मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संसद में पेश रेल बजटको भारत के विकास और प्रगति की द्रष्टि से सरासर दिशाहीन और अवास्तविक करार दिया। इस रेल बजट में गुजरात जैसे विकासशील राज्य के साथ युपीए सरकार द्वारा किए जा रहे अन्याय का सिलसिला जारी रहा है। यह बजट भारत के आर्थिक विकास की गति तथा महंगाई के कारण हो रही आम आदमी की परेशानियों को बठ़ाने वाला है। रेलमंत्री ने वैश्विक प्रतियोगिता के युग में भारत की अग्रता को ध्यान में नहीं लिया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि रेल्वे के राष्ट्रव्यापी ढांचागत सुविधा विकास में गुणात्मक परिवर्तन लाने के मामले में रेलबजट किसी राजनीतिक इच्छाशक्ति को नहीं दर्शाता। रेलवे द्वारा सामान ढुलाई का हिस्सा वर्ष २००१-०२ में २४ प्रतिशत था जो घटकर २०.८९ प्रतिशत रह गया है जिसका सीधा मतलब है कि देश में माल ढुलाई, परिवहन के लिए रेलवे की विश्वसनीयता घट गई है और रोड ट्रांसपोर्ट में बढोंतरी हुई है। सभी जानतें हैं कि रोड ट्रांसपोर्ट से माल परिवहन खर्च ज्यादा आता है जिसका सीधा असर महंगाई बढ़ने के रूप में नजर आ रहा है।
श्री नरेन्द्र मोदी ने इस सन्दर्भ में रेलवे इन्फ्रास्ट्रकचर नेटवर्क के लिए क्वालिटेटिव रिफार्म्स तथा नेशनल रेलवे फेर एन्ड फ्रेट इन्क्वायरी कमेटी गठित करने का सुझाव दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि समग्र देश में रेलवे वेगनों के मेन्युफेक्चरिंग इंडस्ट्री, कोच फेस्टरी, रेल अेकेडमी, डिजाइन डवलपमेन्ट सेन्टर, वेगन रिपेयरिंग, मल्टीट्रेनिंग सेन्टर्स की घोषणा हुई है मगर इन में गुजरात का नामो निशान नहीं है। गुजरात का जिसमें ४० प्रतिशत हिस्सा है, उस दिल्ली-मुम्बई फ्रेटकॉरीडोर पर १० ऑटो हब की घोषणा में भी गुजरात को शामिल नहीं किया गया। अहमदाबाद-मुम्बई बुलेट ट्रेन तथा फास्टट्रेक का भी कोई उल्लेख नहीं कर गुजरात के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है। रेलमंत्रालय द्वारा भी यूपीए सरकार में सांप्रदायिक भेदभाव का पापकर्म किया जा रहा है। अल्पसंख्यकों को भर्ती परीक्षा की फीस में माफी देने की घोषणा यूपीए सरकार की तुष्टिकरण की नीति है।
उन्होंने कहा कि गुजरात की राजधानी गांधीनगर को आधुनिक रेल सुविधाओं से वंचित रखने और पश्चिम रेलवे का मुख्यालय अहमदाबाद को देने की गुजरात की भावनाओं की उपेक्षा की जा रही है। रवीन्द्रनाथ टैगोर की १५० वीं जन्म जयंति पर भारततीर्थ नामक १६ नइ ट्रेने धार्मिक स्थलों को जोड़ने के लिए चलाने की घोषणा में भी सोमनाथ के सिवाय और किसी भी धार्मिक स्थल को तरजीह नहीं दी गई है।
श्री नरेन्द्र मोदी ने सवाल किया कि कालुपुर-अहमदाबाद रेलवे स्टेशन को विश्वस्तरीय बनाने की घोषणा पर रेल प्रशासन एक साल बाद भी विचार ही कर रहा है?