भारत का रेलवे नेटवर्क, जो दुनिया के सबसे बड़े नेटवर्कों में से एक है, पिछले 10 वर्षों में जबरदस्त बदलाव से गुजरा है। इस बदलाव ने भारतीय रेल को देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर का मजबूत स्तंभ बना दिया है, जो अब आर्थिक विकास, सामाजिक समावेश और सस्टेनेबिलिटी को आगे बढ़ा रहा है।
जहां 2004 से 2014 के बीच कैपिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च ₹3.62 लाख करोड़ था, वहीं 2014 के बाद से यह बढ़कर ₹17 लाख करोड़ से भी ज्यादा हो गया है। इस निवेश ने भारतीय रेल को पहले से ज्यादा सक्षम और असरदार बनाया है, जिससे इसकी पहुंच और प्रभाव दोनों में वृद्धि हुई है। आज भारतीय रेल वैश्विक स्तर पर नए मानक स्थापित कर रही है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार और आधुनिकीकरण
2014 से अब तक, भारतीय रेलवे ने 31,000 किलोमीटर की नई पटरियाँ बिछाई हैं और 45,000 किलोमीटर से अधिक पुरानी पटरियों का नवीनीकरण किया है। सिर्फ 2022-23 में ही औसतन हर दिन 14 किलोमीटर पटरी बिछाई गई, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
ब्रॉड गेज ट्रैक का विद्युतीकरण भी तेजी से हुआ है — 2014 से पहले जहाँ 21,801 किलोमीटर ट्रैक विद्युतीकृत थे, वहीं फरवरी 2025 तक यह आंकड़ा बढ़कर 45,922 किलोमीटर हो गया है। यह आजादी के बाद के छह दशकों में हुई कुल विद्युतीकरण से भी ज्यादा है।
यह तेज़ी से हुआ विद्युतीकरण भारत की कार्बन उत्सर्जन कम करने और भारतीय रेल के 2030 तक के नेट जीरो लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
विश्वस्तरीय ट्रेनों की शुरुआत से यात्रियों को नया अनुभव
वंदे भारत एक्सप्रेस जैसी विश्वस्तरीय ट्रेनों की शुरुआत ने भारतीय रेलवे में क्रांति ला दी है। आज देश में 136 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं, जो यात्रियों को तेज रफ्तार, बेहतर आराम और अधिक कुशल सेवा का अनुभव देती हैं।
इसके साथ ही, आधुनिक और सुरक्षित लिंक-हॉफमैन-बुश (LHB) कोच का उत्पादन भी तेजी से बढ़ा है। जहाँ 2006 से 2014 के बीच सिर्फ 2,209 LHB कोच बने थे, वहीं 2014 से 2023 के बीच यह संख्या बढ़कर 31,956 तक पहुंच गई। अप्रैल 2018 से अधिकांश ट्रेनों में LHB कोचों का ही उपयोग हो रहा है, जिससे यात्रा पहले से कहीं ज़्यादा सुरक्षित और आरामदायक बन गई है।
बेहतर कनेक्टिविटी और क्षेत्रीय विकास
रेलवे कनेक्टिविटी अब उन क्षेत्रों तक भी पहुँच चुकी है, जहाँ पहले रेल सेवा नहीं थी। इसमें मेघालय (नवंबर 2014), अरुणाचल प्रदेश (फरवरी 2015), मणिपुर (मई 2016) और मिजोरम (मार्च 2016) जैसे राज्य शामिल हैं।
अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत 1,300 से ज्यादा स्टेशनों को विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस किया जा रहा है, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधा और Ease of Travel मिल रही है। इन प्रयासों से रेल यात्रा अब और आरामदायक बन गई है, खासकर दिव्यांग यात्रियों के लिए।
यह विस्तार सामाजिक और आर्थिक रूप से बहुत प्रभावशाली साबित हुआ है। बेहतर रेल कनेक्टिविटी से दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले छात्र, कामकाजी लोग और परिवार अब शिक्षा, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक आसानी से पहुंच पा रहे हैं, जिससे शहर और गांव के बीच की दूरी कम हो रही है।
साथ ही, आधुनिक बनाए जा रहे रेलवे स्टेशन स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दे रहे हैं। इससे आस-पास रिटेल, होटल और टूरिज्म जैसी सेवाओं का विकास हो रहा है, नए रोज़गार बन रहे हैं और क्षेत्रीय समृद्धि बढ़ रही है।
पूर्वोत्तर में धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों तक रेल कनेक्टिविटी बेहतर होने से राष्ट्रीय एकता और गर्व की भावना को भी मजबूती मिली है।
मालवाहन में बदलाव और आर्थिक प्रभाव
पिछले ग्यारह सालों में माल परिवहन के क्षेत्र में भारी बढ़ोतरी देखि गई है। 2004 से 2014 के बीच जहाँ 8,473 मिलियन टन माल ढोया गया था, वहीं 2025 तक यह आंकड़ा 14,200 मिलियन टन से भी अधिक हो जाएगा।
डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (DFC) — जिसमें 1,337 किलोमीटर लंबा ईस्टर्न कॉरिडोर और 1,506 किलोमीटर लंबा वेस्टर्न कॉरिडोर शामिल है — अब 97% तक चालू हो चुके हैं। इन कॉरिडोर पर रोज़ चलने वाली मालगाड़ियों की संख्या 2023-24 में 247 थी, जो फरवरी 2025 तक बढ़कर 352 हो गई है।
इन कॉरिडोर की मदद से माल की ढुलाई तेज़, सस्ती और कुशल हो गई है, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत कम हुई है और आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) की कार्यक्षमता में सुधार हुआ है।कम लॉजिस्टिक्स लागत से उद्योगों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने की ताकत मिलती है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात को बढ़ावा मिलता है। छोटे और Medium उद्योगों (SMEs) को अब बाज़ार तक बेहतर पहुंच मिल रही है, वहीं किसानों को जल्दी खराब होने वाले उत्पादों को तेज़ी से बाजार तक पहुंचाने का लाभ मिल रहा है। इससे बर्बादी कम होती है और उनकी आय बढ़ती है।माल ढुलाई की क्षमता बढ़ने से टियर-2 और टियर-3 शहरों में औद्योगिक विकास को गति मिल रही है, जिससे लॉजिस्टिक्स, वेयरहाउसिंग और संबंधित क्षेत्रों में रोज़गार के नए अवसर बन रहे हैं। यह संतुलित क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करता है, जिससे बड़े शहरों का बोझ कम होता है और आर्थिक समानता को बढ़ावा मिलता है।
सुरक्षा और यात्री सुविधाएँ
पिछले एक दशक में रेलवे सुरक्षा मानकों में काफी सुधार हुआ है। ट्रेन हादसों की संख्या में 2.5 गुना की कमी आई है।स्टेशनों पर सीसीटीवी निगरानी भी बड़े स्तर पर बढ़ाई गई है — जहाँ 2014 से पहले सिर्फ 123 स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे थे, वहीं दिसंबर 2024 तक यह संख्या बढ़कर 1,051 हो गई है, जिससे यात्रियों की सुरक्षा और मजबूत हुई है।
यात्रियों को बेहतर सुविधाएँ देने के लिए खर्च में भी लगभग पाँच गुना बढ़ोतरी की गई है, जो यात्रा अनुभव को बेहतर बनाने के प्रति सरकार की मजबूत प्रतिबद्धता( कमिटमेंट) को दर्शाता है। 2013 तक जहाँ सिर्फ 3,647 कोचों में बायो-टॉयलेट लगे थे, वहीं 2023 तक यह संख्या बढ़कर 80,478 हो गई है। इससे यात्राएं पहले से कहीं ज्यादा स्वच्छ हो गई हैं। बढ़ती यात्री मांग को देखते हुए रेलवे कोचों की कुल संख्या 2025 तक बढ़ाकर 79,000 कर दी गई है।
अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत रेलवे स्टेशनों को आधुनिक सुविधाओं, वाई-फाई और सुगमता वाली जगहों में बदला जा रहा है। इससे रेल यात्रा और भी आरामदायक, सुविधाजनक और सबके लिए सुलभ बन रही है।
इंजीनियरिंग की अद्भुत मिसालें और सस्टैनबल विकास
चिनाब ब्रिज — जो दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे पुल है — और बोगीबील ब्रिज — भारत का सबसे लंबा रेल-और-सड़क पुल — जैसी इंजीनियरिंग की शानदार उपलब्धियाँ भारत की तकनीकी क्षमता को दर्शाती हैं। इन परियोजनाओं ने कठिन और दुर्गम इलाकों में कनेक्टिविटी को बेहतर बनाया है। ये प्रोजेक्ट यह साबित करते हैं कि भारत अब भौगोलिक बाधाओं को पार कर दूरदराज क्षेत्रों को भी राष्ट्रीय विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुरू किया गया पीएम गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान रेल इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं को बेहतर ढंग से संचालित करने में मदद करता है। यह योजना मल्टीमोडल कनेक्टिविटी को जोड़कर परियोजनाओं को समन्वित करती है, पर्यावरणीय प्रभाव को कम करती है और जरूरी मंजूरियों की प्रक्रिया को तेज करती है। यह समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि परियोजनाएं कुशलतापूर्वक और टिकाऊ ढंग से पूरी हों।
वैश्विक नेतृत्व और भविष्य का दृष्टिकोण
भारतीय रेलवे में हुआ यह बड़ा परिवर्तन देश को सस्टैनबल ट्रांसपोर्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में विश्व में अग्रणी बना रहा है। रेलवे के विद्युतीकरण की दिशा में उठाए गए कदमों ने न केवल फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता घटाई है, बल्कि संचालन की लागत और कार्बन उत्सर्जन को भी कम किया है । इससे अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक चर्चाओं में भारत की आवाज़ और मजबूत हुई है। अब भारतीय रेलवे की इंजीनियरिंग ज्ञान और कुशलता की मांग विदेशों में भी बढ़ रही है। दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (DMRC) ने जकार्ता में परामर्श सेवा दी है और अब सऊदी अरब और केन्या जैसे देशों के साथ साझेदारी के अवसर तलाश रहा है। इस तरह, भारत का ज्ञान और नवाचार अब वैश्विक स्तर पर उसकी भूमिका और प्रभाव को मजबूत कर रहा है।
पिछले एक दशक में भारत में हुआ रेलवे का क्रांतिकारी परिवर्तन दूरदर्शी नेतृत्व, रणनीतिक योजना और लगातार प्रयासों का प्रमाण है। पीएम गति शक्ति योजना के अंतर्गत रेलवे को देश के व्यापक इन्फ्रास्ट्रक्चर से जोड़कर, सुगम कनेक्टिविटी, आर्थिक विकास और पर्यावरणीय संतुलन सुनिश्चित किया जा रहा है। दूर-दराज के इलाकों को जोड़कर, माल ढुलाई की क्षमता बढ़ाकर, यात्रियों को बेहतर अनुभव देकर और हरित तकनीकों को अपनाकर, भारतीय रेलवे सिर्फ पटरियाँ और ट्रेनें नहीं बना रहा — बल्कि यह पूरे देश को एक सूत्र में बाँध रहा है और अर्थव्यवस्था को समावेशी, समृद्ध और सतत भविष्य की ओर ले जा रहा है।