भारत माता की…जय
भारत माता की...जय
ये जो ऊपर हैं आप सुरक्षित हैं क्या? देखिए, संभालिए अपने आपको। अगर आपको कुछ हो गया तो मुझे बहुत दुख होगा। मेरी रिक्वेस्ट है कि अगर आपको ऐतराज न हो तो नीचे आ जाएं। नीचे आ जाइए। देखिए ऐसा रिस्क नहीं लेना चाहिए।
मैं तो आपका ही हूं, दोबारा आऊंगा फिर मिलूंगा।
भारत माता की...जय
भारत माता की...जय
मंदिरों, मठों, आस्था, अध्यात्म, संस्कृति, ज्ञान और राष्ट्रवादियों की पावन भूमि को मैं आदरपूर्वक नमन करता हूं। रामनवमी की आप सभी को बहुत-बहुत
शुभकामनाएं 14 अप्रैल कल हमारे देश के संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर जी की जन्म जयंती भी है। मैं उन्हें भी श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं। मैं पूछ रहा था क्या कन्नड़ में इंटरप्रटेशन की जरूरत है क्या? आप सभी का अब मत यहीं है हम तो लोकतंत्र वाले हैं आप जो कहेंगे वो करेंगे लेकिन, भाइयो-बहनो, मैंगलुरु में इसी मैदान में मैं कई बार आया हूं, लेकिन आज ऐसा लग रहा है जैसे केसरिया समंदर लहरा रहा है, केसरिया रंग से आपने सब कुछ रंग दिया है आज, और मैं एयरपोर्ट से यहां आया बड़ा लम्बा सफर होता है जब मैं देख रहा था कि पूरे रास्ते भर दोनों तरफ ह्यूमन चेन नहीं, ह्यूमन वॉल बना हुआ था तो मेरे मन में शक हुआ की इतने लम्बे रास्ते पर लाखों लोग खड़े हैं तो यहां कौन होगा, लेकिन मैं हैरान हूं। वहां भी उतने ही लोग यहां भी उतने ही लोग। साथियो, जब भी दक्षिण कन्नड़ और उडुपी आता हूं तो आपका यह स्नेह देख कर अभिभूत हो जाता हूं। आपके इसी विश्वास ने मुझे देशहित में बड़े और कड़े फैसले लेने की ताकत दी हैं। ये मोदी है जो सिर्फ मखन पर लकीर करने वाला नहीं ये पत्थर पर भी लकीर करता है। इन फैसलों में आपने जो साथ दिया हैं उसके लिए मैं आज मैंगलुरु की धरती से पूरे कर्नाटक का पूरे हिंदुस्तान का हृदय से धन्यवाद करता हूं। मैं पिछले 5 साल जो कुछ भी कर पाया हूं,
भाइयो बहनो, आप मुझे बताइए आज दुनिया में हिंदुस्तान का डंका बज रहा है कि नहीं बज रहा है। भारत का जय-जय कार हो रहा है कि नहीं हो रहा है? अमेरिका में भी हो रहा है कि नहीं हो रहा है? इंग्लैंड में भी हो रहा है कि नहीं हो रहा है? रूस में भी हो रहा है कि नहीं हो रहा है? कनाडा में भी हो रहा है की नहीं हो रहा है? ये क्यों हो रहा है? गलत गलत गलत। ये मोदी के कारण नहीं हो रहा है, ये आपके एक वोट के कारण हो रहा है ये 2014 में अपने मुझे जो आशीर्वाद दिए आपके साथ के कारण मुझे ताकत मिली उसके कारण कड़े फैसले हो पा रहे हैं भाइयो। और इसके लिए मैं आज मैंगलुरु की जनता से सर झुका कर अभार व्यक्त करने आया हूं। साथियो, इस बार का चुनाव कौन सांसद बने, कौन प्रधानमंत्री बने, कौन मंत्री बने, ये सिर्फ सरकार चुनने के लिए चुनाव नहीं है, लेकिन 21वीं सदी के भारत, नया भारत कैसा होगा हम सबने ये तय करना हैं। इस चुनाव में फैसला करना है। नए भारत के संस्कार और प्रेरणा क्या होगी। ये आप सभी को तय करना हैं तय करेंगे न, करेंगे न, अपना पराया तो नहीं देखेंगे न, गिला-शिकवा तो नहीं करोगे न, देश की चिंता करोगे न, देश के लिए वोट करेंगे न? पक्का पक्का..?

साथियो, कांग्रेस-जेडीएस और उस जैसे अनेक दलों की प्रेरणा परिवारवाद हैं और हमारी प्रेरणा राष्ट्रवाद हैं। वो अपने परिवार के आखिरी सदस्य तक को सत्ता का लाभ देने के रास्ते खोजते रहते हैं, हम लोग हम समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े वो लोग उनको आगे लाने के लिए मेहनत कर रहे हैं। उनका दर्शन वंशोदय है। हमारा दर्शन अंत्योदय है। उनके वंशोदय से भ्रष्टाचार और अन्याय पैदा होता है। हमारे अंत्योदय से पारदर्शिता और ईमानदारी की प्रतिष्ठा बढ़ती है। उनका वंशोदय अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को नजर अंदाज करता है। हमारा अंत्योदय एक चायवाले तक को प्रधानमंत्री बना देता है। उनके वंशोदय ने गरीब को सिर्फ नारे दिए। हमारे अंत्योदय ने आज भारत में गरीबी कम की है, तेज गति से कम की है इतना ही नहीं देश में निओ-मिडिल क्लास का निर्माण किया है। उनके वंशोदय ने दलालों और बिचौलियों के हाथ मजबूत किए। हमारे अंत्योदय ने जनधन, आधार, मोबाइल को मिलाकर JAM जैम आधुनिक व्यवस्था बनाई। उनके वंशोदय ने तुष्टिकरण को अपनी राजनीति का आधार बनाया। हमारे अंत्योदय ने सबका साथ, सबका विकास का मार्ग चुना। उनका वंशोदय सिर्फ अपने परिवार का महिमामंडन करता है। हमारा अंत्योदय समाज के अनजान चेहरों का भी सम्मान करता है।

भाइयो-बहनो, ये फर्क आपको समझ में आता है, ये फर्क आपको समझ आता है ये फर्क आपके गले उतरता हैं, आप इस फर्क को महसूस करते हैं। मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं वरना साथियो आज से 5 साल पहले कौन सोच सकता था कि किसी आदिवासी इलाके में गरीबों की सेवा करने वालों को या किसी गांव में पौधों की प्रजातियों को बचाने वाले को, उनको भी कभी भारत के गौरव सम्मान पद्म श्री जैसा सम्मान भी मिल सकता है? मिला है कि नहीं मिला है? आपके कर्नाटक के भी ऐसे लोगों को मिला है कि नहीं मिला है ये फर्क हुआ की नहीं हुआ। राष्ट्रपति भवन में जब टूटे-फूटे चप्पल पहने हुए किसी बुजुर्ग को जब मैं गर्व के साथ पद्म श्री सम्मान ग्रहण करते देखता हूं, तो मन में यहीं आता है, तो मन में यहीं आता है, यहीं मेरा सच्चा भारत है, अपने सामर्थ्य पर भरोसा करने वाला भारत, अपने संसाधनों पर भरोसा करने वाला भारत, अपने सपनों पर भरोसा करने वाला भारत अफसोस की कांग्रेस ने स्वंत्रता के बाद इस भारत को, हमारे भारत को वो शाशन नहीं दिया जिसके लिए हिंदुस्तान हकदार था। भाइयो और बहनो, कांग्रेस को 20वीं सदी ने एक मौका दिया वो मौका उसने एक परिवार को समर्पित कर दिया, गंवा दिया हुआ की नहीं हुआ ऐसा? सब एक ही परिवार के लिए हुआ की नहीं हुआ? अभी मैं रामनाथपुरम से आ रहा हूं आपको मालूम है वहां हमने अब्दुल कलाम जी का एक बहुत बड़ा स्मारक बनाया है। आप मुझे बताइए डॉक्टर राधाकृष्णन जी भारत के राष्ट्रपति थे कि नहीं थे? थे कि नहीं थे? हमारे कर्नाटक का गौरव थे कि नहीं थे? क्या कभी इस भारत सरकार ने उनका ऐसा स्मारक बनाया है क्या? उनके परिवार के ढेर सारे स्मारक है लेकिन इस देश के किसी पूर्व राष्ट्रपति को ऐसा सम्मान नहीं दिया गया। यहीं इनके परिवार का मामला था भाइयो। भाइयो बहनो, डॉक्टर राधाकृष्णन जी ने अपना पूरा जीवन कर्नाटक की सेवा में खपा दिया था खपाया था की नहीं खपाया था ?

भाइयो बहनो अब 21वीं सदी कांग्रेस को उसके गुनाहों की सजा दे रही हैं। साथियो, आज यानि 13 अप्रैल को जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 वर्ष हो रहे हैं। मैं इस बर्बर नरसंहार में शहीद हुए प्रत्येक व्यक्ति को नमन करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं। साथियो जो राष्ट्र, अपने बलिदानियों, अपनी परम्पराओं,अपने इतिहास को भूल जाते हैं, जो जड़ो से कट जाता हैं वो मिट जाते हैं। आज मोदी जब अपने इन शहीदों को याद करता है, तो कांग्रेस और उसके साथियों दिक्कत होती है। जब जलियांवाला बाग के शहीदों के नाम पर दिल्ली में याद-ए-जलियां म्यूजियम बनता है, तो इन्हें मोदी आंख में अखरता है। दुख होता है जब दशकों के इंतजार के बाद पूर्व फौजियों की वन रैंक वन पेंशन की मांग पूरी की जाती है तो इन्हें भी मोदी से दिक्कत होती हैं, भाइयो बहनो, इनका खुद का बर्ताव ऐसा रहा है, जो इनका देश की सेनाओं के प्रति रवैया दिखाता हैं। सर्जिकल स्ट्राइक होती है तो ये लोग सबूत मांगने के लिए निकल पड़ते हैं। भाइयो बहनो, आपको इस देश के सपूतों पर भरोसा है कि नहीं है? हमारे सपूत पराक्रमी हैं कि नहीं है? हमारे सपूत वीर है कि नहीं है? क्या हमारे सपूतों के लिए सबूत की जरुरत पड़ती है क्या? हमारे सपूतों के लिए सबूत की जरुरत पड़ती है क्या? जब भारत आतंकियों को घर में घुसकर मारता है, भारत आतंकियों को घर में घुसकर मारता है तो ये पूरी पलटन, ये महामिलावटी लोग सेना के पराक्रम पर भी सवाल उठाने के लिए आगे आ जाते हैं। ये लोग इतने नीचे गए है कि देश के सेनाध्यक्ष को भी गली का गुंड़ा कहते हैं। गली का गुंडा कहते हैं। इनको शर्म करनी चाहिए कि नहीं करनी चाहिए? लेकिन ये करेंगे क्या शर्म हो तो करेंगे ना.? इतना ही नहीं देश के सेनाध्यक्ष को झूठा है यहां तक बोल देते हैं।
साथियो, जो राष्ट्र अपने बलिदानियों, अपनी परम्पराओं, अपने इतिहास को भूल जाते हैं उनसे कभी भी हम ऐसी अपेक्षा नहीं कर सकते है, लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने भारत की परंपरा को मजबूत करने के बजाए उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया। भाइयो और बहनो, मैं सिर्फ एक उदाहरण देता हूं राजनीति, कोर्ट, चुनाव सब अपनी जगह है। लेकिन आज की सच्चाई यहीं है कि अपनी आस्था जताना भी अपराध बन गया है। उसे अपराधी करार दिया जाता है। मैं कल केरल में था, वहां स्तिथि ये बना दी गई है कि सार्वजनिक रूप से वहां कम्युनिस्टों की सरकार है, ये गठबंधन का हिस्सा है। ये महामिलावटी लोग है। वहां पर स्थिति ऐसी पैदा की गयी है की सार्वजानिक तौर पर से कोई भी नागरिक भगवान अयप्पा का नाम नहीं ले सकता, सबरीमाला बोलने पर आप पर मुकदमा चलता है। जेल में ठूंस दिया जाता है, मैं कल जिस क्षेत्र में गया था। वहां के कैंडिडेट को 15 दिन तक जेल में बंद किया कल कोर्ट ने उसको जमानत दी तब आया वो। क्या ये लोकतंत्र का तरीका ठीक है क्या? ये आपका अपमान है कि नहीं है? क्या भगवन अयप्पा का नाम बोल सकते है कि नहीं बोल सकते है? क्या सबरीमाला के प्रति श्रद्धा रख सकते है कि नहीं रख सकते है?
साथियो,महामिलावट के इस कांग्रसी कल्चर में सर्फ हमारी परम्पराओं को नहीं नुकसान पहुंचाया , इन्होंने हमारे डिफेंस को कमज़ोर किया, हमारी इकॉनॉमी को भी तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। देश के बैंकिंग सेक्टर को तो ये लोग 2014 में वेंटिंलेटर पर छोड़ कर के गए थे, साथियो आप इसे अच्छी तरह समझ सकते हैं क्यूंकि ये हमारा मैंगलुरु और उडुपी ये तो देश की बैंकिंग क्षेत्र की धरोहर रहा है। कांग्रेस के नामदारों ने फोन बैंकिंग का ऐसा खेल खेला कि बैंक बर्बाद हो गए। साथियो, जितना लोन देश के बैंको ने आजादी से लेकर के 2006 तक दिया, आप विचार करिए आजादी से 2006 यानी करीब-करीब 60 साल, 60 साल में बैंकों ने जितना लोन दिया इन्होंने 2006 से 2014 उससे भी दो गुना लोन दे दिया। बताइए कितना कमीशन निकला होगा ये तो जांच करने पर पता चलेगा।आप बताइए क्या बैंकिंग व्यवस्था ऐसे चलती है। साथियो, चौकीदार ने इस खेल को बंद कर दिया इसीलिए इनमें भगदड़ मची गयी है आप मुझे बोलिए चौकीदार ने ये काम करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? ये खेल बंद होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए भाग रहे है? लेकिन भाग के जाएंगे कहां? ये मोदी है दुनिया में, दुनिया में कही पर भी छिपे ये चौकीदार उनको लाकर के रहेगा। अपने देखा होगा 3 लोग तो जेलों में पड़े है एक मिशेल मामा को ले आए हम, एक सक्सेना को ले आए, एक मिस्टर तलवार को ले आए। इनको पता चलना चाहिए कि 3 आए हैं तो और भी आने वाले हैं। भाइयो-बहनो बच्चों की पढ़ाई हो, युवा की कमाई हो, या फिर किसान की सिंचाई, हर स्तर पर हमने काम किया है। चौकीदार की सरकार देश के करीब 12 करोड़ किसान परिवारों के बैंक में खाते में हर वर्ष 75 हजार करोड़ रुपए जमा कर रही हैं। लेकिन, यहां कांग्रेस-जेडीएस की सरकार ने इसमें भी अपना खेल खेला है। देश के अनेक राज्यों में पीएम किसान योजना की पहली और दूसरी किस्त मिलनी शुरू हो गई है। लेकिन कर्नाटक के लाखों किसान भाई हमारी किसान बहनें अब भी इंतजार कर रहे हैं। कारण ये है कि यहां की सरकार ने भारत सरकार किसानों की लिस्ट देनी थी उसमें भी राजनीति का रंग लगा दिया और लिस्ट देने के लिए तैयार नहीं है। दस बार मांगते है, तो छोटी सी चिठ्ठी पकड़ा देते हैं।
क्या यहां के किसानों को लाभ मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए ये जो कर्नाटक की सरकार रोक रही है वो किसानों की दुश्मन है की नहीं है? उनको सजा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? अरे खुद कर्जमाफी का वादा किया वो तो निभाया नहीं दूसरा कोई करें तो उसको होने नहीं देंगे और इसीलिए इन महामिलावटियों की जमानत जब्त होना जरूरी है। करोगे, पक्का करोगे, वादा? भाइयो और बहनो, हमारी सरकार अपने मछुआरें भाइयो और बहनो के विकास पर भी पूरा ध्यान दे रही है जो हमारे मछुआरें साथी हैं उनके लिए आजादी में बाद पहली बार हमने देश में निर्णय किया है 23 मई को चुनाव नतीजे आएंगे। 23 मई को फिर एक बार मोदी सरकार ........ 23 मई को जब फिर एक बार मोदी सरकार बनेगी तो हमारी नई सरकार हम फैसला लेकर के बैठे हैं की मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय होगा, फिशरमेन्ट की अलग मिनिस्ट्री होगी, किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से भी उन्हें मदद मिलनी शुरू हुई है। इसके इलावा सरकार टोलेर्स को डिप्टी फिशिंग बोर्ड अपग्रेड करने के लिए आर्थिक मदद भी दे रही हैं , मछुआरों को नाविक डिवाइस भी दिया जा रहा है ताकि समय पर हमारे मछुआरों को संकट के समय सुरक्षा मिल सके। बीजेपी ने मछुआरों के लिए मत से सम्पदा ऐलान किया है। भाइयो और बहनो, नए भारत के लिए जितने भी संकल्प इस चौकीदार ने किये है वो आपके सहयोग से ही पूरे हो पाएंगे। आपको इस बार और मजबूती से कमल खिला कर चौकीदार को सशक्त बनाना है। अभी- अभी हमारा असेंबली का चुनाव हुआ है, थोड़ी सी कमी रह गयी, पूरा कर्नाटक बर्बाद हो गया कि नहीं हो गया। छोटी सी गलती ने कितना बड़ा नुकसान कर दिया, क्या अब कर्नाटक फिर से एक बार ऐसा नुकसान होने देगा? पिछली बार जो कमी रह गयी है उसको ब्याज समेत पूरा करेंगे हम। भाइयो बहनो जो मिलावटी लोगों को मजबूर सरकर चाहिए, आप लोगों को कैसी सरकार चाहिए, उनको मजबूर सरकार चाहिए, हम सबको मजबूत सरकार चाहिए। अगर मजबूत सरकार चाहिए तो चौकीदार को भी मजबूत होना चाहिए, आपकी मदद के बिना चौकीदार मजबूत हो सकता है क्या? ये चौकीदार को मजबूत करेंगे, मेरे साथ बोलिए मैं भी....चौकीदार
पूरी ताकत से बोलिए मैं भी...चौकीदार
मैं भी...चौकीदार
बहुत-बहुत धन्यवाद भाइयो
मेरे साथ बोले भारत माता की... जय
भारत माता की... जय
भारत माता की... जय
धन्यवाद।