2025 तक, भारत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मामले में विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। यह एक बड़ी उपलब्धि है, जिससे भारत अब केवल संयुक्त राज्य अमेरिका, चीन और जर्मनी से पीछे रह गया है। पिछले एक दशक में नरेंद्र मोदी सरकार के सुधारों की वजह से भारत विश्व की शीर्ष पाँच अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो गया है।
जापान और यूनाइटेड किंगडम जैसे आर्थिक रूप से शक्तिशाली देशों को पीछे छोड़ते हुए, भारत का यह उदय पिछले दशक के नीतिगत और आर्थिक सुधारों, और 1.4 अरब नागरिकों की मेहनत का परिणाम है। यह उपलब्धि केवल आंकड़ों की जीत नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की मजबूत स्थिति का प्रतीक है।
आर्थिक विकास की नींव
भारत ने समावेशी विकास की दिशा में मजबूत कदम उठाए हैं। 2014 में शुरू की गई मेक इन इंडिया पहल, ने देश में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया है। इस से इलेक्ट्रॉनिक्स, रिन्यूएबल एनर्जी और अन्य क्षेत्रों में विदेशी निवेश तेजी से बढ़ा है। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम ने भी भारत की तकनीकी प्रगति को रफ्तार दी है और देश विश्व की कुछ सबसे एडवांस डिजिटल इकॉनमी में से एक बनकर उभरा है।
इस डिजिटल परिवर्तन का सबसे महत्वपूर्ण आधार यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) है, जिसने डिजिटल भुगतान को आसान बनाया और केवल वर्ष 2024 में ही भारत में 100 अरब से अधिक लेन-देन दर्ज किए गए। यह उपलब्धि वैश्विक स्तर पर सराहना प्राप्त कर चुकी है। साथ ही, 5G तकनीक के व्यापक उपयोग ने कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया है, जिससे व्यवसाय और लोग लाभान्वित हुए हैं।
बुनियादी ढांचे का विकास भी भारत की आर्थिक प्रगति का एक प्रमुख आधार बना है। नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन के तहत 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक की परियोजनाएँ शुरू की गई हैं, जिनमें हाई-स्पीड रेल, आधुनिक हवाई अड्डे और स्मार्ट शहर शामिल हैं। इन प्रयासों ने न केवल देश के भीतर संपर्क को बेहतर बनाया है, बल्कि भारत को वैश्विक व्यापार और निवेश के लिए आकर्षक गंतव्य बनाया है।
युवा वर्कफोर्स की ताकत
भारत की आर्थिक सफलता का आधार उसका युवा और ऊर्जावान वर्कफोर्स है, जिसकी औसत आयु 28 वर्ष है। भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम विश्व में सबसे बड़ा है, जो फिनटेक, ई-कॉमर्स और आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में नई कंपनियों को जन्म दे रहा है। ये स्टार्टअप्स वैश्विक इनोवेशन सेंटर जैसे सिलिकॉन वैली को टक्कर दे रहे हैं। शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों ने इस गति को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वर्कफोर्स में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने भी भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया है। ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों ने शहरी-ग्रामीण अंतर को कम किया है, जिससे समावेशी विकास को बढ़ावा मिला है।
भारत का फार्मास्यूटिकल उद्योग, जिसे ‘विश्व की फार्मेसी’ कहा जाता है, 200 से अधिक देशों को सस्ती दवाएँ और टीके उपलब्ध कराता है। कोविड-19 महामारी के दौरान भारत के टीका उत्पादन ने वैश्विक स्वास्थ्य में उसकी भूमिका को और मजबूत किया।
वैश्विक मंच पर भारत
भारत के आर्थिक विकास ने देश को वैश्विक मंच पर एक प्रभावशाली भूमिका दी है। वर्ष 2023 में G20 की अध्यक्षता के दौरान भारत ने जलवायु, डिजिटल भागीदारी और आर्थिक स्थिरता जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर विकसित और विकासशील देशों के बीच अंतर कम करने का प्रयास किया। भारत ने 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन और 2030 तक 50% ऊर्जा रिन्यूएबल स्रोतों से प्राप्त करने का लक्ष्य रखा है। अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन और सौर-पवन ऊर्जा में निवेश ने भारत को हरित प्रौद्योगिकी में अग्रणी भूमिका दी है। साथ ही, चंद्रयान-3 की चांद पर लैंडिंग ने भारत की वैज्ञानिक क्षमता को विश्व के सामने प्रदर्शित किया।
व्यापार और कूटनीति
भारत ने एशिया, यूरोप और अमेरिकी महाद्वीप के देशों के साथ मजबूत साझेदारी बनाई है। क्वाड गठबंधन (भारत, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया) हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। आसियान-भारत शिखर सम्मेलन जैसे मंचों ने व्यापार और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा दिया है। अनुमान है कि 2030 तक भारत का द्विपक्षीय व्यापार 300 अरब डॉलर तक पहुँच जाएगा।
निष्कर्ष
भारत का विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना केवल आर्थिक उपलब्धि नहीं, बल्कि नीतियों, इनोवेशन और जनता की मेहनत का परिणाम है। डिजिटल क्रांति, बुनियादी ढांचे का विकास, युवा शक्ति और वैश्विक साझेदारी भारत को एक आर्थिक महाशक्ति बना रहे हैं। यह उत्थान भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक मजबूत और प्रेरणादायक भूमिका निभाने के लिए तैयार करता है।