मन की बात के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के लोगों से 2 अपील की - एक आने वाले समय में एहतियात के तौर पर फेस मास्क पहने और दूसरा, सार्वजनिक स्थानों पर थूकने से बचें। पीएम मोदी ने कहा कि यह दोनों उपाय भारत को कोरोनावायरस महामारी से लड़ने में मदद करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, "कोरोना की वजह से, बदलते हुए हालत में, मास्क भी, हमारे जीवन का हिस्सा बन रहा है। वैसे, हमें इसकी भी आदत कभी नहीं रही कि हमारे आस-पास के बहुत सारे लोग मास्क में दिखें, लेकिन, अब हो यही रहा है। हाँ! इसका ये मतलब नहीं है, जो मास्क लगाते हैं वे सभी बीमार हैं।"
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "जब मैं मास्क की बात करता हूँ, तो, मुझे पुरानी बात याद आती हैं। आप सबको भी याद होगा। एक जमाना था, कि, हमारे देश के कई ऐसे इलाके होते थे, कि, वहाँ अगर कोई नागरिक फल खरीदता हुआ दिखता था तो आस-पड़ोस के लोग उसको जरुर पूछते थे – क्या घर में कोई बीमार है? यानी, फल – मतलब, बीमारी में ही खाया जाता है - ऐसी एक धारणा बनी हुई थी। हालाँकि, समय बदला और ये धारणा भी बदली है।"
पीएम मोदी ने कहा, "आप देखियेगा, मास्क, अब सभ्य-समाज का प्रतीक बन जायेगा। अगर, बीमारी से खुद को बचना है, और, दूसरों को भी बचाना है, तो आपको मास्क लगाना पड़ेगा और मेरा तो simple सुझाव रहता है – गमछा, मुहँ ढ़कना है।"
प्रधानमंत्री ने सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर भी ध्यान दिलाया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वो समय आ गया है कि थूकने की बुरी आदत को हमेशा-हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया जाए और ऐसा करने से कोरोनावायरस को फैलने से रोकने में मदद मिलेगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “हमारे समाज में एक और बड़ी जागरूकता ये आयी है कि अब सभी लोग ये समझ रहे हैं कि सार्वजनिक स्थानों पर थूकने के क्या नुकसान हो सकते हैं। यहाँ-वहाँ, कहीं पर भी थूक देना, गलत आदतों का हिस्सा बना हुआ था। ये स्वच्छता और स्वास्थ्य को गंभीर चुनौती भी देता था।"
पीएम मोदी ने कहा, "कहते हैं कि “better late than never”। तो, देर भले ही हो गई हो, लेकिन, अब, ये थूकने की आदत छोड़ देनी चाहिए। ये बातें जहाँ basic hygiene का स्तर बढ़ाएंगी, वहीं, कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में भी मदद करेगी।"


