निवेशक...उल्टे पांव वापस भाग जाएगा। बिहार के नौजवानों के लिए बन रहे अवसरों पर ब्रेक लग जाएगा। आपको...11 नवंबर को वोटिंग वाले दिन... इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए... एनडीए के पक्ष में भारी मतदान करना है।

साथियों,

बिहार के नौजवानों के लिए अवसरों से भरा एक और सेक्टर है...जिस पर हमारा बहुत अधिक फोकस है। ये सेक्टर है पर्यटन का, तीर्थ यात्राओं का...हैरिटेज टूरिज्म का है। यहां तो गंगा जी का किनारा भी है... यहां विक्रमशिला का गौरव भी है... अंग प्रदेश की इस धरती को इतिहास, आस्था और संस्कृति के लिए जाना जाता है। यहां की हर पहाड़ी, हर पहाड़ी हर घाट, हर मंदिर अपनी एक कहानी कहता है।

साथियों,

एनडीए सरकार ने बांका के मंदार पर्वत पर रोपवे सेवा शुरू की है। अब उज्जैन और काशी की तरह ही, अजगैबीनाथ कॉरिडोर भी बनाया जा रहा है। मां गंगा की अमृत धारा...विकसित बिहार की धारा बन रही है। यहां जो डॉल्फिन मछली है...वो बहुत बड़ा आकर्षण है... साथियों, गंगा जी से हमारे नाविकों को, हमारे युवाओं को अधिक से अधिक कमाई के अवसर मिलें...ये टूरिज्म और ट्रांसपोर्ट बढ़ने से ही संभव होगा। गंगा जी पर जो नदी-जलमार्ग बना है...इससे भागलपुर को बहुत फायदा होगा।

साथियों,

एक तरफ NDA सरकार, बिहार की धरोहर को दुनिया तक पहुंचाने में जुटी है... वहीं दूसरी तरफ...कांग्रेस वाले, RJD वाले.. हमारी आस्था का अपमान कर रहे हैं। आपने कांग्रेस के शाही परिवार के नामदार की बातें सुनी होंगी... उन्होंने छठ महापर्व को ड्रामा बताया है, नौटंकी बताया। अरे हमारी माताएं-बहनें छठ मैइया की तपस्या करती है, पानी तक नहीं लेती है। आप मुझे बताइए साथियों... छठ महापर्व का अपमान... बिहार का अपमान है कि नहीं नहीं है? माताओ-बहनों की तपस्या का अपमान है कि नहीं है? ये सूर्यपुत्र, अंगराज कर्ण की भूमि है। आपको अपनी शक्ति का परिचय करना है। बिहार के उज्ज्वल भविष्य का फैसला करना है। आपके बच्चों के भविष्य के लिए एनडीए की मजबूत सरकार बनाने के लिए आपके एक वोट की बहुत बड़ी ताकत है। और उस वोट की ताकत से एनडीए की मजबूत सरकार तो बनानी है, लेकिन छठ महापर्व का अपमान करने वालों को कड़ी से कड़ी सजा भी करनी है।

साथियों,

जो लोग तुष्टिकरण के लिए हमारी आस्था का अपमान करते हैं... वो पर्यटन और तीर्थयात्रा पर बल दे ही नहीं सकते। ये RJD और कांग्रेस वाले...तुष्टिकरण के लिए घुसपैठियों को बचाने में लगे हैं। एक समय था...इन्होंने राजनीतिक लाभ के लिए माओवादी आतंक को बढ़ावा दिया... अपहरण-फिरौती वालों के सिर पर हाथ रखा... उसका परिणाम बिहार की कई पीढ़ियों ने भुगता है। अब ये घुसपैठियों को बचाने में जुटे हैं। ये घुसपैठिए...देश की सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा हैं। आपको अपने एक वोट से...RJD-कांग्रेस वालों की हर साजिश का परमानेंट इलाज करना है।

साथियों,

आपको NDA के साथियों को विजयी बनाना है। जब बिहार की हर सीट पर एनडीए का उम्मीदवार जीतेगा... तो हर बूथ पर हर कार्यकर्ता का सम्मान बढ़ेगा... आपका वोट, मोदी को मिलेगा आपका वोट नीतीश जी को मिलेगा। आपको मेरा एक और काम करना है...आप जब आने वाले तीन-चार दिन लोगों के पास जाएंगे.. तो कहना है कि मोदी जी आए थे.. मोदी जी ने आपको प्रणाम भेजा है। मेरा प्रणाम पहुंचा देंगे। कई लोग छठ महापर्व मनाने क लिए गांव आए हुए हैं। उनको भी मिलिए और कहिए कि मोदी जी ने कहा है कि अगर आपका वोट यहा है, तो वोट डालकर के जाइए, वोट डाले बिना जाना नहीं है। थोड़े दिन और रुक जाइए.. मैं मेरे सभी उम्मीदवारों से आग्रह करता हूं जरा आगे आ जाएं.. इस चुनाव में जो उम्मीदवार हैं वो आगे आ जाएं... मैं हरेक के पास नमस्ते करने के लिए जाना चाहता हूं। आप सब भारत माता की जय बोलकर के इस सब को विजय की गारंटी दे दीजिए...इस सबको आशीर्वाद दीजिए... भारत माता की... भारत माता की... भारत माता की... बहुत बहुत धन्यवाद।