प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति के रूप में उनके दो साल पूरे होने के उपलक्ष्य में बधाई दी। इंद्रधनुष और द विंग्स वंडर्स ऑफ राष्ट्रपति भवन, नामक दो पुस्तकों का विमोचन करने के बाद श्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में श्री मुखर्जी के नेतृत्व में देश को नई दिशा और प्रेरणा मिली है। राष्ट्रपति की तुलना परिवार के मुखिया से करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कार्यालय संभालने के बाद उन्हें व्यक्तिगत रूप से श्री मुखर्जी का मार्गदर्शन मिला।
इन दो पुस्तकों के लेखकों को बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि उनका यह लेखन केवल संकलन मात्र नहीं है बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा यह व्यक्तिगत अनुभव की एक अनुभूति है।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित हुए सांस्कृतिक कार्यक्रमों पर लिखी गई किताब इंद्रधनुष पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय कला और संस्कृति में इतनी क्षमता है कि वह दुनिया को अपनी तरफ आकर्षित कर सकती है। भारतीय संस्कृति की समृद्धता पर टिप्पणी करते हुए श्री मोदी ने कहा कि यहां हर समय के लिए एक अलग राग है। उन्होंने कहा कि भारतीय कला प्रत्येक मानव की आत्मा से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि कला को राज्य पर आश्रित नहीं होना चाहिए बल्कि राज्य को उसे प्रोत्साहित करना चाहिए।
दूसरी पुस्तक द विंग्स ऑफ बर्ड्स ऑफ राष्ट्रपति भवन के बारे में उन्होंने कहा कि पक्षियों का भारतीय संस्कृति, इतिहास व पौराणिक कथाओं में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि गरुड़ पुराण में बहुत सारे मानवीय मूल्यों के बारे में बताया गया है जिसकी प्रेरणा पक्षियों से मिली है। उन्होंने कहा कि रामायण के जटायु प्रकरण से हमें आतंकवाद से लड़ने की प्रेरणा मिलती है।
पक्षियों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि पक्षियों से हमें प्रकृति के साथ मेलजोल और सौहार्द के साथ रहने की प्रेरणा मिलती है। उन्होंने कहा कि पक्षियों, पानी और हवाओं के लिए सीमाएं अप्रसांगिक हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि पक्षियों द्वारा घोंसलों के निर्माण से हमें आर्किटेक्चर का अद्भुत उदाहरण मिलता है जो संयोगवश चलन से बाहर हो गया है।
आज सुबह प्रधानमंत्री की उपस्थिति में राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी द्वारा राष्ट्रपति भवन संग्रहालय का उद्घाटन किया गया। इस पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय समाज इतिहास के प्रति बहुत ज्यादा सजग नहीं है। यह संग्रहालय हमारी अनोखी विरासत के एक हिस्से को सहेजने में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि केवल वही समाज इतिहास लिख सकता है जो अपने इतिहास को सहेज कर रखता है।
पर्यावरण संरक्षण की जरूरत का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने अपने प्राकृतिक संसाधनों को अपनी भविष्य की पीढ़ी से उधार लिया है। औऱ हमारा यह कर्त्तव्य बनता है कि इन संसाधनों को हम अगली पीढ़ी को सही सलामत वापस लौटाएं।