Today Madhya Pradesh is touching skies of development and strengthening India's economy: PM Modi
Every state has something to learn from Madhya Pradesh: PM Narendra Modi
The 'Hawalabaaz' are now worried about tough decisions being taken by Govt s against black money: PM
PM Modi urges other parties to support Govt decisions in national interest
Govt at Centre is dedicated to serve the nation, dedicated to development of the nation: PM
Mudra Bank, Jan Dhan Yojana, DBT transforming lives of the poor, says PM Modi
PM Modi urges BJP Karyakartas to organise nationwide Swachhta Abhiyan from Sept 25-Oct 2

मध्यप्रदेश के यशस्वी एवं लोकप्रिय मुख्यमंत्री एवं मेरे मित्र श्रीमान शिवराज जी, मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष श्रीमान नंद कुमार सिंह जी, पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. विनय जी, संगठन महासचिव श्रीमान मेनन जी और विशाल संख्या में पधारे हुए प्यारे कार्यकर्ता भाईयों और बहनों

प्रधानमंत्री बनने के बाद मध्यप्रदेश में तो आना हुआ है और हर बार मध्यप्रदेश ने लाजवाब स्वागत-सम्मान भी किया है लेकिन आज राधधानी में आने का मुझे पहली बार अवसर मिला है और मैं देख रहा हूँ कि आपका पंडाल छोटा पड़ गया है। जितने लोग आये हैं, उससे ज्यादा बाहर हैं; जो बाहर हैं, न मैं उनको देख पा रहा हूँ और न वो मुझे देख पा रहे हैं लेकिन मैं उनके प्यार को अनुभव कर रहा हूँ। मैं आप सब का और मध्यप्रदेश की जनता का बहुत आभारी हूँ क्योंकि पिछले चुनाव में जो भारी समर्थन मध्यप्रदेश ने दिया और पूरे हिंदुस्तान में देखा जाए तो संगठन की दृष्टि से हर प्रदेश मध्यप्रदेश से कुछ-न-कुछ सीखने का प्रयास करता रहा है।

मैं जब गुजरात में भाजपा से नया-नया आया था और संगठन के कार्य की जिम्मेवारी मुझे मिली थी तो हर बार हम आदरणीय कुशाबाबू ठाकरे को याद करते थे। मध्यप्रदेश में कुशाबाबू ठाकरे ने काम कैसे किया... एक-एक कार्यकर्ता को कैसे उन्होंने सजाया, सवांरा; ये सारी चीजें हम सुनते थे और सीखते थे। मध्यप्रदेश आज जो कुछ भी है, कुशाबाबू ठाकरे, राजमाता विजयराजे सिंधिया जैसे अनेक-अनेक कार्यकर्ताओं ने दो-दो, तीन-तीन पीढ़ी इसमें खपा दी है और तब जाकर के वटवृक्ष तैयार हुआ है। ये सच्चे कार्यकर्ताओं की पार्टी है। मध्यप्रदेश का नेतृत्व भी कार्यकर्ता की परंपरा से पनपा हुआ नेतृत्व है, उस कसौटी से निकला हुआ नेतृत्व है और यही हमारी सबसे बड़ी अमानत और पूँजी है। इसलिए मैं मध्यप्रदेश के भाजपा संगठन और उसके कार्यकर्ताओं को एवं कुशाबाबू ठाकरे से लेकर के जो महान परंपरा और विरासत चली है, उन सब का गौरवगान और अभिनन्दन करता हूँ।

राजनीतिक दल की कसौटी चुनाव की जीत और हार के साथ जुड़ जाती है और यह स्वाभाविक भी है क्योंकि लोकतंत्र का यह एक मानदंड माना जाता है। मुझे ख़ुशी है कि मध्यप्रदेश की जनता का भाजपा के प्रति दिन-रात विश्वास बढ़ता ही चला जा रहा है और लगातार एक के बाद एक चुनाव जीतते चले जा रहे हैं। मैं इस विश्वास के लिए मध्यप्रदेश की जनता को नमन करता हूँ। आपने हम पर जो भरोसा रखा है, चाहे हम पंचायत में हों या संसद में, हम जनता-जनार्दन के विश्वास को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। हम परिश्रम की पराकाष्ठा करेंगे और देश को नई उंचाईयों तक ले जाने का निरंतर प्रयास करते रहेंगे।

भाईयों-बहनों, लोकतंत्र में जय और पराजय एक सहज बात होती है। कभी भाजपा सिर्फ दो सांसदों की पार्टी थी। अटल जी समेत सब लोग चुनाव हार गए थे और तब के प्रधानमंत्री श्रीमान राजीव गाँधी संसद के अंदर भाजपा का मजाक उड़ाते थे – ‘दो या तीन बस’। उनका ये मजाक उड़ाना हमें सुनना पड़ता था। एक जमाना था जो दल 400 से भी अधिक सीट लेकर के बैठा था, वो दल अब 40 पर सिमट गया है। हमें 1984 में जो पराजय मिली, हमने उससे सीखने का प्रयास किया; हमने अपनी गलतियों पर अध्ययन किया; हमारी दिशा सही थी कि नहीं थी, उसपर मंथन किया; ऊपर से नीचे तक सबने किया; जनता और पत्रकारों से भी पूछा; साल भर मंथन किया कि इतनी घोर पराजय कैसे हुई। वैसे उस चुनाव को हमारे देश में श्रीमती इंदिरा गाँधी की श्रद्धांजलि के रूप में देखा गया था। लेकिन इसके बावजूद हमने औरों को दोष नहीं दिया; औरों की आलोचना नहीं की। हमने खुद के भीतर झांक करके अपनी कमियों को दूर करने का प्रयास किया और आज स्थिति ऐसी है कि 30 साल के बाद देश की जनता ने पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई।

लोकतंत्र में हर राजनीतिक दल का यह कर्त्तव्य होता है कि अगर जय मिला है तो जनता-जनार्दन के जय के लिए खप जाना होगा और अगर पराजय मिली है तो आत्ममंथन करके लोकतंत्र के लिए अपने आपको अधिक सुदृढ़ कैसे किया जाए, इसका प्रयास करना होगा। लेकिन आज मुझे देश की जनता के सामने कहना पड़ रहा है कि संसद का सत्र... जिसका सत्रावसान हमने नहीं किया था और इस आशा में नहीं किया था कि विपक्षी पार्टियाँ देश की आशा और आकांक्षाओं को समझेगी; जनता-जनार्दन ने जो निर्णय किया है, उसे सर-आँखों पर चढाएगी; अगर जनता ने पराजित किया है और पांच साल तक जिसको विजय मिला है, उसका आदर और सत्कार करेगी। बाद में हम आशा करते थे कि कुछ दिन बाद माहौल शांत होगा और संसद चल पड़ेगी; देश के सामान्य लोगों के काम आने वाले जो महत्वपूर्ण निर्णय अटके पड़े हैं, वो निर्णय हो जाएंगे।

पिछले दिनों मंत्रिपरिषद के वरिष्ठ मंत्री लगातार विरोधी दलों के साथ बात करते रहे। करीब-करीब सभी दल इस बात पर सहमत हुए कि संसद भी चलनी चाहिए, निर्णय भी आगे बढ़ने चाहिए लेकिन एक है कि जो मानता नहीं। मैं समझ नहीं पा रहा कि क्या लोकतंत्र के साथ हमारे अहंकार का टकराव रहेगा क्या। जिनका पराजय हुआ है और जिन्हें जनता ने नकार दिया है, उनको मैं सार्वजनिक रूप से आग्रह करता हूँ कि हम लोकतंत्र के गौरव के लिए... जब विश्व आर्थिक संकट में फंसा पड़ा है तो हिंदुस्तान अकेला इस स्थिति में आज भी स्थिर बना हुआ है। भारत को आगे बढ़ने का एक अभूतपूर्व अवसर मिला है, इस अवसर को हाथ से जाने न देना चाहिए। आईये, संसद में निर्णयों को आगे बढ़ने में सहयोग करें लेकिन हमारी बात नहीं मानी जा रही है। आखिकार बड़े भारी और दुखी मन से हमें कल संसद के सत्रावसान की दिशा में आगे बढ़ना पड़ा। हम आशा करते थे कि हो सकता है, हम फिर से संसद बुला पाएंगे, कुछ निर्णय कर पाएंगे लेकिन उन्होंने होने नहीं दिया। मैं उनकी परेशानी जानता हूँ।

संसद में एक के बाद एक जो निर्णय हुए हैं और उसमें भी काले धन के खिलाफ जो कठोर कानून बनाया है, उसके कारण जो ‘हवालाबाज’ है, वो परेशान है। हवालाबाज लोगों को पैरों के नीचे धरती खिसकती नज़र आ रही है और इसलिए ये हवालाबाजों की जमात लोकतंत्र में रूकावटें पैदा करने का प्रयास कर रही है। मैं देशवासियों को विश्वास दिलाता हूँ कि हम लोकतंत्र की मर्यादा का पालन करते हुए जनता-जनार्दन की आशा-आंकाक्षाओं को पूरा करने में कोई कमी नहीं रहने देंगे। कोई रूकावट आएगी तो उसे पार करने का रास्ता खोज कर रहेंगे।

विकास के लिए हमने अनेक कदम उठाए हैं। ये सरकार ऐसी है जो जिन योजनाओं की घोषणा करती है, उन्हें लागू करने का काम भी करती है। सिर्फ कानून बदल देना, उद्घाटन के फीते काट देना, दीये जला देना; वहां पर अटकने वाली सरकार नहीं है ये, उसको घर-घर तक लागू करने का प्रयास करने वाली सरकार है। देश के सामान्य एवं गरीब से गरीब व्यक्ति का भला कैसे हो... हमने पिछले बजट में मुद्रा बैंक की बात कही थी।

हमारे देश में जो निम्न-मध्यम वर्ग के लोग हैं, गरीबी के साथ जिन्दगी गुजारने वाले लोग हैं; कोई धोबी है, कोई मोची है, कोई अखबार बेचता है, कोई दूध बेचता है, इन सब लोगों को अपने परिवार में कोई छोटा-मोटा काम पड़ जाए तो साहूकारों से कर्ज लेना पड़ता है; कारोबार चलाने के लिए या घर में कोई मेहमान आ गया तो भी 50-100 रूपये का कर्ज लेना पड़ता है और भारी ब्याज चुकाना पड़ता है। ये वो लोग हैं जो आर्थिक व्यवस्था में बहुत बड़ा योगदान देते हैं। हमने मुद्रा बैंक के द्वारा यह तय किया है कि ये जो सामान्य लोग हैं; ठेला चलाते हैं, पकोड़े बेचते हैं, छोटा-मोटा काम करते हैं, उनके लिए अलग से बैंक बनाई गई है और इन लोगों को 10,000 से 50,000 रूपये तक उन्हें ऋण दिया जाए और वे साहूकारों और ब्याजखोरों से बच जाएंगे। ये बैंक उन्हें अपने कारोबारों को बढ़ाने का ताकत देगी और इन लोगों की ताकत है – उनका कारोबार थोड़ा बढे तो और एकाध लोगों को रोजगार मिलेगा। रोजगार देने की सबसे बड़ी ताकत इन छोटे-छोटे व्यापारियों के हाथ में होती है। उनको ताकत देने का ये बड़ा काम – मुद्रा बैंक, हमने अपने हाथों में लिया है।  मुद्रा बैंक जन-धन खातों

विपक्षी दलों को लगता था कि सिर्फ बैंक के खाते खोलने से क्या होता है। क्या होता है, मैं बताता हूँ... हमारे देश में बड़े-बड़े अर्थशास्त्री कहते रहते हैं कि बहुत बड़ी चीजें होनी चाहिए; धमाका हो, ऐसी चीजें होनी चाहिए; ऐसा एक वर्ग है हमारे देश में लेकिन मेरा वो स्वभाव नहीं है। जिन चीजों को मैं करता हूँ, उसका कैसा फर्क पड़ता है... मैं बताता हूँ।

हमारे यहाँ घरों में जो गैस सिलिंडर देते हैं, हमने गैस सिलिंडर को जन-धन खातों और आधार के साथ जोड़ दिया। अब हमने किया कि ये जो गैस सिलिंडर की सब्सिडी है, वो बिचौलियों, दलालों और ठेकेदारों के पास न जाकर सीधे-सीधे जिसका गैस सिलिंडर है, उसके जन-धन खाते में जमा हो जाएगी। आपको अंदाज है कि इससे क्या हुआ? पहले जितने लोग गैस सिलिंडर की सब्सिडी लेते थे, जब वे व्यवस्था बनी तो लगभग 5 करोड़ संख्या कम हो गई, कोई लेने वाला नहीं मिला। इतने सालों से 5 करोड़ लोगों के नाम पर रूपयों के खेल खेले जाते थे। ये हवालाबाजों का खेल चलता था। अब 5 करोड़ लोग मिलते नहीं हैं जिन्हें हम देना चाहते हैं। इसके कारण सरकार की तिजोरी में 19,000 करोड़ रूपया हर वर्ष बचेगा। यह 19,000 करोड़ रूपया चोरी होता था कि नहीं होता था? भ्रष्टाचार होता था कि नहीं होता था? हवालेबाजों की जेब में जाता था कि नहीं जाता था? ये हवालेबाज लोग हमारा हिसाब मांग रहे हैं?

मेरे भाईयों-बहनों, अब भ्रष्टाचार भी देखेगा कि कोई हो-हल्ला नहीं, अख़बार की सुर्ख़ियों में कोई हेडलाइन नहीं, फिर भी काम होता चला जा रहा है। देश में जो बुराईयाँ हैं, उन बुराईयों से सरकारें मुक्त होती चली जा रही हैं। एक के बाद एक निर्णय हम करते जा रहे हैं। आने वाले दिनों में भाजपा के कार्यकर्ता... 25 सितम्बर पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म जयंती है, 2 अक्टूबर पूज्य महात्मा गाँधी की जन्म जयंती है। क्या भाजपा के सभी कार्यकर्ता 25 सितम्बर से 2 अक्टूबर, पूरे सप्ताह गाँव-गाँव और गली-गली में सफ़ाई अभियान चला सकते हैं क्या। इस स्वच्छता अभियान के द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय, जिन्होंने अन्त्योदय की बात की थी; उन गरीब बस्तियों में जाकर भी स्वच्छता का सन्देश दे सकते हैं क्या। हमारे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रेलवे स्टेशन हों, चारों तरफ महात्मा गाँधी और दीनदयाल उपाध्याय को याद करके स्वच्छता का अभियान चला सकते हैं क्या।

मैं आपसे आग्रह करूँगा कि आईये भाजपा के मेरे भाईयों-बहनों, न सिर्फ मध्यप्रदेश में बल्कि हिंदुस्तान के और राज्यों में भी भाजपा के कार्यकर्ता ये बीड़ा उठा लें और स्वच्छता के अभियान को आगे बढ़ाएं। मैं फिर एक बार अपने स्वागत-सम्मान के लिए आपका आभारी हूँ। मध्यप्रदेश आज विकास की नई उंचाईयों पर पहुंचा है और यह प्रदेश देश के अर्थतंत्र को ताकत दे रहा है। कृषि के क्षेत्र में मध्यप्रदेश ने जो क्रांति की है, वो देश के गरीब से गरीब का पेट भरने का काम आ रहा है। मैं मध्यप्रदेश के किसानों, श्रीमान शिवराज और यहाँ की सरकार का अभिनंदन करता हूँ।             

बहुत-बहुत धन्यवाद!

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We have to ensure that our future is both technically strong and ethically sound, Our future should have innovation as well as inclusion: PM

मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, चंद्रशेखर जी, ITU की Secretary-General, विभिन्न देशों के मंत्रिगण, भारत के भिन्‍न-भिन्‍न राज्यों से आए हुए सब मंत्रिगण, industry leaders, telecom experts, startups की दुनिया के मेरे प्रिय नौजवान, देश-दुनिया से आए अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों,

इंडिया मोबाइल कांग्रेस में देश और दुनिया के आप सभी साथियों का बहुत-बहुत अभिनंदन! मैं International Telecom Union- ITU के साथियों का भी विशेष स्वागत करता हूं। आपने WTSA के लिए पहली बार भारत चुना है। मैं आपका आभारी भी हूं और आपकी सराहना भी करता हूं।

साथियों,

आज भारत, टेलीकॉम और उससे जुड़ी टेक्नोलॉजी के मामले में दुनिया के सबसे happening देशों में से एक है। भारत, जहां 120 करोड़ यानी 1200 million मोबाइल फोन यूजर्स हैं। भारत, जहां 95 करोड़ यानी 950 मिलियन internet Users हैं। भारत, जहां दुनिया का 40 परसेंट से अधिक का रियल टाइम डिजिटल ट्रांजेक्शन होता है। भारत, जिसने डिजिटल कनेक्टिविटी को last mile delivery का effective tool बनाकर दिखाया है। वहां Global Telecommunication के स्टैंडर्ड और future पर चर्चा Global Good का भी माध्यम बनेगी। मैं आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

Friends,

WTSA और India Mobile Congress का एक साथ होना भी बहुत महत्वपूर्ण है। WTSA का लक्ष्य ग्लोबल स्टैंडर्ड्स पर काम करना है। वहीं India Mobile Congress की बड़ी भूमिका सर्विसेज के साथ जुड़ी हुई है। इसलिए आज का ये आयोजन, Standards और services, दोनों को एक ही मंच पर ले आया है। आज भारत quality services पर बहुत ज्यादा फोकस कर रहा है। हम अपने standards पर भी विशेष बल दे रहे हैं। ऐसे में WTSA का अनुभव, भारत को एक नई ऊर्जा देने वाला होगा।

साथियों,

WTSA पूरी दुनिया को consensus के जरिए empower करने की बात करता है।India Mobile Congress, पूरी दुनिया को कनेक्टिविटी के ज़रिए सशक्त करने की बात करती है। यानी इस इवेंट में consensus और connectivity भी एक साथ जुड़ी हैं। आप जानते हैं कि आज की conflicts से भरी दुनिया के लिए इन दोनों का होना कितना जरूरी है। भारत हजारों वर्षों से वसुधैव कुटुंबकम के अमर संदेश को जीता रहा है। हमें G-20 का नेतृत्व करने का अवसर मिला, तब भी हमने one earth, one family, one future का ही संदेश दिया। भारत दुनिया को conflicts से बाहर निकालकर, connect करने में ही जुटा है। प्राचीन सिल्क रूट से लेकर आज के टेक्नोलॉजी रूट तक, भारत का हमेशा एक ही मिशन रहा है- दुनिया को कनेक्ट करना और प्रगति के नए रास्ते खोलना। ऐसे में WTSA और IMC की ये साझेदारी भी एक प्रेरक और शानदार मैसेज है। जब लोकल और ग्लोबल का मेल होता है, तब न केवल एक देश बल्कि पूरी दुनिया को इसका लाभ मिलता है और यही हमारा लक्ष्य है।

Friends,

21वीं सदी में भारत की मोबाइल और टेलीकॉम यात्रा पूरे विश्व के लिए स्टडी का विषय है। दुनिया में मोबाइल और टेलीकॉम को एक सुविधा के रूप में देखा गया। लेकिन भारत का मॉडल कुछ अलग रहा है। भारत में हमने टेलीकॉम को सिर्फ कनेक्टिविटी का नहीं, बल्कि equity और opportunity का माध्यम बनाया। ये माध्यम आज गांव और शहर, अमीर और गरीब के बीच की दूरी को मिटाने में मदद कर रहा है। मुझे याद है, जब मैं 10 साल पहले डिजिटल इंडिया का विजन देश के सामने रख रहा था। तो मैंने कहा था कि हमें टुकड़ों में नहीं बल्कि holistic अप्रोच के साथ चलना होगा। तब हमने डिजिटल इंडिया के चार पिलर्स की पहचान की थी। पहला- डिवाइस की कीमत कम होनी चाहिए। दूसरा- डिजिटल कनेक्टिविटी देश के कोने-कोने तक पहुंचे तीसरा- डेटा सबकी पहुंच में होना है। और चौथा, ‘Digital first’ ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। हमने इन चारों पिलर्स पर एक साथ काम करना शुरू किया और हमें इसके नतीजे भी मिले।

Friends,

हमारे यहां फोन तब तक सस्ते नहीं हो सकते थे जब तक हम भारत में ही उनको मैन्युफैक्चर न करते। 2014 में भारत में सिर्फ 2 मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स थीं, आज 200 से ज़्यादा हैं। पहले हम ज्यादातर फोन बाहर से इंपोर्ट करते थे। आज हम पहले से 6 गुना ज्यादा मोबाइल फोन भारत में बना रहे हैं, हमारी पहचान एक मोबाइल एक्सपोर्टर देश की है। और हम इतने पर ही नहीं रुके हैं। अब हम चिप से लेकर finished product तक, दुनिया को एक कंप्लीट मेड इन इंडिया फोन देने में जुटे हैं। हम भारत में सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम पर भी बहुत बड़ा इन्वेस्टमेंट कर रहे हैं।

Friends,

कनेक्टिविटी के पिलर पर काम करते हुए भारत में हमने ये सुनिश्चित किया है कि हर घर कनेक्ट हो। हमने देश के कोने-कोने में मोबाइल टावर्स का एक सशक्त नेटवर्क बनाया। जो हमारे tribal areas हैं, hilly areas हैं, border areas हैं, वहां बहुत कम समय में ही हज़ारों मोबाइल टावर्स लगाए गए। हमने रेलवे स्टेशन्स और दूसरे पब्लिक प्लेसेज़ पर वाई-फाई की सुविधाएं दीं। हमने अपने अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप जैसे आइलैंड्स को अंडर-सी केबल्स के माध्यम से कनेक्ट किया। भारत ने सिर्फ 10 साल में जितना ऑप्टिकल फाइबर बिछाया है, उसकी लंबाई धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी से भी आठ गुना है! मैं भारत की स्पीड का आपको एक उदाहरण देता हूं। दो साल पहले मोबाइल कांग्रेस में ही हमने 5G लॉन्च किया था। आज भारत का करीब-करीब हर जिला 5G सर्विस से जुड़ चुका है। आज भारत दुनिया का दूसरा बड़ा 5G मार्केट बन चुका है। और अब हम 6G टेक्नॉलॉजी पर भी तेज़ी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

भारत ने टेलीकॉम सेक्टर में जो रिफॉर्म्स किए, जो इनोवेशन किए, वो अकल्पनीय हैं, अभूतपूर्व हैं। इससे डेटा की कीमत बहुत कम हुईं। आज भारत में इंटरनेट डेटा की कीमत, लगभग 12 सेंट प्रति GB है। जबकि दुनिया के कितने ही देशों में एक GB डेटा, इससे 10 गुना से 20 गुना ज्यादा महंगा है। हर भारतीय, आज हर महीने औसतन करीब 30 GB डेटा कंज्यूम करते हैं।

साथियों,

इन सारे प्रयासों को हमारे चौथे पिलर यानि digital first की भावना ने नई स्केल पर पहुंचाया है। भारत ने डिजिटल टेक्नॉलॉजी को डेमोक्रेटाइज़ किया। भारत ने डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म बनाए, और इस प्लेटफॉर्म्स पर हुए इनोवेशन ने लाखों नए अवसर पैदा किए। जनधन, आधार और मोबाइल की JAM ट्रिनिटी कितने ही नए इनोवेशन का आधार बनी है। Unified Payments Interface-UPI ने कितनी ही नई कंपनियों को नए मौके दिए हैं। अब आजकल ONDC की भी ऐसी ही चर्चा हो रही है। ONDC से भी डिजिटल कॉमर्स में नई क्रांति आने वाली है। हमने कोरोना के दौरान भी देखा है कि कैसे हमारे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने हर काम आसान किया है। ज़रूरतमंदों तक पैसा भेजना हो, कोरोना से निपटने में जुटे कर्मचारियों तक रियल टाइम गाइडलाइंस भेजनी हो, वैक्सीनेशन का प्रोसेस स्ट्रीमलाइन करना हो, वैक्सीन का डिजिटल सर्टिफिकेट देना हो, भारत में सब कुछ बहुत Smoothly हुआ। आज भारत के पास एक ऐसा डिजिटल बुके है, जो दुनिया में वेलफेयर स्कीम्स को एक नई ऊंचाई दे सकता है। इसलिए G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान भी भारत ने डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर बल दिया। और आज मैं फिर दोहराऊंगा, भारत को DPI से संबंधित अपना अनुभव और जानकारी सभी देशों के साथ शेयर करने में खुशी होगी।

साथियों,

यहां WTSA में Network of Women initiative पर भी चर्चा होनी है। ये बहुत ही Important विषय है। भारत, वीमेन लेड डवलपमेंट को लेकर बहुत ही गंभीरता से काम कर रहा है। G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान भी हमने अपने इस कमिटमेंट को आगे बढ़ाया। Technology सेक्टर को inclusive बनाना, Technology प्लेटफॉर्म्स से महिलाओं को Empower करना, भारत इस लक्ष्य को लेकर चल रहा है। आपने देखा है कि हमारे स्पेस मिशन्स में, हमारी वीमेन साइंटिस्ट्स का कितना बड़ा रोल है। हमारे स्टार्टअप्स में women co-founders की संख्या लगातार बढ़ रही है। आज भारत की STEM एजुकेशन में 40 परसेंट से अधिक हिस्सेदारी हमारी बेटियों की है। भारत आज technology लीडरशिप में महिलाओं के लिए ज्यादा से ज्यादा अवसर बना रहा है। आपने सरकार के नमो ड्रोन दीदी कार्यक्रम के बारे में ज़रूर सुना होगा। ये खेती में ड्रोन क्रांति को बढ़ावा देने वाला कार्यक्रम है। इस अभियान को भारत के गांवों की महिलाएं लीड कर रही हैं। डिजिटल बैंकिंग, डिजिटल पेमेंट्स को घर-घर पहुंचाने के लिए भी हमने बैंक सखी प्रोग्राम चलाया। यानि महिलाओं ने digital awareness प्रोग्राम को भी लीड किया है। हमारे प्राइमरी हेल्थकेयर, maternity और child care में भी आशा और आंगनबाड़ी workers का बहुत बड़ा रोल है। आज ये workers, tabs और apps के माध्यम से इस पूरे काम को ट्रैक करती हैं। महिलाओं के लिए हम महिला ई-हाट कार्यक्रम भी चला रहे हैं। ये women entrepreneurs के लिए एक ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म है। यानि आज गांव-गांव में भारत की महिलाएं ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं, जो अकल्पनीय है। आने वाले समय में हम इसका दायरा और बढ़ाने वाले हैं। मैं उस भारत की कल्पना कर रहा हूं जहां हर बेटी एक टेक लीडर हो।

Friends,

भारत ने अपनी जी-20 प्रेसीडेंसी के दौरान एक गंभीर विषय दुनिया के सामने रखा था। इस विषय को मैं WTSA जैसे ग्लोबल प्लेटफॉर्म के सामने भी रखना चाहता हूं। ये विषय है- डिजिटल टेक्नोलॉजी के ग्लोबल फ्रेमवर्क का, ग्लोबल गाइडलाइंस का, अब समय आ गया है कि ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स को ग्लोबल गवर्नेंस के लिए इसके महत्व को स्वीकारना होगा। टेक्नोलॉजी के लिए वैश्विक स्तर पर Do’s and don’ts बनाने होंगे। आज जितने भी डिजिटल टूल्स और एप्लीकेशंस हैं, वो बंधनों से परे हैं, किसी भी देश की बाउंड्री से परे हैं। इसलिए कोई भी देश अकेले साइबर थ्रेट्स से अपने नागरिकों की रक्षा नहीं कर सकता। इसके लिए हमें मिलकर काम करना होगा, ग्लोबल संस्थाओं को आगे बढ़कर जिम्मेदारी उठानी होगी। हम जानते हैं हमारा अनुभव, जैसे हमने एविएशन सेक्टर के लिए एक ग्‍लोबल Rules and Regulation का फ्रेम वर्क बनाए हैं, वैसे ही फ्रेम वर्क की जरूरत डिजिटल वर्ल्ड को भी है। और इसके लिए WTSA को और अधिक सक्रियता से काम करना होगा। मैं WTSA से जुड़े हर सदस्य से कहूंगा कि वो इस दिशा में सोचें कि कैसे Tele-communications को सभी के लिए सेफ बनाया जाए। इस इंटरकनेक्टेड दुनिया में Security किसी भी तरह से After-thought नहीं हो सकती। भारत के Data Protection एक्ट और National Cyber Security Strategy, एक Safe Digital Ecosystem बनाने के प्रति हमारे कमिटमेंट को दिखाते हैं। मैं इस असेंबली के सदस्यों से कहूंगा, आप ऐसे standards बनाएं, जो Inclusive हों, Secure हों और भविष्य के हर चैलेंज के लिए Adaptable हों। आप Ethical AI और Data Privacy के ऐसे Global Standards बनाएं, जो अलग-अलग देशों की Diversity का भी सम्मान करें।

साथियों,

ये बहुत जरूरी है कि आज के इस technological revolution में हम टेक्नॉलजी को Human Centric Dimensions देने का निरंतर प्रयास करें। हम पर ये जिम्मेदारी है कि ये Revolution, responsible और sustainable हो। आज हम जो भी Standards सेट करेंगे, उससे हमारे भविष्य की दिशा तय होगी। इसलिए security, dignity और equity के Principles हमारी चर्चा के केंद्र में होने चाहिए। हमारा मकसद होना चाहिए कि कोई देश, कोई रीजन और कोई Community इस डिजिटल युग में पीछे ना रह जाए। हमें सुनिश्चित करना होगा, हमारा भविष्य technically strong भी हो और ethically sound भी हो, हमारे भविष्य में Innovation भी हो, Inclusion भी हो।

साथियों,

WTSA की सफलता के लिए मेरी शुभकामनाएं आपके साथ हैं, मेरा सपोर्ट आपके साथ है। आप सबको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं! बहुत-बहुत धन्यवाद !