राज्यपाल नवल किशोर शर्मा ने कहा कि गुजरात से उन्हें भरपूर स्नेह मिला, वहीं मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि पण्डितजी से उन्होंने एक पुत्र व शिष्य की भांति बहुत कुछ सीखा है। राज्यपाल व मुख्यमंत्री बुधवार को सरकार की ओर से यहां टाउन हॉल में आयोजित राज्यपाल के सार्वजनिक विदाई समारोह में बोल रहे थे। राज्यपाल शर्मा ने कहा कि ऊर्जावान, कर्मठ व योग्य मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भावातिरेक अभिव्यक्ति से मुग्ध किया है। यह उनकी मन की अनुभूति है।
मोदी के साथ उनके कभी मतभेद भी नहीं हुए, मनभेद तो दूर की बात है। उन्होंने गुजरात के संरक्षक के नाते मन, वचन व कर्म से गुजरात की भलाई के लिए ही कार्य किया है। नर्मदा बांध की ऊंचाई बढ़ाने के समय हुए विवाद में उन्होंने प्रधानमंत्री, जल संसाधन मंत्री को पत्र लिखा था, जिसका सकारात्मक जवाब भी मिला था।
राज्यपाल ने कहा कि सोमनाथ में संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना उनके मन की अभिलाषा थी, जिसे सरकार ने न केवल माना, अपितु एक वर्ष में इसे कार्यरूप में भी ला दिया। गुजरात के लोग साहसी, उद्यमी, दानवीर हैं।
यहां की भूमि साधारण भूमि नहीं है। दुर्घटना व आपदा आने के बाद यहां बहुत जल्दी सामान्य हो जाता है। पिछले पांच वर्षो से यहां अमन है और सूखा भी नहीं पड़ा है। गुजरात की जनता ने उन्हें प्यार व इज्ात के साथ तनावरहित जीवन दिया, जिसके लिए वे आभारी हैं।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शर्मा के सम्मान में कहा कि पण्डितजी ने उन्हें पिता व गुुरू की तरह मार्गदर्शन दिया है, जिसे कभी नहीं भूल पाएंगे। वे हमेशा संकट से घिरे रहे हैं, हर बार उनकी अनुमति से बहुत कुछ सीखा है। सात्विक जीवन से उनके चेहरे पर आज भी चमक व मुस्कुराट से उन्हें प्रेरणा मिलती है।
मोदी ने शर्मा को शॉल, सम्मान पत्र तथा हवेली शैली की प्रतिकृति भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष अशोक भट्ट, मुख्य न्यायाधीश के.एस. राधाकृष्णन व मुख्य सचिव डी. राजगोपालन सहित मंत्रिमंडल के सदस्य व गणमान्य नागरिक मौजूद थे।